मंच पर बुर्क़ा पहने महिलाओं का एक समूह दिखाती एक तस्वीर, जिसके बैकग्राउंड में 'दिल्ली मोर्चा (दिल्ली रैली) लिखा है, सोशल मीडिया पर खूब वायरल है. कैप्शन और हैशटैग के साथ दावा किया जा रहा है कि वे किसान आंदोलन (Farmers Protest) को हाईजैक करने वाले 'फ़र्ज़ी किसान' हैं. तस्वीर के साथ हैशटैग में 'खालिस्तान, खालिस्तानी, किसान प्रोटेस्ट हाईजैक' जैसे शब्द शामिल हैं.
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर गाज़ीपुर बॉर्डर की है जहाँ मलेरकोटला, पंजाब की मुस्लिम महिलाओं का एक समूह प्रदर्शनकारी किसानों को समर्थन देने के लिए पहुंचा था। बूम ने इस तस्वीर को एक गैर-राजनीतिक किसान संघ, भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहन के सोशल मीडिया हैंडल पर पाया.
नमाज़ पढ़ते सिख व्यक्ति की एक पुरानी तस्वीर किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल
फ़ेसबुक पर तस्वीर शेयर करते हुए एक यूज़र ने हैशटैग के साथ कैप्शन में लिखा कि "ये वहीं हैं...जो कागज नहीं दिखाएंगे."
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
ट्विटर पर भी इसी दावे के साथ तस्वीर वायरल है.
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
फ़ेसबुक पर वायरल
फ़ैक्ट चेक : कोका-कोला कंपनी ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है?
फ़ैक्ट चेक
बूम ने तस्वीर को रिवर्स इमेज पर सर्च किया तो दूसरे एंगल से ली गई ऐसी एक एक तस्वीर भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहन के फ़ेसबुक पर 14 जनवरी 2021 को पोस्ट हुई मिली.
तस्वीर को बिल्कुल अलग एंगल से पेश किया गया है.
हमने पाया कि यही तस्वीर बीकेयू एकता उग्राहन के इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी अपलोड की गई थी.
तस्वीर के साथ गुरुमुखी में कैप्शन दिया गया, जिसका अनुवाद है 'किसानों के समर्थन में मुस्लिम समुदाय सामने आया. मलेरकोटला (पंजाब) से मुस्लिम महिलाओं का एक समूह पकोड़ा चौक मंच पर पहुंचा. उन्होंने क्रांतिकारी गीत गाए और संबोधित भी किया'.
(मूल कैप्शन: ਮੁਸਲਮਾਨ ਭਾਈਚਾਰਾ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ਵਿਚ ਆਇਆ ਮਾਲੇਰਕੋਟਲਾ (ਪੰਜਾਬ) ਤੋਂ ਮੁਸਲਮਾਨ ਔਰਤਾਂ ਦਾ ਜੱਥਾ ਪਕੌੜਾ ਚੌਂਕ ਸਟੇਜ ਤੇ ਪਹੁੰਚਿਆ। ਇਨਕਲਾਬੀ ਗੀਤ ਗਾਏ, ਸੰਬੋਧਨ ਵੀ ਕੀਤਾ)
बूम ने बीकेयू एकता उग्राहन के सदस्यों में से एक से संपर्क किया ताकि उस तस्वीर के बारे में अधिक जानकारी मिल सके, जिसने हमें बताया कि तस्वीर 14 जनवरी को गाजीपुर सीमा के पास क्लिक की गई थी.
"मलेरकोटला की महिलाओं का एक समूह गाजीपुर की सीमा पर किसानों को समर्थन देने के लिए आया था. यह एक किसान विरोध है, इसलिए सभी धर्मों और लोगों के लोग समर्थन में आ रहे हैं. इस समूह में छात्रों और किसानों के परिवार के सदस्यों को भी शामिल किया गया था, "बीकेयू एकता उग्राहन सदस्य ने बूम को बताया.
तस्वीर में दिख रही इमारत अमेरिका में बाबा साहब आंबेडकर की लाइब्रेरी नहीं है
बूम पहले भी किसान आंदोलन के बारे में फ़र्ज़ी ख़बरों का खंडन कर चुका है, जिसमें प्रदर्शनकारी किसानों से जोड़कर फ़र्ज़ी जानकारियां, पुरानी और असंबंधित तस्वीरों और वीडियो शेयर करके उन्हें निशाना बनाया गया था.