फैक्ट चेक

अरबी फ़िल्म का दृश्य चार साल पुराने एससी-एसटी आंदोलन से जोड़ कर वायरल

बूम ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा दावा ग़लत है.

By -  Runjay Kumar |

5 April 2022 6:33 PM IST

अरबी फ़िल्म का दृश्य चार साल पुराने एससी-एसटी आंदोलन से जोड़ कर वायरल

चार साल पहले दो अप्रैल, 2018 को एससी-एसटी एक्ट में संशोधन करने को लेकर अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय के लोगों ने देशव्यापी बंद का ऐलान किया था. विरोध प्रदर्शन के दौरान कई जगहों से हिंसक घटनाओं की ख़बर भी सामने आई थी. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो काफ़ी वायरल हो रहा है जिसे चार साल पहले हुए इस आंदोलन से जोड़ा जा रहा है.

वायरल हो रहे फ़ोटो में एक बच्चा घुटने के बल खड़ा हुआ है और उसके सीने के बाएं हिस्से में गोली लगी हुई है जिसकी वजह से काफ़ी खून बहता हुआ भी दिखाई दे रहा है.

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इस फ़ोटो को सोशल मीडिया ख़ासकर फ़ेसबुक पर ज्यादा शेयर किया गया है.

धर्मेंद्र सिंह बबेरवाल नाम के फ़ेसबुक यूजर ने इस फ़ोटो को शेयर करते हुए दावा किया है कि यह गाज़ियाबाद के निखिल धोबी की तस्वीर है. जो 2 अप्रैल 2018 को एससी एसटी आंदोलन के दौरान शहीद हो गए थे.

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Posted by Dharmendra Singh Baberwal on Saturday, 2 April 2022

वहीं वीपी सिंह नाम के यूज़र ने भी इसी तरह के दावे के साथ इसे अपने फ़ेसबुक अकाउंट से शेयर किया है.

वायरल पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.

फ़ैक्ट चेक

बूम ने वायरल हो रहे फ़ोटो की पड़ताल के लिए सबसे पहले उसे रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें एक चाइनीज वेबसाइट पर यह फ़ोटो मिली. जिसमें यह जिक्र किया गया था कि यह अरबी फ़िल्म किंगडम ऑफ़ एंट्स का एक दृश्य है.

इसके बाद हमने फ़िल्म से जुड़े कीवर्ड की मदद से गूगल पर खोजना शुरू किया तो हमें यह फ़िल्म यूट्यूब पर मिला. जिसे साल 2015 में अपलोड किया गया था. करीब 2 घंटे लंबे इस फ़िल्म को हमने देखा तो पाया कि क़रीब 1:15:46 पर उसी तरह का दृश्य मौजूद है जिसे सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है.


फ़िल्म में साफ़ देखा जा सकता है कि सादे कपड़े पहने एक समूह वहां मौजूद कुछ वर्दीधारियों के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं. तभी वर्दीधारी सैनिक अपने बंदूक से गोली दागना शुरू कर देते हैं. इसी दौरान सादे कपड़े वालों के समूह में मौजूद एक कम उम्र के बच्चे को भी गोली लग जाती है और वह घुटने के बल खड़े होकर गोली मारने वाले को घूरने लगता है.

आगे हमने इस फ़िल्म के बारे में और जानकारी जुटाई तो पाया कि यह फ़िल्म साल 2012 में रिलीज हुई थी. शुरू में इस फ़िल्म को लेबनान में रिलीज किया गया था. फ़िल्म को चावक मेजरी ने निर्देशित किया था.

फ़िल्म की समीक्षा करने वाली एक वेबसाइट के अनुसार यह फ़िल्म फ़िलिस्तीन को ध्यान में रखकर बनाई गई. जिसमें यह दिखाया गया कि एक परिवार किस तरह से उस ज़मीन पर जीने के लिए संघर्ष करता है जिसके टुकड़े टुकड़े किए जा रहे हैं.

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