सोशल मीडिया पर वायरल एक तस्वीर जिसमें पुलिसकर्मी नागरिकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ पोस्टर लेकर बैठे दिखाई देते हैं, वो फ़र्ज़ी और फ़ोटोशॉप्ड है | यह ऐसी दूसरी तस्वीर है जिसमें पुलिस को अधिनियम के ख़िलाफ प्रदर्शन में शामिल होते दिखाया गया है |
यह तस्वीर उस वक़्त वायरल हो रही है जब भारत के कई राज्यों में पुलिस दल प्रदर्शनों को रोकने की भरसक कोशिश कर रहे हैं | यह प्रदर्शन नागरिकता संधोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर ने ख़िलाफ हैं | अब तक प्रदर्शनों में करीब 17 लोगों की मौत हो चुकी है जिसका कारण पुलिस के साथ झड़प रहा है |
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इस तस्वीर में पुलिसकर्मियों को तीन पोस्टर लिए हुए देखा जा सकता है, 1 - 'नो सीएए, नो एनआरसी', 'वी अपोस एनआरसी एंड सीएए', और 'मासूमों पर लाठीचार्ज हमसे न हो पाएगा'. यह तीनों पोस्टर फ़र्ज़ी हैं और डिजिटल तरीके से वास्तविक तस्वीर से छेड़ छाड़ कर बनाए गए हैं |
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फ़ैक्ट चेक
तस्वीरों को ध्यान से देखने पर मालूम होता है की इनके कोने अस्तव्यस्त हैं जो यह बताता है की इनसे डिजिटल रूप से छेड़छाड़ हुई है |
रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है की यह तस्वीर वास्तविक तौर पर 5 नवंबर, 2019 की है जब पुलिसकर्मियों ने दिल्ली पुलिस मुख्यालय तक लॉयर और पुलिसकर्मी के बीच हुई मुठभेड़ के ख़िलाफ प्रदर्शन में मार्च किया था |
2 नवंबर, 2019 को तिस हज़ारी कोर्ट परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच पार्किंग को लेकर एक बड़ी मुठभेड़ हुई थी | दोनों पक्षों के लोगों को काफी चोटें आयी थी और कई वाहन छतिग्रस्त हुए थे | इस घटना से पूरे देश को झटका लगा था |
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वास्तविक तस्वीर प्रेस ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया द्वारा ली गयी थी जो स्क्रॉल और कई न्यूज़ वेबसाइट द्वारा इस्तेमाल की गयी थी | वास्तविक तस्वीर में, "वी वांट जस्टिस", "कौन सुनेगा किसको सुनाए", "आज पुलिस कल?" जैसे वाक्य थे |