यह वायरल पोस्ट दर्शाता है की पुलिस ने मरकज़ में शामिल हुए एक शख़्स की पिटाई की क्योंकि उसने गाज़ियाबाद में स्थित अस्पताल स्टाफ के साथ बदसलूकी की थी| बूम की पड़ताल से यह सामने आया की पोस्ट की गई तस्वीर पुरानी है और तस्वीर के नीचे लिखे कैप्शन का उससे कोई सम्बन्ध नहीं है |
पोस्ट में इस्तेमाल पुरानी तस्वीर में एक घायल नौजवान है जिस की पीठ बुरी तरह चोटिल है | यह पोस्ट सोशल मीडिया पर इस झूठे दावे से वायरल हुआ है| दावा है कि पुलिस ने इस मुस्लिम नौजवान पर अस्पताल स्टाफ से बदसुलूकी करने पर इस तरह कार्यवाही की| बूम ने पता लगाया की यह तस्वीर जुलाई 2019 की है जो पोस्ट में किये गए दावों से बिलकुल मेल नहीं खाती |
वायरल पोस्ट में लिखा कैप्शन इस तरह है : "गाज़ियाबाद अस्पताल में मरकज के मरीज नर्स के सामने नंगा होकर घूमने, गाली देने पर पुलिस ने बनाये परमानेंट टैटू, नंग प्रदर्शन करने वाले मोहम्मद मुस्तफा, मोहम्मद गुलरेज,शोएब और मजीद पर NSA भी लगा है #इस्लाम_मुक्त_भारत, #इस्लामिकआतंकवाद, #तबलीगी_नहीं_तालिबानी_जमात_है"
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बूम की खोज में यह भी सामने आया की पोस्ट में बताये गए चारो युवको पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगाया गया है| लेकिन इन युवको को नग्न प्रदर्शन के लिए नहीं बल्कि इंदौर, मध्य प्रदेश के इलाके टाटपट्टी बाखल के निवासियों को इलाके में कोरोना वायरस पेशेंट की जांच में आ रही डॉक्टरों की टीम पर हमले के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस कार्यवाही की गयी थी | इसके बारे में और जानकारी यहाँ और यहाँ पढ़े |
वायरल पोस्ट को नीचे पाए और इसका आर्काइव वर्जन को यहाँ देखिए|
यह पोस्ट विचलित कर देने वाला है, दर्शक अपने विवेक का सहारा लें|
पोस्ट की तर्ज पर, लाइव हिंदुस्तान, जो की हिंदुस्तान नामक हिंदी दैनिक समाचार पत्र का एक ऑनलाइन पोर्टल है, ने भी पोस्ट की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया| जहाँ इसे जारी हुए लॉक-डाउन से जोड़ा गया | लाइव हिंदुस्तान के इस लेख का आर्काइव वर्जन यहाँ देखिए|
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हिंदुस्तान के हिंदी पोर्टल में प्रकाशित पोस्ट में तस्वीर का कैप्शन इस प्रकार है: "लॉकडाउन की वजह से लोग घरों में कैद हैं। लेकिन देवघर में कुछ लोग मानने को तैयार नहीं। जिस कारण पुलिस ने एक युवक की जमकर पिटाई। पिटाई के कारण शरीर पर काले निशाना बन गए हैं। पुलिस लोगों से बार-बार अपील कर रही है कि लॉकडाउन के समय घरों में रहे। लेकिन कुछ लोग मानने को तैयार नहीं हैं। इस पोस्ट ने घटना को बिहार के देवगढ़ इलाके में जारी लॉक डाउन से जोड़ा|
फ़ैक्ट चेक
बूम ने रिवर्स इमेज सर्च से पता लगाया की यह तस्वीर कई फेसबुक पोस्ट के ज़रिये 2019 में शेयर की गयी थी|
हमें यह मालूम हुआ की इस तस्वीर को पिछले वर्ष 17 जुलाई को सरकारी कॉमर्स कॉलेज, चिट्टागोंग नाम के फ़ेसबुक पेज पर बिना किसी कैप्शन के अपलोड किया गया था |
इस तस्वीर को एक और फ़ेसबुक पेज के जरिये शेयर किया गया जिसमें इस समय बांग्ला भाषा में व्यंग्यात्मक कैप्शन लिखा गया| इस पोस्ट में एक और तस्वीर घायल युवक का चेहरा दिखाते हुई मिली |
बूम स्वत्रंत रूप से यह साबित नहीं कर सका की इस तस्वीर कहा से लिया गया मगर हमने इसकी पुष्टि कि है की यह तस्वीर पिछले साल की है| यह सिद्ध होता है की इसे तब्लीग़ी जमात और मरकज़ से जोड़ने वाले सारे दावे पूरी तरह झूठ है|
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