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फैक्ट चेक

यह पुलिस द्वारा कोविड-19 के संदिग्धों को रोकने का वीडियो नहीं बल्कि मॉक ड्रिल है

बूम ने पाया कि वीडियो पुलिस द्वारा किए गए मॉक ड्रिल का है।

By - Sumit | 28 March 2020 1:03 PM IST

उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस जागरूकता पर पुलिस द्वारा किए गए मॉक ड्रिल के दो अलग-अलग वीडियो झूठे दावों के साथ वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो के साथ ग़लत दावा किया जा रहा है कि वीडियो में पुलिस संदिग्ध कोविड-19 मरीजों को रोक रही है।

बूम ने पाया कि ये वीडियो 24 मार्च, 2020 को गाजियाबाद और गोरखपुर में आयोजित मॉक ड्रिल का हिस्सा है जो कोरोनावायरस के मामलों को संभालने के लिए किया गया था।

वीडियो के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा गया है, "बरेली के सी बी गंज में पहला मरीज मिला है आप लोग इसको देखकर इसके ख़तरे का अनुमान लगा सकते है!! and गोरखपुर में कोरोना वायरस का संदिग्ध मरीज मिला।"

फ़र्ज़ी दावे ऐसे समय सामने आए हैं जब पूरे देश में कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई है। वर्तमान में भारत में कोविड-19 के 874 सक्रिय मामले हैं। देश भर में 20 मौतों के साथ, लोग पहले से ही दहशत की स्थिति में हैं।

नीचे दिए गए वीडियो देखें और इनके अर्काइव वर्शन तक यहां और यहां पहुंचा जा सकता है।

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वीडियो 1

पहले वीडियो के साथ कैप्शन में दावा किया गया है कि यह बरेली के सीबी गंज का है।

90 सेकंड के लंबे वीडियो में एक आदमी को सुनसान सड़क पर चलते हुए दिखाया गया है और वह बुरी तरह खांस रहा है। एक बिंदु पर, कुछ पुलिसकर्मी दो दिशाओं से उसके पास पहुंचते हैं। जबकि पुलिस में से एक आदमी के सामने एक दंगा ढाल रखता है, दूसरा उसके चेहरे पर मास्क डालता है। फिर उसे एक एम्बुलेंस में ले जाया जाता है। इस दौरान, लोगों को मोबाइल फोन पर घटना को रिकॉर्ड करते देखा जा सकता है।

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वीडियो 2

इस वीडियो के साथ कैप्शन में दावा किया गया है 'गोरखपुर में पाया गया एक संदिग्ध कोरोनावायरस केस'।

दो मिनट के वीडियो में एक कार एक सुनसान सड़क पर चलती दिखाई देती है जब वर्दी के ऊपर सुरक्षात्मक गियर पहने दो पुलिस वाले उनकी कार रोकते हैं। बैकग्राउंड में एक घोषणा सुनी जा सकती है, जिसमें यात्रियों को बाहर निकलने और खुद की जांचने कराने का निर्देश दिया जा रहा है।जो यात्री कार से बाहर निकलता है उसे मास्क और दस्ताने प्रदान किए जाते हैं और उसे कार में वापस जाने के लिए कहा जाता है।

फिर वाहन को एक अन्य पुलिस द्वारा धुंआ स्प्रे किया जाता है। पूरे प्रकरण को मोबाइल कैमरों पर रिकॉर्ड किया है।

फ़ैक्टचेक

बूम ने दोनों वीडियो अलग-अलग चेक किए और पाया कि दोनों वीडियो में वाहन पंजीकरण संख्या उत्तर प्रदेश की थी। हमने तब 'कोरोनावायरस मॉक ड्रिल उत्तर प्रदेश' कीवर्ड के साथ यूट्यूब पर एक खोज की और दोनों क्लिप पाया।

जिस वीडियो को बरेली का वीडियो बताया जा रहा है, वह दरअसल 24 मार्च को यूपी के गाजियाबाद में किया गया एक मॉक ड्रिल था। नीचे मूल वीडियो देखें।

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दूसरा वीडियो, जैसा कि दावा किया गया है, गोरखपुर का है। हालांकि, वीडियो में देखा गया व्यक्ति एक संदिग्ध कोरोनावायरस रोगी नहीं है, बल्कि ड्रिल का आयोजन करने वाली टीम का हिस्सा है। । वीडियो को गोलघर, चेतगंज ट्राई जंक्शन पर रिकॉर्ड किया गया था। नीचे वीडियो देखें|

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बूम ने ड्रिल के बारे में गोरखपुर पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी से भी संपर्क किया। पीआरओ ने बूम को बताया, "24 मार्च को यह आपातकालीन कोरोनावायरस मामलों के संबंध में जागरूकता पैदा करने के लिए आयोजित किया गया था।"

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