पाकिस्तान में भारतीय ध्वज को प्रदर्शनकारियों द्वारा जलाए जाने की एक तस्वीर को इस दावे के साथ फैलाया जा रहा है कि यह भारत से है। साथ ही इसे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के ख़िलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के साथ ग़लत तरीके से जोड़ा जा रहा है।
तस्वीर में प्रदर्शनकारियों को एक जलते हुए तिरंगे और एक बैनर पकड़े हुए दिखाया जा सकता है| इसमें नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी है। सोशल मीडिया पर इन लोगों की ग़लत पहचान करते हुए सीएए का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारी बताया गया है।
तस्वीर के साथ बंगला में कैप्शन दिया गया है जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार है, "ऐसे लोगों को देश से बेदखल करने की क्या जरुरत है जो एनआरसी के माध्यम से राष्ट्रीय ध्वज जलाते हैं, रैली निकालते हैं?देशद्रोहियों को देश से बाहर निकाल देना चाहिए। "
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( बंगाली में - যারা দেশের জাতীয় পতাকা পুড়িয়ে মিছিল করে তাদের NRC করে দেশ থেকে বাহির করার কি দরকার? দেশদ্রোহীগুলোকে ঘাড় ধাক্কা দিয়ে দেশ থেকে বের করে দেওয়া উচিত।)
बूम ने पाया कि तस्वीर 2015 की है औऱ पाकिस्तान के मुल्तान में ली गई थी जब वहां के लोग नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान विरोधी टिप्पणियों का विरोध कर रहे थे।
आप पोस्ट यहां देख सकते हैं। पोस्ट यहां अर्काइव किया गया है।
यह तस्वीर पहले भी ग़लत दावे के साथ वायरल हुई थी, जब इन्हें दिल्ली के शाहीन बाग में नए नागरिकता कानून का विरोध करने वाले मुसलमान बताया गया था।
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने रिवर्स इमेज सर्च चलाया और पाया कि यह तस्वीर 11 जून 2015 को पाकिस्तान के मुल्तान में नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान विरोधी बयानों के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान ली गई थी।
यह तस्वीर अंतरराष्ट्रीय वायर एजेंसी एसोसिएट प्रेस (एपी) के फोटोग्राफर असीम तनवीर ने ली थी। आप एपी की वेबसाइट पर मौजूद तस्वीर यहां देख सकते हैं।
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तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन का हिंदी अनुवाद कुछ इस प्रकार है, "पाकिस्तानी प्रदर्शनकारियों ने मुल्तान, पाकिस्तान में गुरुवार 11 जून 2015 को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान भारतीय झंडा जलाया। पाकिस्तान ने भारतीय प्रधान मंत्री द्वारा की गई टिप्पणियों पर नाराज़गी जताई है जिसमें कथित तौर पर स्वीकार किया गया था कि भारतीय सेना की युद्ध में भूमिका थी, जिससे बंग्लादेश अस्तित्व में आया, जो अलगाववादियों द्वारा 1971 में युद्ध के बाद स्वतंत्रता हासिल करने तक पाकिस्तान का हिस्सा था। (एपी फोटो / असीम तनवीर) "
ख़बरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान पाकिस्तान पर 'उपद्रव' करने का आरोप लगाया और साथ ही वहां से बढ़ती आतंकवाद की परेशानी पर चिंता जताई। वह बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय में एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
कथित तौर पर मोदी ने 1971 में बांग्लादेश के निर्माण में भारत की भूमिका के बारे में बात की, जो पूर्वी पाकिस्तान था। बदले में पाकिस्तान ने कहा कि पीएम मोदी के बयानों का उद्देश्य इसके ख़िलाफ नफ़रत पैदा करना और पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच संबंधों में खट्टास लाना है।
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