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फ़ैक्ट चेक

नहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नहीं दिया है यह वायरल बयान

बूम ने पाया कि बयान के नीचे भागवत का नाम अलग से जोड़ा गया है एवं ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है जो वायरल बयान की पुष्टि करती हो

By - Saket Tiwari | 26 Nov 2020 10:05 AM GMT

सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के हवाले से एक फ़र्ज़ी बयान वायरल है | इस बयान में मुस्लिम (Muslims) और दलित (Dalit) विरोधी बातें लिखी है और यह दर्शाया गया है कि यह भागवत ने कहा है | साथ ही उनकी तस्वीर और नाम जोड़ा गया है |

बूम ने पाया कि पोस्ट में भागवत का नाम अलग से जोड़ा गया है | हमें इस तरह की कोई रिपोर्ट नहीं मिली जो वायरल बयान की पुष्टि करती हो |

कुछ मौकों पर आरएसएस प्रमुख के भाषणों की आलोचनाएं हुई हैं परन्तु दलित आरक्षण (Dalit reservation) के विरोध में या मुस्लिम समुदाय के विरोध में मोहन भागवत का कोई बयान नहीं है |

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यह एक किताब पर लिखा हुआ पैराग्राफ है जो मोहन भागवत को एट्रिब्यूट किया गया है | इसमें लिखा है: "पहले इस देश से मुसलमानों को खत्म करना है फिर दलितों (sc st obc) का आरक्षण खत्म करना है सिर पर बैठे हुए ये लोग सविधान के वजह से- Rss chief (मोहन भागवत)" (Sic)

इस पोस्ट को नीचे देखें और इसके आर्काइव्ड वर्शन को यहां देखें |

Full View

यह तस्वीर पिछले कई महीनों से फ़ेसबुक पर वायरल है | नीचे देखें |


नहीं, आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत ने नहीं कहा:

फ़ैक्ट चेक

आरएसएस प्रमुख के बयानों पर सुर्खियां बनती हैं | हमनें जब वायरल बयान के कीवर्ड्स के साथ खोज की तो हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जो सोशल मीडिया पर वायरल बयान की पुष्टि करती हो |

हमें बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट मिली जिसमें हमें वायरल स्टेटमेंट से एकदम उल्टा एक बयान मिला |

बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक़, "दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान माला के दूसरे दिन 'भविष्य का भारत' विषय पर बोलते हुए उन्होंने [मोहन भागवत ने] हिंदुत्व के बारे में चर्चा की |"

रिपोर्ट आगे भागवत के एक बयान का उल्लेख करती है जिसमें उन्होंने कहा, "जिस दिन हम कहेंगे कि हमें मुसलमान नहीं चाहिए उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा |" इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने आगे कहा, "हमने कभी किसी स्वयंसेवक को किसी दल विशेष के लिए काम करने को नहीं कहा | कौन राज करेगा ये जनता तय करेगी | हम राजनीति से ज़्यादा राष्ट्रनीति के बारे में सोचते हैं | नीति किसी की भी हो सकती है | हमें किसी से बैर भी नहीं है और न ही किसी से अधिक दोस्ती है |"

इस कार्यक्रम और बयान पर अन्य रिपोर्ट यहां पढ़ें |


इस दावे का दूसरा भाग कहता है कि मोहन भागवत ने दलितों के आरक्षण ख़त्म करने की बात की थी | इस मुद्दे पर खोज करने पर हमनें पाया की पिछले साल भागवत का एक बयान सुर्ख़ियों में ज़रूर आया था एवं उसकी आलोचना हुई थी परन्तु वह बयान आरक्षण के विरोध में कतई नहीं था |

बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ इस बयान में आरएसएस प्रमुख कहते हैं, "आरक्षण के विरोधी और उसके समर्थक अगर एक दूसरे की बात समझ लेंगे तो इस समस्या का हल चुटकी में निकाला जा सकता है |" 

वह आगे कहते हैं, "एक दूसरे की भावनाओं को समझना चाहिए | ये सद्भावना जब तक समाज में पैदा नहीं होती तब तक इस मसले का हल नहीं निकल सकता |"

हालांकि इस बयान से विपक्षी दल जैसे कांग्रेस नाराज़ हुए थे | कांग्रेस का कहना था कि आरएसएस एवं मोहन भागवत बार-बार आरक्षण पर क्यों बात निकालते हैं, परन्तु वायरल हो रहे बयान जैसा कोई बयान मोहन भागवत ने नहीं दिया |

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हमें आरएसएस के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैध के भाषण का एक वीडियो मिला जिसमें वे शेड्यूल कास्ट एवं शेड्यूल ट्राइब्स के आरक्षण पर बात करते नज़र आते हैं |


एन.डी.टी.वी की रिपोर्ट में मनमोहन वैद्य को डॉ भीम राव आंबेडकर का हवाला देकर कहते सुना जा सकता है कि, "डॉ आंबेडकर ने कहा है कि किसी भी समाज में आरक्षण का प्रावधान रहना, यह अच्छा नहीं है | जल्द से जल्द इसकी आवश्यकता निरस्त होकर सबको सामान अवसर देने का स्थान...समय आना चाहिए | यह भी उन्होंने कहा है |"

हमनें आरएसएस के संस्थापक डॉ हेडगेवार पर किताब के लेखक एवं सांसद राकेश सिन्हा से संपर्क किया परन्तु उन्होंने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी |

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