16 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में प्रदर्शन करने वालों को संबोधित करते हुए एक्टिविस्ट हर्ष मंदर का एक कंटा-छँटा वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसी के आधार पर दिल्ली पुलिस ने एक हलफ़नामा दायर किया है जिसमें उन पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ख़िलाफ अपमानजनक बयान देने का आरोप लगाया गया है।
दिल्ली पुलिस ने बुधवार को पुलिस कमिश्नर (लीगल सेल) राजेश देव के माध्यम से एक हलफ़नामा दायर किया, जिसमें मंदर की याचिका को ख़ारिज करने की मांग की गई है। हर्ष मंदर पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप लगाया गया है। बूम ने देव से संपर्क कर यह जानने की कोशिश की कि क्या हलफ़नामें में इसी क्लिप का इस्तेमाल किया है। लेकिन देव ने कोई टिप्पणी नहीं की।
मंदर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसमें दिल्ली दंगों की जाँच करने और उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने वाले नेताओं के ख़िलाफ कार्यवाही की माँग की है। इस मामले पर 4 मार्च, 2020 को अदालत में सुनवाई होनी थी, लेकिन अदालत पर उनकी टिप्पणियां का मामला सुलझने तक बेंच ने उनकी याचिका को सुनने से इंकार कर दिया।
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एक वेबसाइट लाइवलॉ के अनुसार, हलफ़नामें में, दिल्ली पुलिस ने कहा कि मंदर के भाषण ने हिंसा भड़काई और एक बड़ी सभा में लोगों के सामने सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ अपमानजनक टिप्पणी की है।
हलफ़नामें के एक अंश में लिखा है, "हर्ष मंदर एक भाषण दे रहे हैं, जो न केवल हिंसा को उकसा रहा है, बल्कि गंभीरअवमानना भी है क्योंकि यह लोगों की एक विशाल सभा में भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ख़िलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हैं।"
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने 55 सेकंड लंबी क्लिप ट्वीट की और दावा किया कि मंदर ने सुप्रीम कोर्ट के ख़िलाफ घृणित नारे लगाए।
क्लिप में, मंदर को यह कहते हुए सुना जा सकता है: "लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं लड़ी जाएगी। क्योंकि हम देख रहे हैं ...एनआरसी, अयोध्या, कश्मीर के मामलों के संबंध में, सर्वोच्च न्यायालय ने मानवता, समानता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए एक उदाहरण स्थापित नहीं किया है। हम निश्चित रूप से पीछा करेंगे, यह हमारा सर्वोच्च न्यायालय है, लेकिन निर्णय न तो संसद में लिया जाएगा, न ही सर्वोच्च न्यायालय में। इस देश का भविष्य, आप सभी युवा हैं, आप अपने बच्चों को किस तरह का देश देना चाहते हैं ... यह कहां तय किया जाएगा? ... सड़कों पर। और यही वजह है कि हम सभी सड़कों पर हैं।" पीछे तालियों की गड़गड़ाहट सुनी जा सकती है।
अब फ़ैसला संसद या SC में नहीं होगा। SC ने अयोध्या और कश्मीर के मामले में secularism की रक्षा नहीं की। इसलिए फ़ैसला अब सड़कों पर होगा।
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 4, 2020
This man Harsh Mander, who wrote the draconian CVB, is in HC to get FIRs against people for hate speech... And a judge gave him midnight hearing! pic.twitter.com/zrXYyBxfE3
टाइम्स नाउ ने मंदर के भाषण पर प्राइम टाइम डिबेट चलाई और उन पर भाषणों द्वारा उकसाने का आरोप लगाया।
Imagine Arundhati Roy trapped in a man's body, where the man is @RahulGandhi. That is @harsh_mander for you: @ARanganathan72, Author tells Rahul Shivshankar on INDIA UPFRONT. | #ShaheenSadakShocker pic.twitter.com/pbXz86hsWR
