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फ़ैक्ट चेक

क्या गुड मॉर्निंग मेसेज भेजने पर लगने जा रहा है 18 प्रतिशत GST?

वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि अप्रैल के महीने से व्हाट्सएप्प पर गुड मॉर्निंग सन्देश भेजने पर 18 प्रतिशत गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लगने जा रहा है.

By - Saket Tiwari | 21 Jan 2021 11:48 AM GMT

'गुड मॉर्निंग मैसेज पर लगेगा 18 % GST' हैडिंग के साथ वायरल एक न्यूज़पेपर क्लिप का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल है. आपको बता दे कि ये ख़बर है दरअसल 'अप्रैल फ़ूल' के मज़ाक के रूप में छापा गया था. केंद्र सरकार ने ऐसा कोई ऐलान नहीं किया है.

बूम ने पड़ताल में पाया कि हालांकि वायरल लेख कहीं भी उल्लेख नहीं करता कि यह एक 'मज़ाक' है, लेख के निचले सिरे पर लिखा है, 'बुरा न मानों होली है'. कई अन्य रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह एक 'अप्रैल फ़ूल' लेख है. इसके अलावा केंद्र सरकार के सम्बंधित विभागों ने इस सूचना के सम्बंधित कोई ऐलान नहीं किया है.

इस ख़बर के शीर्षक के अलावा शुरूआती हिस्से में लिखा है: "नई दिल्ली: अगर आप भी सुबह-सुबह अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और जानने वालों को गुड मॉर्निंग मेसेज भेजते हैं, तो सतर्क हो जाइए. नए फाइनैंशल ईयर में यह आपकी जेब पर भारी पड़ने जा रहा है. आने वाले 1 अप्रैल से जो गुड मॉर्निंग मेसेज भेजे जाएंगे, सरकार उन पर टैक्स लगाएगी. गुड मॉर्निंग टैक्स के रूप में इसकी वसूली जीएसटी की तर्ज पर होगी."

पोस्ट के साथ लिखा कैप्शन कहता है: "गुड़ मॉर्निंग मेसेज पर लगेगा 18% GST, और क्या क्या लगाएगी सरकार एक बार मे ही क्यो नही बता देते, पेट्रोल, डीजल, गेस, महंगाई, जॉब, बिजनेस, बैंक, सब पर तो पहले से ही ग्रहण लगा हुआ है बुरा न मानो होली है."

तस्वीर में दिख रही इमारत अमेरिका में बाबा साहब आंबेडकर की लाइब्रेरी नहीं है

ऐसे ही कुछ पोस्ट्स नीचे देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें.




भाजपा के नाम पर वायरल इस पत्र को पार्टी ने फ़र्ज़ी बताया

फ़ैक्ट चेक

बूम ने सबसे पहले जी.एस.टी, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ इनडाइरेक्ट टैक्स एंड कस्टम्स और फाइनेंस मंत्रालय की सरकारी वेबसाइटों को खंगाला. हमें इनमें कहीं कोई आर्डर या सूचना नहीं मिली जो 'व्हाट्सएप्प' या अन्य गुड मॉर्निंग संदेशों पर कोई भी कर लगाने की बात करता हो.

इसके अलावा हमें तीन साल पुरानी दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक़ वायरल क्लिप नवभारत टाइम्स की है. लेख में यह भी बताया गया है कि यह एक 'मज़ाक' था जो होली के दौरान प्रकाशित किया गया था. हालांकि इसे लोगों ने सच माना.

दैनिक भास्कर के मुताबिक़, "अखबार की कटिंग में खबर के अलावा तारीख या नाम नहीं लिखा हुआ था. लेकिन अखबारों में काम करने वाले लोगों को पता होता है कि हर अखबार की एक खास लिखावट और लेआउट होता है. बस यहीं से इस अखबार के बारे में अंदाजा लगा. ऐसी लिखावट और स्टाइल नव भारत टाइम्स यानी NBT अखबार की है. क्रॉस चेक किया गया तो अंदाजा सही साबित हुआ. एनबीटी के 2 मार्च के दिल्ली एडिशन में ये खबर सबसे ऊपर छपी हुई थी. जो वॉट्सएप से लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. लेकिन अखबार के नीचले हिस्से में लिखा था कि बुरा ना मानो होली है. यानी होली के दौरान मजाक की तरह खबर छापी गई थी. यानी इस खबर की कोई सच्चाई नहीं है. वायरल हो रही खबर पूरी तरह से झूठ है."


कई और मीडिया हाउस ने इसे फ़र्ज़ी बताया है. यहां और यहां पढ़ें.

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