सोशल मीडिया पर सेना के काफ़िले के वीडिओज़ वायरल होने के बाद दावा किया गया कि भारतीय सेना (Indian Army) किसान आंदोलन (kisan andolan) को रोकने के लिए अपनी टुकड़ियाँ दिल्ली (Delhi) भेज रही है। बूम ने भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद से संपर्क किया जिन्होंने इन दावों को फ़र्ज़ी बताया है ।
यह वीडिओज़ 10 दिसम्बर से वायरल होना शुरू हुए हैं । यह वीडियो एक व्यक्ति ने कार में से फ़िल्माए हैं और जगह को ग़ाज़ियाबाद टोल प्लाज़ा बताया गया है। जैसे ही कार रुकती है, वह कहता है, "आर्मी को दिल्ली बुलाया गया है । यह ग़ाज़ियाबाद टोल प्लाज़ा के दृस्य हैं । भारतीय सेना किसान आंदोलन (farmers protest) के कारण दिल्ली बुलाई गई है । वाहनों की कतार डेढ़ किलोमीटर लंबी है ।"
एक यू.के स्थित सिख संस्था, श्री गुरु सिंह सभा के ट्विटर हैंडल ने भी यही वीडियो म्यूट करके शेयर किया |
इनके अर्काइव्ड वर्शन यहां, यहां और यहां देखें ।
एक अन्य वीडियो क्लिप भी वायरल है जिसमें रिकॉर्ड कर रहा व्यक्ति एक सेना के ट्रक्स के काफ़िले का वीडियो ले रहा है और साथ ही कहता है, "किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए भारतीय सेना को बुलाया गया है। यहां सेना के ट्रक्स का लंबा मूवमेंट है । मोदी गवर्नमेंट किसान प्रदर्शन को रोकने के लिए नीति बना रही है । मैं इसे खुद रिकॉर्ड कर रहा हूँ । किसानों की आवाज़ हर जगह पहुँचना चाहिए ।"
यही वीडियो बूम की हेल्पलाइन पर भी प्राप्त हुआ है ।
खालिस्तान समर्थक नारों का पांच साल पुराना वीडियो किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल
सेना कई कारणों से मूव करती है: भारतीय सेना के प्रवक्ता
बूम से बात करते हुए कर्नल आनंद ने दावों को ख़ारिज़ किया और कहा, "सेना कई कारणों से जगह बदलती है जैसे वार्षिक ट्रेनिंग कैम्प्स और जब स्थानांतरण होता है । यह किसी आंतरिक मामले के लिए है ऐसा कहना गलत और उद्देश्यपूर्ण है । इसे ना माने ।"
हालांकि, कर्नल आनंद ने आर्मी के मूवमेंट का कारण नहीं बताया ।
पी.आई.बी फ़ैक्ट चेक ने भी इस वीडियो को ख़ारिज़ किया और इसे रूटीन मूवमेंट बताया । इस ट्वीट में इसे किसान आंदोलन से असंबंधित बताया है ।
फ़ैक्ट क्रेसेंडो ने गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ताओं से बात की । दोनों ने वायरल दावों को फ़र्ज़ी करार दिया है ।
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता भारत भूषण ने फ़ैक्ट क्रेसेंडो से कहा, "दिल्ली के आसपास किसानों के विरोध में सेना की तैनाती के बारे में दावा करने वाला वीडियो फ़ेक है। वीडियो में देखा गया सेना का काफ़िला वास्तव में आर्टिलरी ले जा रहा था और एक सामान्य पारगमन पर था, काफ़िले के पास केवल तोपखाने की मशीनें थीं और सेना के ट्रक सैनिकों को नहीं ले जा रहे थे।"