मेरठ: कुष्ठ आश्रम के इस वीडियो के पीछे कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है
बूम ने पाया की वीडियो रामनवमी के दिन कुष्ठ आश्रम में बचा हुआ खाना दर्शाता है
कुष्ठ रोगियों के एक आश्रम में खाद्य पदार्थों का निरीक्षण करते हुए एक समूह का वीडियो झूठे साम्प्रदायिक दावों के साथ वायरल किया जा रहा है। इसे यह कहकर साझा किया जा रहा है की कोविड-19 के चलते जो खाद्य पदार्थ सरकार बाँट रही हैं मुसलमान उसको जमा कर रहे हैं।
बूम ने पाया की यह वीडियो उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के श्री विवेकानंद कुष्ठ आश्रम का है और इससे जुड़े साम्प्रदायिक दावे झूठे हैं। वीडियो में जो खाद्य पदार्थ नज़र आ रहे हैं, वे आश्रम को दान स्वरूप मिले हैं।
वायरल हुई क्लिप में तीन पुरुष बलपूर्वक आश्रम के कमरे में घुसकर ज़मीन पर पड़ी सामग्री का वीडियो बनाते नज़र आते हैं। इस कमरे की ज़मीन पर कई सूखी हुई पूड़ियाँ दिखती हैं और दूसरे कमरे में टीन के डब्बे दीवार से लगाकर रखे हुए नज़र आते हैं। इस वीडियो के साथ का कैप्शन कुछ ऐसा है - 'ये देखो शांतिदूतों द्वारा क्या हो रहा है, खाना लूटो और उसे खराब कर दो | किसी गरीब को खाना ना पहुँचने दो, ताकि सरकार बदनाम हो और गरीब भूखा मरे ! कैसी कौम है ये ????'
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वायरल हुए वीडियो में केसरी रंग का कुर्ता पहने एक पुरुष मोबाइल कैमरा की ओर देखकर कहता है 'यह एक कुष्ठ आश्रम है जहाँ हम सभी अभी-अभी पहुँचे हैं। यहाँ आकर हमें खाने की वस्तुओं की स्थिति का पता चला है। जैसा कि आप देख सकते हैं, ये सभी दरवाजे बंद हैं। हमने उन्हें एक दरवाजा खोलने के लिए कहा और आप खुद देख सकते हैं कि यहां क्या चल रहा है।' जैसे ही सब उस कमरे में प्रवेश करते हैं, एक पुरुष कहता है, 'आपने इतना खाना स्टॉक करके उसे सड़ने छोड़ दिया। आपने यह सब खाना खराब कर दिया है। एक अन्य व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'हमने उन्हें भोजन उपलब्ध कराने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डाल दिया है, लेकिन देखो कि उन्होंने इसके साथ क्या किया है।'' इसिके साथ यह वीडियो आकस्मिक समाप्त हो जाता है।
इस वीडियो को सीधा झूठे दावों के साथ मुसलमानों से जोड़ दिया गया है जबकि इसमें कहीं भी 'मुसलमान' शब्द का प्रयोग तक नहीं हुआ है। यह क्लिप फ़ेसबुक के कई पेजेज़ पर वायरल हो रहा है|
फ़ैक्ट चेक
जब बूम ने यह वीडियो देखा तब हमें 'कुष्ठ आश्रम' इस शब्द का प्रयोग इसमें सुनाई दिया। 'कुष्ठाश्रम में खाने की बर्बादी' - इस कीवर्ड सर्च के बाद हमें इसी क्लिप का लम्बा वर्शन मिला। यह वीडियो यूट्यूब पर 11 अप्रैल को जन टीवी के चिन्ह के साथ अपलोड किया गया था।
इसके साथ का विवरण कुछ ऐसा है 'मेरठ न्यूज़ | कुष्ठ आश्रम और गांधी आश्रम में खाने की बर्बादी, भूखा बताकर समाजसेवी ले जा रहे खाना |'
विडीओ के पहले कुछ सेकंड्ज़ में एक आदमी कहते हुए संयी देता है की 'महल के पीछे, हम कुष्ठ आश्रम में हैं …' इस संकेत से हमने जब गूगल पर कुष्ठ आश्रम और मेरठ - इन शब्दों को खोजा, तब हमें श्री विवेकानंद कुष्ठ आश्रम का पता मिला जो मेरठ के मुकुंद महल के पीछे बना हुआ है।
बूम ने अधिक जानकारी के लिए आश्रम से सम्पर्क किया।
आश्रम की देखरेख करने वाले नागेन्द्र पांडे से बात करने पर पता चला की यह वीडियो हफ़्तेभर पहले फ़िल्माया गया था। उन्होंने कहा की कुछ पुरुष, आश्रम का काम कैसे संभाला जा रहा है यह देखने का दावा करके आए थे। पांडेजी का कहना है की यह घटना राम नवमी यानी 2 अप्रैल के अगले दिन की है। उन्हें आस पास के घरों से कई पूड़ियाँ दान स्वरूप मिली थीं। जितना हो पाया, उन्होंने खाया किंतु काफ़ी बच गया जिसे वे पास के गौशाला में देने वाले थे। इसके अलावा 10 अप्रैल को बाटने के लिए भी खाना आश्रम में रखा गया था पर तब तक पूड़ियाँ सूख चुकी थीं। किंतु इन पुरुषों ने इसका वीडियो बनाकर, दावे के साथ वायरल कर दिया की आश्रम खाने की जमाख़ोरी कर रहा है।
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जब हमने पांडेजी से इस वीडियो को दिए गए साम्प्रदायिक मोड़ के विषय में पूछा तब उन्होंने कहा की आश्रम के सभी कर्मचारी हिन्दू हैं और तो और अडिशनल मैजिस्ट्रेट व सिटी मैजिस्ट्रेट ने आश्रम की जाँच करने पर कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया। इसके उपरांत बूम ने मैजिस्ट्रेट के ऑफ़िस व पुलिस के जनसम्पर्क अधिकारी से इस विषय में अधिक जानकारी ली। वायरल हुए वीडियो को मैजिस्ट्रेट ऑफ़िस के एक कर्मचारी को भेजा गया जिसने इस वीडियो के श्री विवेकानंद कुष्ठ आश्रम के होने की पुष्टि की।
उसी कर्मचारी ने आगे यह भी कहा की "यह वीडियो हिन्दू-मुसलमान की चर्चा से कोई सम्बंध नई रखता है। पता नहीं क्यों सभी लोग हर चीज़ को साम्प्रदायिक नज़रिया दे देते हैं। इस आश्रम में राम नवमी के त्योहार के कारण खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में थे। उन्होंने किसी भी प्रकार की जमाख़ोरी नहीं की है। सभी एन.जी.ओ व हर व्यक्ति जरूरतमंदों के लिए खाद्य पदार्थ और अन्य चीज़ों का दान करते हैं और यह लोग शहर के कुछ सबसे ज़्यादा जरूरतमंदों में से हैं।"
कोरोनावायरस जैसे ख़तरनाक वैश्विक बीमारी के चलते, जिसके कारण देश में 414 लोगों की मृत्यु व 12,300 संक्रमित हुए हैं, इस वीडियो को साम्प्रदायिकता का रूप दिया जा रहा है।