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फ़ैक्ट चेक

नहीं! शाहीन बाग़ में महिला के वेश में ये तस्वीर रवीश कुमार की नहीं है

वायरल फ़ोटो में दिखने वाली महिला का नाम शकीला बेगम है

By - Anmol Alphonso | 24 Feb 2020 12:53 PM GMT

शाहीन बाग़ में एक महिला प्रदर्शनकारी की तस्वीर को ग़लत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि तस्वीर में दिखने वाली महिला दरअसल पत्रकार रवीश कुमार हैं, जिन्होंने विरोध करने के लिए महिला का रुप धारण किया।

यह तस्वीर ट्वीटर पर शेयर की गई थी, जिसके साथ दिए गए कैप्शन में लिखा था, "शाहीनबाग से आई है ये तस्वीर...गौर से देखिए। कहीं ये रवीश कुमार तो नहीं। रवीश से ऐसी उम्मीद नहीं थी।"

यह भी पढ़ें: शाहीन बाग़ में बलात्कार पर भाजपा के नेता की टिप्पणी से अमित शाह का इंकार झूठ है

इस तस्वीर को एक्टिविस्ट एशोक पंडित ने भी एक कैप्शन के साथ शेयर किया था, जिसमें लिखा था "पहचानिए कि यह नकाबपोश प्रोटेक्टर शाहीन बाग में कौन है? वैस वह खुद को पत्रकार कहता है।"

अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।

बूम ने पहले भी पंडित द्वारा फैलाई गई ग़लत सूचनाओं को ख़ारिज किया था जब उन्होंने झूठा दावा किया था कि "जम्मू-कश्मीर में हिंदू आबादी 2% से कम है।"

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फेसबुक पर वायरल

हमने फेसबुक पर 'रवीश कुमार' और 'शाहीन बाग' कीवर्ड के साथ खोज की और पाया कि यह तस्वीर इसी झूठे दावे के साथ वायरल है।

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अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें।


(हिंदी में- शाहीनबाग से आई है ये तस्वीर...गौर से देखिये कहीं ये रविशकुमार तो नहीं??? रविश से ऐसी उम्मीद नहीं थी)

फ़ैक्ट चेक

रवीश कुमार ने 19 फरवरी, 2020 को फेसबुक पर इस झूठे दावे को ख़ारिज किया था कि महिला की वायरल तस्वीर उनकी है। उन्होंने महिला की पहचान करते हुए बताया कि उसका नाम शकीला बेगम है, जो दिल्ली के शाहीन बाग़ के पास एक इलाके में रहती हैं।

कुमार ने अपने पोस्ट में आगे कहा कि वायरल तस्वीर को देखने के बाद उन्होंने यह जानने की कोशिश की कि महिला कौन है और एनडीटीवी इंडिया के रिपोर्टर मुन्ने भारती ने इस काम में उनकी मदद की।

यह भी पढ़ें: क्या अर्थव्यवस्था पर रवीश कुमार के दो रवैये हैं? नहीं वायरल वीडियो बनावटी है

अपने पोस्ट में, कुमार ने कहा, "वो शकीला बेगम हैं, रवीश कुमार नहीं| आई टी सेल के मुख्य कार्यों में एक काम रवीश कुमार को लेकर अफ़वाहें फैलाना भी है। आई टी सेल एक मानसिकता भी है। मुझे लेकर हर समय कोई न कोई सामग्री आती रहती है।"

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इसके अलावा, हमने पाया कि शेयर की जा रही वायरल तस्वीर को शाहीन बाग़ के अधिकारिक ट्विटर अकाउंट से 11 फरवरी, 2020 को ट्वीट किया था| जिसमें कहा गया था कि एक मौन विरोध प्रदर्शन किया गया था, जहां तस्वीर में प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली पुलिस को तुगलकाबाद और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस द्वारा कथित हिंसा के विरोध के निशान के रूप में अपने मुंह पर काला कपड़ा बांधा था। अकाउंट ने लोगों से अपने बैनर और काले कपड़े के साथ विरोध स्थल पर आने का अनुरोध भी किया था।

15 दिसंबर, 2019 को, सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पारित करने के बाद, दिल्ली में शाहीन बाग़ क्षेत्र की कई महिलाओं ने चौबीसों घंटे बैठकर विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, यह विरोध प्रदर्शन उस इलाके के नाम से जाना जाने लगा जहां ये शुरु हुआ था और अब यह शाहीन बाग़ विरोध के नाम से जाना जाता है।

यह भी पढ़ें: रवीश कुमार के नाम पर वायरल एक बयान जो उन्होंने कभी दिया ही नहीं

एक असंबंधित वीडियो इस झूठे दावे के साथ वायरल किया गया था कि शाहीन बाग़ में महिलाएं भुगतान के लिए लड़ रही हैं। इसके अलावा लंदन से एक चोर की तस्वीर भी वायरल हुई जहां दावा किया गया था कि वह प्रदर्शन में शामिल होने वाला शख़्स था।

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