प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मोतिहारी से दावा किया कि बिहार राज्य ने एक हफ्ते में 8.5 लाख शौचालय बनाए. प्रधानमंत्री 10 अप्रैल 2018 को पूरे साल चले चंपारण सत्याग्रह की 100वीं सालगिरह के समापन समारोह पर आयोजित स्वच्छता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. 'स्वच्छाग्रहियों' को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा,
बूम ने इस उध्दबोधन को जांचने के लिए असल भाषण सुना तो शब्दश: ये पाया. "साथियों,देश में बिहार ही एक मात्र ऐसा राज्य था जहां स्वच्छता का दायरा 50% से भी कम था. लेकिन मुझे आज हमारे सजीव श्रीमान परमेश्वर जी ने बताया कि, एक हफ्ते के स्वच्छाग्रह अभियान के बाद बिहार ने इस बैरियर को तोड़ दिया है." "पिछले एक हफ्ते में बिहार में साढ़े आठ लाख से ज्यादा शौचालय बनाने का निर्माण कार्य पूर्ण कर दिया है. ये गति और प्रगति कम नहीं है." प्रधानमंत्री के दावों का फैक्ट चेक करने के लिए बूम सरकारी आंकड़ों को देखता है.
दावा 1 - बिहार अकेला राज्य था जहां सफाई का दायरा 50% से नीचे था. ये साफ नहीं हो पाया कि प्रधानमंत्री किस समय के बारे में कह रहे हैं जब वो कहते हैं कि बिहार 50% से नीचे था. बहरहाल स्वच्छ भारत अभियान(ग्रामीण) का 11 अप्रैल 2018 के आंकड़े को बताता नीचे दिया गया ग्राफ दिखाता है कि बिहार 52.73% के साथ स्वच्छता के मामले में सबसे आखिर में आता है.ओड़िसा उससे थोड़ा ऊपर 52.75% के साथ आता है जिसके बाद पुदुच्चेरी 58.72% तो वहीं उत्तर प्रदेश 63.02% पर हैं. यहां स्वच्छता से मतलब घरों में शौचालयों की पहुंच से है. बिहार में स्वच्छता का दायरा 2 अक्टूबर 2014 को 21.61% था जो कि 3.5 साल के समय में बढ़कर 52.73% हुआ. स्वच्छता राष्ट्रीय दर भी इसी अवधि में 38.7% से बढ़कर 81.95% रही.
स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर 2014 से हुई जिसके पीछे
उद्देश्य भारत को 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौच से मुक्त करने का है. ग्रामीण इलाकों में ये अभियान स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के तहत चलाया जाता है तो शहरी इलाकों मे ये स्वच्छ भारत मिशन(शहरी) नाम से चलता है.
दावा 2 - बिहार ने पिछले हफ्ते स्वच्छता के मामले में 50% की सीमा को पार किया है. सच. जैसा कि ऊपर ग्राफ दर्शाता है कि बिहार ने 52.73% स्वच्छता दायरे को हासिल किया है. स्वच्छ भारत मिशन का डैशबोर्ड वर्तमान समय के मुताबिक अपडेट किया जाता है ताकि हर रोज की जानकारी का फर्क दर्ज हो जाए लेकिन ये हर दिन या हफ्ते के हिसाब से जानकारी उपलब्ध नहीं करवाता.
दावा 3 - बिहार में पिछले एक हफ्ते में 8.5 लाख शौचालय बनाए गए. तथ्य - स्वच्छ भारत मिशन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक 8.5 लाख शौचालय बनाए गए लेकिन एक हफ्ते में नहीं. इस दावे ने कई लोगों को चकित कर दिया क्योंकि एक हफ्ते में 8.5 लाख शौचालय बनाना नामुमकिन है. ऐसा करने के लिए हर सेकंड में लगभग 1.4 शौचालय बनाने पड़ेंगे. ट्विटर यूजर्स ने प्रधानमंत्री के बयान की सत्यता पर सवाल खड़े किए.
बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इसे प्रधानमंत्री की बड़ी गड़बड़ी करार दिया.
क्योंकि वेबसाइट पर इतनी सूक्ष्म जानकारी उपलब्ध नही है,बूम ने बिहार के स्वच्छ भारत अधिकारियों से संपर्क किया. बूम को मिला नीचे दिया गया टेबल जिसमें हर दिन के हिसाब से 13 मार्च से लेकर 9 अप्रैल 2018 तक का डेटा दर्ज है. जिसके मुताबिक इस 28 दिनों की अवधि में 9.6 लाख शौचालय बनाए गए. हालांकि जब हमने स्वाच्छाग्रह हफ्ते(3 अप्रैल से 9 अप्रैल ) के आंकड़ों को देखा तो हमने पाया कि, 5.88 लाख शौचालय इस हफ्ते में बनाए गए हैं ना कि 8.5 लाख जैसा प्रधानमंत्री ने दावा किया. मिले डेटा के मुताबिक, 8.5 लाख शौचालय बनाने में 3 हफ्ते(21 मार्च से 9 अप्रैल ) का समय लगा. बूम स्वच्छ भारत अभियान के अधिकारियों की ओर से आंकड़ों पर और भी स्पष्टता के इंतजार मे है.
लेकिन कोई एक हफ्ते में लाखों शौचालय कैसे बना सकता है? इसपर सफाई देते हुए स्वच्छ भारत अभियान के अधिकारियों ने बताया कि एक हफ्ते में निर्माण कार्य नहीं शुरु हुआ बल्कि इसकी तैयारियां 13 मार्च से ही शुरु हो गई थी और हजारों स्वयंसेवकों ने इस अभियान में हिस्सा लेकर इसे मुमकिन बनाया. गौरतलब है कि जमीन पर शौचालय के वाकई बनने से जुड़े तथ्य की हम स्वतंत्र रुप से जांच नहीं कर पाए हैं. स्वच्छ भारत अभियान के प्रशासनिक अधिकारी राजीव कुमार सिंह ने कहा कि,
“सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह हफ्ते( 3 अप्रैल से 9 अप्रैल ) की तैयारियां 13 मार्च से ही शुरु हो गई थी जब प्रधानमंत्री ने बिहार ,उडिसा,उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के राज्य आचरण बदलाव समिति( ये स्वच्छता और शौचालयों के इस्तेमाल को लेकर जागरुकता फैलाने की काम करते हैं ) से बातचीत की थी." उन्होंने आगे कहा कि हजारों स्वयंसेवकों ने इस अभियान में हिस्सा लेकर एक हफ्ते में शौचालय बनाए जिसकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में शौचालय बन पाए. इस अभियान में स्वयंसेवक नैशनल कैडेट कॉर्पस और नैशनल सर्विस से शामिल हुए तो वहीं महिलाएं आत्म-साहाय्य समूह बिहार राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत शामिल हुई और पंचायत के प्रतिनिधियों ने भी इस मिशन में भाग लिया.
प्रगति पत्र : बिहार को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए ग्रामीण इलाकों में 80 लाख शौचालय बनाने की जरुरत है. स्वच्छ भारत मिशन की वेबसाइट पर मौजूद सूक्ष्म
जानकारी बताती है कि बिहार को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए 80.33 लाख शौचालय बनाने पड़ेंगे. जहां भारत के घरों का औसत आकार
4.3 है तो वहीं बिहार में लगभग 3.45 करोड़ लोगों के शौचालयों तक पहुंच नही है. 2012 में हुए बेस लाइन सर्वे के मुताबिक, बिहार में 1.69 करोड़ घर हैं जिनमें से सिर्फ 41 लाख(24.6%) घरों की शौचालय तक पहुंच है. 11 अप्रैल 2018 तक शौचालयों की पहुंच 89.6 लाख (52.7%) है.