फ़ेसबुक और ट्विटर पर वायरल एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है की 'मलाड से दहिसर तक एक 15-20 लोगों की टोली महिलाओं और बच्चो के साथ आधी रात में आती है और तभी बच्चों के रोने की आवाज़ भी आती है | इस दशा में कृपया दरवाज़ा न खोलें | दहिसर थाने के वरिष्ठ इंस्पेक्टर रमाकांत पाटिल द्वारा प्राप्त सूचना |' आपको बता दें की यह दावा फ़र्ज़ी है जो एक अलग घटना के वीडियो के साथ मिला कर भ्रामक दावों के साथ वायरल किया जा रहा है |
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फ़ेसबुक पर वायरल पोस्ट में, जिसमें एक वीडियो दिखाया गया है, पुलिस किसी अन्य घटना की बात कर रही है जो इस सन्देश से अलग है | वीडियो में जो दिखाया गया है उसमे पुलिस एक गिरोह को पकड़ चुकी है जिसने कुछ जगहों पर नकली आयकर अधिकारी बनकर चोरियां की थी | इसी तरह की पोस्ट 2017 में भी वायरल हुई थीं |
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने पता लगाया तो मालूम हुआ की दहिसर में पदस्थ सीनियर इंस्पेक्टर रमाकांत पाटिल नहीं बल्क़ि वसंत नारायण पिंगले हैं |
इस सन्देश के अलावा कई पोस्ट्स के साथ वीडियोज़ भी जोड़े गए हैं | बूम ने वीडियो को ध्यान से देखा तो उसमें दावे के मिलता जुलता कोई मामला नहीं मिला | पुलिस उसमें एक अलग घटना के बारे में ब्रीफ़ कर रही है | हालांकि एक और वीडियो मिला जिसके साथ भी यही कैप्शन लिखा गया है जो पिछले हफ़्ते की ही घटना से जुड़ा हुआ है | इस वीडियो में किसी लिफ़्ट में एक लड़के द्वारा एक महिला को मारने और लूटने की कोशिश दिखाई गयी है |
इसके बाद लिफ़्ट के आस पास के घर में लोग सज़ग हो जाते हैं और उस लड़के को पकड़ लेते हैं | आप वीडियो में कुछ लोगों को हँसते और बात करते सुन सकते है जो सी सी टी वी पर रिकॉर्ड हुई फ़ुटेज को मोबाइल पर रिकॉर्ड कर रहे हैं |
बूम ने ट्विटर पर मुंबई पुलिस के आधिकारिक हैंडल पर एक ट्वीट भी देखा जिसमें उन्होंने खुद इस सन्देश को फ़र्ज़ी करार दिया है |
हमने इस सन्देश के फ़र्ज़ी होने की पुष्टि करने के लिए दहिसर के वरिष्ठ इंस्पेक्टर वसंत नारायण पिंगले से भी बात की जिन्होंने कहा की "उक्त सन्देश फ़र्ज़ी है" |