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फैक्ट चेक

वाराणसी में किडनी चुराते साधुओं के पकड़े जाने के भ्रामक दावे से वीडियोज वायरल

बूम ने अपनी जांच में पाया कि दोनों ही वीडियो का आपस में कोई संबंध नहीं है और वीडियो में दिख रहे साधु किडनी चोरी करते नहीं पकड़े गए थे.

By -  Runjay Kumar |

7 Sept 2022 5:22 PM IST

सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है, जिसमें भगवा वस्त्र धारण किए हुए कुछ लोग ज़मीन पर बैठे हुए हैं और वहां पुलिस के कुछ जवान भी खड़े दिखाई दे रहे हैं. वायरल वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि "वीडियो में दिख रहे लोग साधु हैं जो वाराणसी के बीरा पट्टी गांव में किडनी चोरी करते पकड़े गए हैं".

उक्त वीडियो को एक और वीडियो के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें तीन बच्चे का शव दिखाई दे रहा है. साथ ही वहां मौजूद लोगों के रोने की आवाज़ भी सुनाई दे रही है. वीडियो में संवेदनशील दृश्य होने के कारण हम उसे आपको दिखा पाने में असमर्थ हैं.

दोनों वायरल वीडियो को वायरल दावे के साथ कई फ़ेसबुक और ट्विटर अकाउंट से शेयर किया गया है.

पाकिस्तान के पुराने वीडियो को भाजपा सांसद से जोड़कर शेयर किया जा रहा है

हालांकि हमने अपनी जांच में पाया कि दोनों वीडियो का आपस में कोई संबंध नहीं है. इतना ही नहीं वीडियो में दिख रहे साधु किडनी चोरी करते नहीं पकड़े गए थे. बल्कि वाराणसी के बीरा पट्टी इलाक़े में कुछ लोगों ने बच्चा चोरी की अफ़वाह में इन साधुओं के साथ मारपीट की थी, जिसके बाद पुलिस ने इन सभी लोगों को भीड़ से बचाकर और उनके नाम एवं पते की जांच कर उन्हें छोड़ दिया था.

फ़ेसबुक अकाउंट द्वारा शेयर किए दोनों वीडियो को इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसमें लिखा हुआ है "वाराणसी क्षेत्र के बीरा पट्टी गांव में 28 साधू किडनी चोरी करके बच्चों को मौत के घाट उतारते रंगे हाथ पकड़े गए, बहुत दुःखद घटना दिल दहल जा रहा है देख कर".


वहीं ट्विटर पर भी इसी तरह के दावे के साथ दोनों वीडियो को शेयर किया गया है.

वायरल दावे वाले कई अन्य फ़ेसबुक पोस्ट्स को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है.

फ़ैक्ट चेक

बूम ने वायरल वीडियोज के साथ किए जा रहे दावे वाले ट्वीट्स को खंगालना शुरू किया तो हमें एक ट्विटर अकाउंट पर वाराणसी ग्रामीण पुलिस के द्वारा किया गया एक रिप्लाई मिला. वाराणसी ग्रामीण पुलिस ने 4 सितंबर 2022 को एक यूज़र के द्वारा किए गए ट्वीट के रिप्लाई में वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा था कि यह वीडियो वाराणसी ग्रामीण क्षेत्र का नहीं है.


इसी दौरान हमें वाराणसी ग्रामीण पुलिस के द्वारा किया गया दो और ट्वीट मिला. दोनों ही ट्वीट में पुलिस ने वायरल वीडियो के साथ किए जा रहे दावे का खंडन किया है.


वाराणसी ग्रामीण पुलिस की तरफ़ से किए गए ट्वीट में कहा गया कि सोशल मीडिया पर बीरापट्टी गांव का बताकर एक वीडियो वायरल किया जा रहा है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि कुछ साधुओं को बच्चों की किडनी निकालते हुए पकड़ा गया है. जबकि बीते 1 सितंबर को थाना बड़ागांव क्षेत्र के इंद्रवार गांव के लोगों ने उनके यहां घूमकर भिक्षा मांगने वाले कुछ साधुओं पर संदिग्ध गतिविधियों का शक जताया था. जिसके बाद पुलिस ने सभी साधुओं को थाने बुलाकर पूछताछ किया था.

हालांकि वाराणसी पुलिस ने अपने ट्वीट में यह भी साफ़ किया कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो वाराणसी ग्रामीण नहीं का है.

इस संबंध में वाराणसी ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक ने भी बयान जारी किया है, जिसे वाराणसी ग्रामीण पुलिस के ट्विटर अकाउंट से भी ट्वीट किया गया है.


वाराणसी पुलिस के तरफ़ से ज़ारी किए गए बयान से यह तो साफ़ हो गया कि वायरल दावा फ़र्ज़ी है. 

लेकिन हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए बच्चे के शव वाले वीडियो और साधुओं वाले वीडियो के वास्तविक स्थान का पता लगाने की कोशिश की. इसके लिए हमने रिवर्स इमेज सर्च और कीवर्ड सर्च जैसे टूल भी इस्तेमाल किए. लेकिन हम बच्चे के शव वाले वीडियो के स्थान के बारे में पता लगाने में सफ़ल नहीं रहे.

हालांकि हमने साधुओं वाले वीडियो के वास्तविक स्थान का पता लगा लिया. हमने पाया कि यह वीडियो वाराणसी ग्रामीण के बड़ागांव थाना क्षेत्र के बीरापट्टी इलाक़े का है.

साधुओं वाले वायरल वीडियो की जांच के दौरान हमें इसी से मिलता जुलता एक और वीडियो यूट्यूब पर भी मिला, जिसमें दिख रहे दृश्य वायरल वीडियो की तरह के ही थे.

चूंकि वाराणसी ग्रामीण पुलिस ने अपने ट्वीट में बड़ागांव थाने का जिक्र किया था. इसलिए हमने उक्त वीडियोज की जांच के लिए बड़ागांव थाने के एसएचओ से संपर्क किया.

बड़ागांव थाने के एसएचओ ने हमें जानकारी देते हुए यह बताया कि साधु वाले दोनों ही वीडियो उनके थाना क्षेत्र के बीरा पट्टी इलाके के हैं और उसमें दिख रहे पुलिस कांस्टेबल उनके ही स्टाफ़ हैं. उन्होंने हमें यह भी बताया कि वीडियो में दिख रहे साधु इलाक़े में भिक्षा मांग रहे थे, उसी दौरान कुछ लोगों ने बच्चा चोरी का आरोप लगाकर साधुओं के साथ मारपीट की थी. जब इसकी सूचना पुलिस को मिली तो पुलिस मौके पर पहुंची और उन लोगों को भीड़ से बचाया. पुलिस ने बाद में सभी साधुओं के नाम और पते की जांच की, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला, जिसके बाद पुलिस ने सभी साधुओं को छोड़ दिया.

इसके अलावा हमने उनसे बच्चों के शव वाले वीडियो के बारे में भी पूछा. उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि हमें अभी तक उस वीडियो के वास्तविक स्थान के बारें में कोई जानकारी पता नहीं लग पाई है.

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