सड़क पर बिखरी सब्ज़ियां दिखाती एक तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हो रही है कि किसानों द्वारा 8 दिसंबर को किये गए भारत बंद के दौरान विपक्षी दलों ने यह तोड़फोड़ मचाई है ।
बूम ने पाया कि तस्वीर मई 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है और इसका वर्तमान किसान आंदोलन या भारत बंद से संबंध नहीं है ।
तस्वीर कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते दावों के साथ भी वायरल है । पंजाब और हरियाणा के किसान पिछले करीब दो महीनों से केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं । यह विरोध तीन कृषि क़ानूनों के कारण हो रहा है । इस तस्वीर के साथ एक दावा किया जा रहा है जो यूं है: "शर्म करो विपक्षी दलों जिन किसान के नाम पर तुम यह बंद की नौटंकी कर रहे हो उन्हीं के सामान सड़कों पर फेंकते हुए तुम्हें शर्म नहीं आई |"
भारतीय तिरंगे का अपमान करते ये प्रदर्शनकारी किसान आंदोलन में नहीं हैं
पोस्ट्स नीचे देखें और इनका अर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें ।
खालिस्तान समर्थक नारों का पांच साल पुराना वीडियो किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल
फ़ैक्ट चेक
बूम ने रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया कि तस्वीर 5 मई 2020 के कुछ ट्वीट्स में इस्तेमाल हुई थी । इन ट्वीट में बताया गया था कि 'यदि शराब दुकानें खुल सकती हैं तो सब्जी दुकानें क्यों नहीं ।'
अन्य ट्वीट यहां देखें ।
तस्वीर में एक वाहन है जिसमें पश्चिम बंगाल का रेजिस्ट्रेशन नंबर है । इसके बाद हमनें बंगाली कीवर्ड "মদের দোকান খোলা" (शराब दुकानें खुली) के साथ खोज की और फ़ेसबूक पर यही तस्वीर पाई जो 4 मई 2020 को कई पेजेज़ ने इस्तेमाल की थी ।
कुछ यूज़र्स इस जगह को पश्चिम बंगाल के बारासात का पायोनियर मार्किट बताया था ।