सोशल मीडिया पर संस्कृत महाकाव्य रामायण में वर्णित राम सेतु के समुद्र के अंदर अवशेष मिलने के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं. बूम ने जांच करने पर पाया कि सभी वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक से जनरेट किए गए हैं.
भारत के दक्षिणपूर्व में पंबन द्वीप (रामेश्वरम) और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच चूने की उथले पत्थरों की एक शृखंला है. इसे राम सेतु या एडम्स ब्रिज (आदम का पुल) कहा जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि 1480 तक यह पुल समुद्र तल के ऊपर हुआ करता था हालांकि प्राकृतिक आपदाओं के कारण यहां समुद्र कुछ गहरा हो गया है. इस सरंचना के मानव निर्मित या प्राकृतिक होने को लेकर विवाद है. हालांकि 2022 में भारत सरकार ने कहा था कि यह दावा नहीं किया जा सकता कि यह रामसेतु के अवशेष हैं.
रामसेतु के जुड़े तीन अलग-अलग वीडियो में कुछ गोताखोर समुद्र तल में राम सेतु के पत्थरों और प्राचीन अवशेषों का निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं. दो वीडियो में गहरे पानी के अंदर मंदिर के साथ राम और हनुमान की मूर्तियां भी दिखाई दे रही हैं.
हमने तीनों वीडियो की अलग-अलग जांच की. सभी वीडियो को गौर से देखने पर हमने पाया कि इनमें ऐसी कई विसंगतियां मौजूद थीं, जो इनके कृत्रिम होने का इशारा करती हैं.
वीडियो: एक
पहले वीडियो को फेसबुक पर शेयर करते हुए एक यूजर ने इसे समुद्र के अंदर राम सेतु का दृश्य बताया.
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बूम की टिपलाइन (+917700906588) पर भी हमें यह वीडियो पड़ताल के लिए प्राप्त हुआ.
फैक्ट चेक
इसमें स्पष्ट देखा जा सकता है कि वीडियो में दिख रहा प्रकाश अप्राकृतिक है. इसके अलावा पानी में उठ रहीं बुलबुले और पत्थरों की आकृतियां भी वास्तविक नहीं लगतीं.
वीडियो के एक दृश्य में हमने एक गोताखोर के कान और उंगलियों पर गौर किया, जो आम बनावट से अलग थीं.
ध्यान से देखने पर हमें वीडियो पर bharathfx1 नाम की इंस्टाग्राम आईडी नजर आई.
Bharath FX के इस अकाउंट को खंगालने पर हमें 27 मार्च का पोस्ट किया गया यह मूल वीडियो मिला. वीडियो के साथ साफ तौर पर बताया गया था कि इसे एआई की मदद से क्रिएट किया गया है. इसके कैप्शन में लिखा था, 'इस रील में दिखाए गए चित्र/वीडियो पूरी तरह से AI द्वारा बनाए गए हैं. इसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है.'
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वीडियो: दो
करीब 33 सेकंड के दूसरे वीडियो को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर दावा किया, 'अद्भुत अलौकिक राम सेतु. न पत्थर डूबे, न आस्था हारी. समुद्र पर बना वो पुल आज भी है गवाही राम हैं, थे और रहेंगे.'
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फैक्ट चेक
इस वीडियो की शुरुआत में ही जहाज पर दिख रहे गोताखोरों के शरीर की बनावट में कई विसंगतियां मौजूद हैं. नीचे रेड बॉक्स में देखा जा सकता है कि एक गोताखोर का हाथ और एक का सिर कुछ विचित्र सा है. इससे हमें अंदेशा हुआ कि यह भी वास्तविक वीडियो नहीं है.
हमने पड़ताल के लिए इसके एक कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. इसके जरिए हमें jayprints नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट पर मूल वीडियो मिला. इसके कैप्शन में इसे भी एआई जनित ही बताया गया था. अकाउंट को स्कैन करने पर हमने पाया कि इसे Jay Pirabakaran नाम के इस एआई आर्टिस्ट ने ही बनाया है. उनके हैंडल पर इस तरह दूसरे एआई वीडियो देखे जा सकते हैं.
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वीडियो: तीन
तीसरे वीडियो को शेयर करते हुए एक इंस्टाग्राम यूजर ने दावा किया, 'मुट्ठी भर लोग कहते हैं कि राम सेतु नहीं है, आंखें खोलकर देखो 7 हजार साल पुराना इतिहास.'
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फैक्ट चेक
वायरल वीडियो को देखने पर हमने पाया कि इसमें ऐसे तमाम एलिमेंट हैं, जो इसके कृत्रिम होने की पुष्टि करते हैं. उदाहरण के लिए कछुए और कोरल (मूंगा) को देखने पर इनकी चमक अवास्तविक और बनावटी है. इसके अलावा भगवान राम की मूर्ति के हाथ में जो धनुष है उसकी सरंचना भी अधूरी है.
इसके कमेंट सेक्शन में कई यूजर ने इसे एआई जनरेटेड बताया था. इसके अलावा हमें एक और इंस्टाग्राम पोस्ट भी मिला, जिसमें वीडियो को एआई हैशटैग के साथ शेयर किया गया था. हमने पाया कि ये तीनों वीडियो एक ही प्रकार के हैं और संभवतः एक ही जैसी एआई तकनीक के इस्तेमाल से बनाए गए हैं.
पुष्टि के लिए बूम ने इन वीडियो की डीपफेक एनालिसिस यूनिट (डीएयू) में अपने सहयोगियों के जरिए पड़ताल की. डीएयू ने इसके विश्लेष्ण के लिए वीडियो को कीफ्रेम में बांटा और उन्हें कई एआई इमेज डिटेक्शन टूल पर टेस्ट किया.
एआई डिटेक्टर टूल हाइव मॉडरेशन के एआई इमेज क्लासिफायर ने इस बात का संकेत दिया कि तीनों वीडियो के कीफ्रेम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जनरेटिव एआई का उपयोग करके बनाया गया था.
इसके अलावा डीएयू ने इन कीफ्रेम को एआई इमेज डिटेक्शन टूल Wasitai पर भी चेक किया. इसने भी इन फ्रेम के जनरेटिव एआई के इस्तेमाल से बनाए जाने की प्रबल संभावना व्यक्त की.