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फैक्ट चेक

हिंदुओं के धर्मांतरण के लिए बांग्लादेशी संगठन का कैश ऑफर करने वाला नोटिस फेक है

बूम को 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' के मीडिया प्रभारी ने बताया कि ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है.

By - Srijit Das | 5 April 2024 12:14 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक बांग्लादेशी संगठन 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' नाम के लेटरहेड वाला नोटिस वायरल है, जिसमें  हिंदुओं के धर्मांतरण के लिए कैश प्राइज की बात लिखी है. बूम ने पाया कि वायरल नोटिस फर्जी है. इसे मूल नोटिस में एडिट करके बनाया गया है. बूम को संगठन के मीडिया प्रभारी ने बताया कि ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है. 

वायरल नोटिस में 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' को जिम्मेदार ठहराते हुए, ब्राह्मण लड़कियों के लिए 3,00,000 रुपये, भारतीय बंगाली लड़कियों के लिए 2,00,000 रुपये, नामशूद्र (एक बंगाली हिंदू समुदाय) के लिए 50,000 रुपये और पूरे परिवार को इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए 5,00,000 रुपये के कैश प्राइज का देने की बात लिखी है. 

वायरल नोटिस की दो तस्वीरों में से एक बंगाली भाषा में है और दूसरी तस्वीर में इसका अंग्रेजी अनुवाद दिखाया गया है. 

एक्स पर एक यूजर ने लिखा, "एक हिंदू लड़की को फंसाओ और 3 लाख तक जीतो, एक हिंदू परिवार का धर्म परिवर्तन करने पर 5 लाख पाओ भयावह इस्लामिक कट्टरपंथी योजना उजागर. बांग्लादेश साइबर टीम ने बांग्लादेश के इस्लामवादियों द्वारा चलाए जा रहे एक फेसबुक पेज को हैक कर लिया."

पोस्ट में आगे लिखा है, "इसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, एक हिंदू ब्राह्मण लड़की का धर्म परिवर्तन कराने पर 3 लाख टका का इनाम रखा गया है. एक भारतीय बंगाली लड़की के लिए 2 लाख रुपये का इनाम और एक हिंदू परिवार का धर्म परिवर्तन कराने के लिए 5 लाख रुपये का इनाम."

आर्काइव पोेस्ट यहां देखें.

फेसबुक पर भी इसी दावे के साथ यह पोस्ट वायरल है.


आर्काइव पोस्ट यहां देखें. 

फैक्ट चेक 

वायरल नोटिस में छह फरवरी 2022 की तारीख और 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' का नाम लिखा है. हमने इसी से संबंधित कीवर्ड्स के साथ गूगल पर सर्च किया. हमें 'जमीयत अहल-ए-हदीस संगठन' की वेबसाइट पर 7 फरवरी 2024 को अपलोड किया गया मूल नोटिस मिला. यह एक बांग्लादेश में स्थित एक धार्मिक संगठन है.

हमने देखा कि 2022 के इस मूल नोटिस में दिया गया रिफ्रेंस नंबर वायरल नोटिस वाला ही है. इससे पता चलता है कि झूठा दावा करने के लिए वायरल नोटिस को एडिट किया गया है. 



हमने पाया कि मूल नोटिस 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' की गवर्निंग काउंसिल की चौथी मीटिंग में लिए गए एक फैसले के बारे में था. इसमें मुस्लिम नागिरकों के बीच कुरान और हदीस की शिक्षा बढ़ाने पर जोर देने की बात कही गई थी. संगठन ने इसमें उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले जिले की सभी शाखाओं की मस्जिदों में रोज या फिर सप्ताह में कम से कम एक दिन कुरान और हदीस के लिए क्लास लगाए जाने का प्रावधान करने की बात कही है. 

अधिक स्पष्टिकरण के लिए बूम बांग्लादेश ने 'बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीस' के मीडिया प्रभारी मुहम्मद जॉनी अहमद से संपर्क किया. अहमद ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि संगठन ने ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया है. 

अहमद ने बूम (Bangladesh) को बताया, "जमीयत अहल-अल-हदीस एक गैर-लाभकारी, गैर-राजनीतिक दीनी दावत और तब्लीगी संगठन है. कुछ शरारती तत्वों ने जमीयत की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर यह फर्जी नोटिस बनाया है. ध्यान से देखने पर पता चलता है कि यह वायरल नोटिस एडिट किया गया है. जमीयत अहल-अल-हदीस ने ऑनलाइन या ऑफलाइन ऐसी कोई भी सूचना जारी नहीं की है."

(अतिरिक्त रिपोर्टिंग : तौसीफ अकबर, बूम बांग्लादेश)

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