मशहूर कॉलमनिस्ट शोभा डे ने अग्रेज़ी वेबसाइट मुंबई मिरर में लिखे अपने कॉलम में फ़िल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' को लेकर ग़लत दावा किया है। "Talk Time: What went wrong with Gunjan Saxena" शीर्षक से लिखे ओपिनियन कॉलम में शोभा डे ने लिखा कि फ़िल्म में फ्लाइट लेफ्टिनेंट (रिटायर्ड) गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र पुरुस्कृत सैनिक के तौर पर दिखाया गया है। उन्होंने सेना की नकारात्मक छवि दिखाने के लिए इस बायोपिक फ़िल्म की आलोचना भी की है ।
शोभा डे के दावों की सच्चाई जानने के लिए बूम ने नेटफ़्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही फ़िल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' देखी। बूम ने पाया कि फ़िल्म के किसी भी सीन में सक्सेना को शौर्य चक्र प्राप्तकर्ता के रूप में नहीं दिखाया गया और ना ही फ़िल्म के क्रेडिट में सक्सेना को शौर्य चक्र से सम्मानित बताया गया। इसके अलावा एनडीटीवी पर एक ब्लॉग में गुंजन सक्सेना ने साफ़ किया कि उन्हें शौर्य चक्र पुरस्कार नहीं मिला।
गौरतलब है कि शौर्य चक्र भारतीय सेना का अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद तीसरा सबसे बड़ा शौर्य वीरता पदक है। यह पदक सैन्य कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों को भी दिया जाता है।
शोभा डे कॉलम के एक हिस्से में लिखती हैं "और सबसे महत्वपूर्ण बात है कि ये बताया गया के सक्सेना को शौर्य चक्र नहीं मिला, जैसा की फ़िल्म में दिखाया गया है | यह एक बड़ी ग़लती है।" नीचे उस हिस्से का स्क्रीनशॉट दिया गया है।
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द इंडियन एक्सप्रेस, इंडिया टुडे और स्कूपहूप सहित कई न्यूज़ आउटलेट ने भी ग़लत तरीक़े से दावा किया कि गुंजन सक्सेना को कारगिल युद्ध के बाद शौर्य से नवाज़ा गया था । हालांकि आर्टिकल में यह नहीं बताया गया कि सक्सेना की बायोपिक फ़िल्म में उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित दिखाया गया है।
"गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल" फ़िल्म 12 अगस्त को रिलीज़ हुई थी। फ़िल्म में सेना के बारे में तथ्यों को ग़लत तरीक़े से दिखाने पर सेना ने आपत्ति दर्ज करायी थी। बूम फ़ैक्ट यहां पढ़ें
गुंजन की सहयोगी के इंटरव्यू में पढ़ा था: शोभा डे
बूम ने शोभा डे से संपर्क किया। डे ने बूम को बताया कि ओपिनियन लिखने से पहले उन्होंने फ़िल्म के आख़िर में क्रेडिट लाइन पर ध्यान नहीं दिया जिससे सुनिश्चित होता कि गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र प्राप्तकर्ता के रूप में चित्रित गया था।
उन्होंने कहा कि शौर्य चक्र से जुड़ी जो बात ओपिनियन में लिखी है, वो विंग कमांडर (रिटायर्ड) नमृता चंडी के एक इंटरव्यू के हवाले से लिखी गयी है। शोभा डे ने मैसेज के ज़रिये बूम को बताया कि "मैंने गुंजन की सहयोगी का इंटरव्यू पढ़ा था। मुझे याद नहीं कि क्या यह फ़िल्म के अंत में दिखाया गया था। लेकिन इसका ज़िक्र महिला पायलट नमृता चंडी ने एक इंटरव्यू में किया था, जिसे फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट (रिटायर्ड) श्रीविद्या राजन ने अपने फ़ेसबुक पोस्ट में ज़ोर देते हुए कहा था।"
हालांकि बूम को राजन के फ़ेसबुक पोस्ट में ऐसा कोई आधार नहीं मिला जो दावा करता हो कि सक्सेना को फ़िल्म में शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता के रूप में दिखाया गया था।
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बूम को दैनिक भास्कर के साथ विंग कमांडर नमृता चंडी का एक इंटरव्यू मिला जिसमें वो बताती हैं कि "मैं हैरान हूं कि इस फ़िल्म में दिखाया गया है कि गुंजन सक्सेना को शौर्य चक्र मिला था, जो पूरी तरह से गलत है। ये ऐसे तथ्य हैं, जिसका खुद गुंजन ने भी खंडन नहीं किया। यह तथ्य दिखाकर मेकर्स ने वास्तविक शौर्य चक्र विजेताओं की बहादुरी और निष्ठा को धूमिल किया है।"
बूम ने रक्षा मंत्रालय की गैलेंट्री अवार्ड्स वेबसाइट देखी और पाया कि शौर्य चक्र विजेताओं की लिस्ट में कहीं भी गुंजन सक्सेना का नाम नहीं है।
सक्सेना एनडीटीवी में लिखे अपने ब्लॉग में कहती हैं, "न तो मैं और न ही फ़िल्म निर्माताओं ने कभी दावा किया कि मैं" शौर्य चक्र "पुरस्कार विजेता थी।" ब्लॉग के हिस्से में सक्सेना लिखती हैं, "कारगिल युद्ध के बाद उत्तर प्रदेश के एक नागरिक संगठन द्वारा मुझे शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अधिकतर न्यूज़ वेबसाइट ने 'वीर' को 'चक्र' में बदल दिया। मैंने फ़िल्म के प्रमोशन के दौरान कई बार यह स्पष्ट किया था। अब इसके लिए क्या मुझे दोष देना उचित है?"