सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब वायरल है जिसमें एक स्टेडियम के अंदर कुछ लोग #BoycottQatar का बैनर लिए खड़े हैं. हालिया बीजेपी प्रवक्ता द्वारा पैगम्बर मोहम्मद पर टिप्पणी को लेकर हुए विवाद के बाद क़तर ने भारत सरकार से जवाब तलब किया था. इसी मामलें के संदर्भ में दावा किया जा रहा है कि लोग क़तर का बहिष्कार कर रहे हैं.
बूम ने पाया तस्वीर विवाद से पहले की है और भारत से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है.
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ट्विटर पर एक यूज़र नवीन पटेल ने तस्वीर ट्वीट करते हुए लिखा जिसका हिंदी अनुवाद है,'भारत विश्व का नेतृत्व करेगा, मुझे नहीं पता था कि इस तरह से ऐसा होने वाला है 😂#QatarExposed '.
(English: India will lead world,I didn't knew that's gonna happen in this way#QatarExposed)
ट्विटर पर यह तस्वीर बड़े पैमाने पर वायरल है.
प्रयागराज में नाग वासुकि मन्दिर की मूर्ति के रूप में वायरल तस्वीर का सच क्या है?
फ़ेसबुक पर भी इसी दावे के साथ ये तस्वीर वायरल है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया तो UK के न्यूज़पेपर Telegraph की 07 अप्रैल 2022 की एक रिपोर्ट मिली जिसमें यह तस्वीर शामिल है.
रिपोर्ट में एमनेस्टी इंटरनेशनल के हवाले से कहा गया है कि 'क़तर विश्व कप के कामगारों को बिना एक दिन की छुट्टी के तीन साल काम करने के लिए मजबूर किया गया'.
(English: Qatar World Cup workers forced into working three years without a day off)
Telegraph ने इमेज का क्रेडिट GETTY IMAGES को दिया है. बूम को GETTY IMAGES की वेबसाइट पर यह तस्वीर मिली जिसके साथ लिखे कैप्शन का हिंदी अनुवाद है, 'फ़्रीबर्ग के प्रशंसकों ने 02 अप्रैल, 2022 को जर्मनी के यूरोपा-पार्क स्टेडियम में स्पोर्ट-क्लब फ़्रीबर्ग और एफसी बायर्न मुंचेन के बीच बुंडेसलिगा मैच से पहले कतर में फीफा विश्व कप 2022 के बहिष्कार का एक बैनर लहराया.' फोटोग्राफर का नाम Matthias Hangst दिया है.
क़तर में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के कामो में मजदूरों के मानव अधिकारों पर आधारित Newyorktimes की 15 अप्रैल 2022 की रिपोर्ट में भी यह तस्वीर इस्तेमाल की गयी है.
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