एटीएम मशीन के अंदर फटे नोटों की ये तस्वीर व्हाटसएप और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. साथ में दावा ये है कि इन नोटों को चूहों ने कुतर दिया है.
सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में ये भी दावा किया गया कि ये सब एचडीएफसी बैंक के एटीएम में हुआ और साथ ही इसे सर्जिकल स्ट्राइक भी बता दिया.
Full View इस खबर के वायरल होते ही ग्राहकों और मीडिया की ओर से जहां एचडीएफसी बैंक को लगातार कॉल्स आने लगी तो वहीं दूसरी ओर एचडीएफसी बैंक ने अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से साफ किया कि ये उनका एटीएम नहीं है. हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बैंक का नाम इन तस्वीरों के साथ कैसे जुड़ गया क्योंकि इन तस्वीरों में कोई भी ऐसा सबूत नहीं दिख रहा जिससे माना जाए कि ये एचडीएफसी बैंक से जुड़ा है.
हमें अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में इस खबर से जुड़ा एक
आर्टिकल मिला जिससे पता चला कि ये घटना असम के तिनसुकिया जिले की है जहां स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम में 12 लाख की नगदी को कथित रुप से चूहों ने कुतर डाला. इस एटीएम को चलाने की जिम्मेदारी गुवाहाटी स्थित कंपनी एफआईएस:ग्लोबल बिज़नेस सोल्युशनस की है. गुवाहाटी स्थित न्यूज चैनल न्यूज लाइव के पत्रकार नंदन प्रतिम शर्मा बोर्डोलोई ने भी वीडियो लगाया जिससे इस घटना के स्थान की पुष्टि हुई.
बूम से बात करते हुए, एसबीआई के अधिकारी ने कहा कि, “हां, ये घटना असम में हुई थी. लेकिन एटीएम ब्राउन लेबल है जहां एसबीआई ने सिर्फ अपना नाम एटीएम को दिया है जबकि कैस को एसबीआई नहीं देखता. इस घटना में हुए नुकसान भरपाई एफआईएस को करना होगा जिसपर इसके देखभाल की जिम्मेदारी है.” ब्राउन लेबल एटीएम मशीन वो होती है जिसपर बैंक का मालिकाना हक होता है और साथ ही बैंक ब्रैंडिंग करती है लेकिन उसकी देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी किसी और कंपनी की होती है जिसे थर्ड पार्टी कहा जाता है. इस मामले में जांच के लिए तिनसुकिया पुलिस के पास एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई है. हालांकि ये शायद पहली बार होगा जब भारत में चूहों के एटीएम में पड़े नोटों को कुतरने की खबर सबके सामने आई हो लेकिन ये कोई असामान्य घटना नहीं है. रशिया के न्यूज नेटवर्क
रशिया टूडे के मुताबिक, इसी साल के जनवरी में कज़ाख़्सतान की राजधानी अस्ताना में दो चूहे बर्फबारी से बचते हुए एटीएम में जा घुसे. जब बैंक कर्मचारियों ने इन नन्हें घुसपैठियों को देखा और पाया कि नोटों के कई टुकड़े कर दिए गए हैं तो वो अवाक रह गए.
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