तीन मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) को ज़ंजीर (Chain) में बंधे हुए दिखाती एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. दावा किया गया है कि ये तस्वीर अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान के नियंत्रण के बाद महिलाओं की हालिया स्थिति दिखाती है. तस्वीर में बुर्क़ा पहने तीन महिलाओं के आगे एक व्यक्ति चल रहा है. उसके हाथ में एक ज़ंजीर है जिसे महिलाओं के पैर में बांधा गया है.
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर फ़ोटोशॉप्ड है. हमने फ़ोटोग्राफर मुरात दुज़योल से संपर्क किया जिन्होंने असल तस्वीर क्लिक की थी. उन्होंने बताया कि यह तस्वीर इराक़ के एरबिल शहर की है और उन्होंने इसे साल 2003 में क्लिक की थी.
क्या Viral video में तालिबान ने अफ़ग़ानी महिलाओं की बोली लगाई है?
15 अगस्त को अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण में आने के बाद से महिलाओं की स्थिति को लेकर कई फ़र्ज़ी और भ्रामक दावे सोशल मीडिया पर वायरल हैं.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा, "कहते है कर्म का नियम अटल है. कभी इसी अफगानिस्तान की धरती पर महमूद गज़नवी ने हिन्दू बेटियों को बेचा था , #दुख्तरे_हिन्द ...#दो_दीनार....आज वही मुस्लिम लड़कियों को कौड़ियों के भाव बेचा और लुटा जा रहा है. ये है अमन के मसीहा.....।"
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
लंदन में एक street play की पुरानी तस्वीर अफ़ग़ानिस्तान से जोड़कर वायरल
फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर 18 साल पुरानी है, जिसमें फ़ोटोशॉप की मदद से महिलाओं के पैरों में ज़ंजीर जोड़ी गई है. असल तस्वीर में तीनों महिलाओं के पैरों में किसी तरह की ज़ंजीर नहीं है.
हमें यह तस्वीर फ़िफ्टी शेड्स ऑफ़ ग्रे हेयर में साल 2014 के एक ब्लॉग, मॉडर्न डिप्लोमेसी के 2017 के आर्टिकल और द डेली अफ़ग़ानिस्तान में प्रकाशित 2018 के एक आर्टिकल में मिली.
हालांकि, उपर्युक्त लेखों में यह स्पष्ट नहीं है कि असल में यह तस्वीर कब और कहां की है. लेकिन इस बात की पुष्टि ज़रूर होती है कि तस्वीर में बुर्क़ा पहने तीनों महिलाओं के पैरों में ज़ंजीर नहीं है. यह तस्वीर पुरानी है और अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान द्वारा महिलाओं के प्रति क्रूरता से संबंधित नहीं है, जैसा कि वायरल पोस्ट्स में दावा किया गया है.
हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए यह जानने की कोशिश की कि असल तस्वीर कब और कहां से है. इस दौरान TrekEarth पर यही तस्वीर मिली. इसमें जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह तस्वीर इराक़ के बग़दाद की है और इसे फ़ोटोग्राफर मुरात दुज़योल ने साल 2003 में क्लिक की थी.
बूम ने फ़ोटोग्राफर मुरात दुज़योल से संपर्क किया. वो तुर्की के इस्तांबुल में रहते हैं. उन्होंने बताया कि "मैंने 2003 में यह फ़ोटो लिया था. उत्तरी इराक के एरबिल शहर में शुक्रवार की प्रार्थना के बाद मारे गए इराकी नागरिकों के लिए एक शोक समारोह आयोजित किया गया था. लोग जब अपने घरों को लौट रहे थे, तब यह फ़ोटो क्लिक की थी. यह पूरी तरह से तत्काल स्नैपशॉट है और पूरी तरह से प्राकृतिक है."
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बूम के साथ मुरात दुज़योल ने ओरिजिनल तस्वीर शेयर की. नीचे देखें.
उन्होंने बताया कि "महिलाएं एक-दूसरे को जानती थीं, लेकिन मुझे यकीन नहीं है कि वे उस पुरुष को जानती थी. दूसरे खाड़ी युद्ध के दौरान मैं कई बार इराक़ गया और एक पत्रकार के रूप में तस्वीरें लीं. मैं उस समय तुर्की में एक दैनिक समाचार पत्र के लिए काम कर रहा था और अधिकारिक रूप में इराक़ गया था.
उन्होंने आगे कहा कि दुर्भाग्य से, मेरी कई तस्वीरों में हेरफेर किया गया है. लेकिन ये तस्वीर ज़्यादातर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही हैं. इसके बारे में मैं कई बार लोगों को आगाह कर चुका हूं लेकिन नतीजा नहीं निकला.
हमने वायरल तस्वीर और मूल तस्वीर के साथ तुलना की है. नीचे देखें.
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