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फैक्ट चेक

वृन्दावन में पुजारी पर हुए हमले को दिया जा रहा है साम्प्रदायिक कोण

वृन्दावन पुलिस ने बूम को बताया कि इस मामले में रोहिंग्या या किसी भी मुसलमान के शामिल होने की ख़बर फ़र्ज़ी हैं ।

Credit -  Mohammed Kudrati |

12 May 2020 12:06 PM GMT

सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट्स का दावा है कि दो बांग्लादेशियों ने उत्तर प्रदेश के वृन्दावन शहर में एक पुजारी को पीटा । यह दावा फ़र्ज़ी है । वृन्दावन पुलिस ने बूम को बताया कि हमला एक अंदरूनी मामले के कारण किया गया था ।

फ़ेसबुक और ट्विटर पर यूज़र्स परेशान करने वाली तस्वीरें साझा कर रहे हैं । इन तस्वीरों में एक पुजारी दीवार के सहारे बैठे हैं । उनके सर से खून बह रहा है । यह दावा मंगलवार से सोशल मीडिया पर ज़ोरों से वायरल है ।

पोस्ट्स यह भी दावा करती हैं कि हमलावरों में दो लोग बांग्लादेशी थे और दो 'बाहरी' शख़्स थे, बाहरी दोनो फ़रार हैं ।

एक अलग फ़ेसबुक पोस्ट तो यह भी दावा करती है कि हमला मुसलमानों द्वारा किया गया था । तस्वीरें परेशान करने वाली होने की वजह से बूम ने इस लेख में नहीं रखा है ।

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बूम ने वृन्दावन पुलिस से संपर्क किया और पाया कि पुजारी पर हमला एक अंदरूनी विवाद के कारण हुआ था । एक आरोपी से पूछताछ की जा रही है और बाक़ी फ़रार हैं । वृन्दावन पुलिस थाने के प्रभारी संजीव कुमार ने यह भी बताया कि कोई भी आरोपी मुसलमान नहीं हैं ।

वृन्दावन पुलिस ने अपने सत्यापित ट्विटर हैंडल से इस फ़र्ज़ी ख़बर को ख़ारिज भी किया है ।

आई पी पटेल ने भी साम्प्रदायिक दावों के साथ इस तस्वीर को ट्वीट किया । इन्होंने पहले कई दफ़ा फ़र्ज़ी साम्प्रदायिक दावों के साथ पोस्ट्स की हैं ।

नीचे उनके अब डिलीट हो चुके ट्वीट का स्क्रीनशॉट देखें ।


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फ़ैक्ट चेक 

बूम ने मामले की तह तक जाने के लिए वृन्दावन पुलिस से संपर्क किया ।

वृन्दावन पुलिस थाना के प्रभारी संजीव कुमार ने बूम को बताया कि सारी सोशल मीडिया पोस्ट जो इस मामले को बांग्लादेशी मुस्लिमों का काम बता रही हैं, फ़र्ज़ी हैं ।

"इस मामले में कोई हिन्दू-मुस्लिम कोण नहीं है । यह सभी इमली तला मठ के पुजारी हैं | इस मामले में शामिल सभी वैष्णव संत हैं । केवल सेक्युरिटी गार्ड पुजारी नहीं है । वह एक स्थानीय नागरिक है । वह भी हिन्दू है । यह लड़ाई तब हुई जब मठ प्रमुख के अनुयायी और पुराने प्रमुख के बीच एक बंद कमरे को खोलने पर झगड़ा हो गया," एस.एच.ओ ने कहा ।

उन्होंने यह भी बताया कि केवल यही कारण था कि मारा पीटी हुई ।

"चार साल पहले ट्रस्ट के मुखिया के पद से हटाए जाने के बाद तमल कृष्णा दास मठ के कमरों में ताला लगाने लगे, कुछ दिन पहले भी यही किया । जब सेक्युरिटी गार्ड कमरा खोलने आया तो तमल दास ने उसे रोक दिया । गार्ड ने यह बात गोविंदा (एक आरोपी) को बता दी जिसने कमरा खोलने को कहा था," कुमार ने बूम को बताया ।

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इसके ऊपर मामला बढ़ गया और आरोपीयों में से एक ने पुजारी को मुक्का मारा । कुमार के अनुसार तमल कृष्णा दास की हालत में सुधार है ।

तमल कृष्णा दास ने कोई एफ.आई.आर दर्ज़ नहीं कि है इसलिए गिरफ़्तारी नहीं कि गयी हैं परंतु एक आरोपी – सच्चिदानंद – को पूछताछ के लिए बुलाया गया है ।

बूम को मथुरा पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पुलिस का एक ट्वीट मिला । उन्होंने ने भी इस ख़बर को फ़र्ज़ी बताते हुए खारिज़ किया है ।


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