— TIMES NOW (@TimesNow) March 4, 2020
यह वीडियो ऐसी ही कहानियों के साथ फेसबुक पर भी वायरल है।
फ़ैक्ट चेक
कई नेटिज़न्स ने कहा कि मंदर के वीडियो, जहां वह 16 दिसंबर को जामिया मिलिया के बाहर भीड़ को संबोधित कर रहे थे, को एडिट किया गया है और ग़लत संदर्भ के साथ शेयर किया गया था। भाषण के वास्तविक और लंबे रूप में, मंदर विरोध के प्रति अहिंसक दृष्टिकोण पर जोर देते हैं।
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ये उनके लिए जो हर्षमंदर का सलेक्टिवली एडिटेड वीडियो शेयर कर रहे हैं।https://t.co/Zj8jHlmFTp
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 4, 2020
मंदर ने कहा कि लड़ाई केवल सीएए तक सीमित नहीं है बल्कि यह देश के संविधान की रक्षा करने का प्रयास है। मंदर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि सरकार की लड़ाई भारतीय मुसलमानों के ख़िलाफ नहीं है, बल्कि भारत की विविधता में अद्वितीय एकता के ख़िलाफ है, जो स्वतंत्रता संग्राम के बाद प्राप्त हुई थी।
मंदर ध्रुवीकरण के लिए सत्ताधारी पार्टी पर कटाक्ष करते हैं और पार्टी की तुलना मोहम्मद अली जिन्ना से करते हैं। भाषण में तीन मिनट बारह सेकंड पर मंदर जोर देते हुए कहते हैं कि हर कोई देश की विशिष्ट पहचान की रक्षा के लिए सड़कों पर क्यों है।
वह कहते हैं, "हम कहते हैं कि यह एक देश है - हिंदुस्तान। और इस देश में मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, नास्तिक, दलित, आदिवासी, अमीर, गरीब, पुरुष और महिला होंगे - इस देश में सभी को समान अधिकार प्राप्त है। और जो कोई भी इन अधिकारों को छीनने का दावा करता है, उन्हें रोक दिया जाएगा। इस देश में विरोध प्रदर्शनों की लहर है। और यह हमारे संविधान के प्रति प्रेम की रक्षा करना और इसे बचाना है। हम इसे बचाने के लिए सड़कों पर हैं और रहेंगे।" मंदर इसके बाद आगे कहते हैं," देखिए यह युद्ध संसद में नहीं जीता जा सकता। हमारी पार्टियां कहती हैं कि वे धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन उनके पास लड़ने के लिए इतनी मजबूत नैतिकता नहीं है।"
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4 मिनट 40 सेकंड पर, मंदर फिर सुप्रीम कोर्ट को संदर्भित करते है। इसी अंश का दावा है कि मंडेर ने जामिया में एक भड़काऊ भाषण दिया था। मंडेर को निम्नलिखित कहते हुए सुना जा सकता है।
"लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं लड़ी जाएगी। क्योंकि हम देख रहे हैं ... अतीत में, एनआरसी, अयोध्या, कश्मीर के मामलों के संबंध में, सुप्रीम कोर्ट ने मानवता, समानता और धर्मनिरपेक्षता की रक्षा के लिए एक उदाहरण स्थापित नहीं किया है। हम निश्चित रूप से पीछा करेंगे, यह हमारा सर्वोच्च न्यायालय है, लेकिन निर्णय न तो संसद में लिया जाएगा, न ही सर्वोच्च न्यायालय में। इस देश का भविष्य, आप सभी युवा हैं, आप किस तरह का देश देना चाहते हैं। बच्चों ... यह कहां तय किया जाएगा? एक ... सड़कों पर। और यही कारण है कि हम सभी सड़कों पर हैं।"
5 मिनट 37 सेकंड पर, मंदर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि इस युद्ध का निर्णय हमारे दिलों में लेना होगा और कैसे नफरत केवल अधिक घृणा को जन्म दे सकती है। "तुम्हारे दिल और मेरे दिल।" बाद में वह कहते है, "वे हमें घृणा से भरना चाहते हैं। यदि हम उन्हें उसी के साथ जवाब देंगे, तो यह अधिक घृणा को जन्म देगा।"
नीचे पूरा भाषण सुनें।