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फ़ैक्ट चेक

किसान आंदोलन: दो साल पुरानी कांग्रेस रैली की तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल

तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि किसान का इंक़लाब देश में गांव-गांव तक पंहुचा.

By - Saket Tiwari | 4 Feb 2021 2:55 PM GMT

बैलगाड़ियों में बैठे गांववासियों की एक तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है कि सभी किसान आंदोलन के समर्थन में रैली निकाल रहे हैं. आपको बता दें कि वायरल हो रही यह फ़ोटो दो साल पुरानी है जिसका किसान आंदोलन से कोई सम्बन्ध नहीं है.

बूम ने पाया कि यह रैली 2018 में मध्य प्रदेश के बालाघाट में निकाली गयी थी. तब कांग्रेस पार्टी के युवा शाखा यानी एन.एस.यु.आई ने यह रैली पेट्रोल एवं डीज़ल के बढ़ते दामों के विरोध में निकाली थी.

पिछले कई महीनों से पंजाब और हरियाणा के किसान केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं. हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं - सिंघु, टिकरी और ग़ाज़ीपुर - पर 26 नवंबर 2020 से प्रोटेस्ट कर रहे हैं.

किसान आंदोलन: रिहाना की एडिटेड तस्वीर वायरल

वायरल तस्वीर के साथ दावा है कि, "ये थप्पड़ है गोदी मीडिया के मुंह पर... देश के सबसे पिछड़े गांवों तक भी किसानों का इन्कलाब पहुंच गया है.. #किसान_एकता_जिंदाबाद"

ऐसे ही कुछ पोस्ट नीचे देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें.






एंटी-सीएए प्रदर्शन की पुरानी तस्वीरें किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल

पुलिसकर्मियों को सीसीटीवी कैमरा तोड़ते दिखाता है यह वीडियो कब का है?

फ़ैक्ट चेक

बूम ने तस्वीर को गौर से देखा तो लोगों के मुँह पर मास्क नहीं दिख रहे हैं. इसके बाद रिवर्स इमेज सर्च कर हम पत्रिका के एक लेख तक पहुंचे जिसमें अब वायरल हो रही तस्वीर प्रकाशित की गयी थी.

इस लेख में बताया गया है कि युवा कांग्रेस पार्टी व एन.एस.यु.आई ने बालाघाट नगर में बैलगाड़ी से रैली निकाली थी. पार्टी प्रदेश में बढ़ रहे पेट्रोल और डीज़ल के दामों का विरोध कर रही थी.

इस लेख को 13 सितम्बर 2018 को प्रकाशित किया गया है. किसान आंदोलन के शुरू होने से करीब दो साल पहले.


इसके बाद पत्रिका में प्रकाशित तस्वीर - जो साफ़ दिख रही है - को गौर से देखने पर पेट्रोल, बालाघाट जैसे शब्द नज़र आते हैं.


इसके बाद कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें कई रिपोर्ट्स मिली जो कांग्रेस द्वारा 2018 में मध्य प्रदेश के कई शहरों में आयोजित बैलगाड़ी रैली के बारे में थीं. यह रैलियां बालाघाट के अलावा भोपाल में भी निकाली गयी थी.

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