फैक्ट चेक

उत्तरकाशी टनल हादसे से नहीं है इस फोटो का संबध, वायरल दावा भ्रामक है

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल फोटो 2019 से ही इंटरनेट पर मौजूद है. उत्तरकाशी टनल में फंसे मजदूरों से इसका कोई संबंध नहीं है, इसमें फंसे मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.

By - Jagriti Trisha | 2 Dec 2023 4:14 PM IST

उत्तरकाशी टनल हादसे से नहीं है इस फोटो का संबध, वायरल दावा भ्रामक है

सोशल मीडिया पर कुछ दिनों से एक फोटो वायरल है. फोटो में एक उम्रदराज़ माइन वर्कर सेफ्टी कैप पहने सुरंग में बैठे दिख रहे हैं. फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह उत्तराखंड के सिल्क्यारा टनल में फंसे मजदूर की तस्वीर है.

ग़ौरतलब है कि सिल्क्यारा टनल में बीते 12 नवंबर को उसका एक हिस्सा ढह जाने से 41 मजदूर फंस गए थे, जिन्हें 17 दिनों के प्रयास के बाद 28 नवंबर को सुरक्षित निकाल लिया गया है.

इस हादसे के बाद से ही यह फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है, जिसे बूम ने अपनी जांच में गलत पाया. 

सोशल मीडिया पर एक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा कि "चांद पर पहुंचने से क्या फायदा? यदि आप 10-15 दिनों तक सुरंग में फंसे मजदूरों तक नहीं पहुंच सकते?"




ऐसे ही मिलते-जुलते कैप्शन्स और दावों के साथ अन्य फेसबुक यूजर्स ने भी इसे शेयर किया है. यहां और यहां देखें.

X (ट्विटर) और इंस्टाग्राम पर भी यूजर्स ने इसे सिल्क्यारा टनल हादसे से जोड़ते हुए ऐसे ही दावों के साथ शेयर किया है.


फैक्ट चेक

सबसे पहले बूम ने इन दावों से जुड़े कीवर्ड्स सर्च किए. सर्च करने पर हमें उत्तराखंड के सिल्क्यरा से जुड़ी ऐसी किसी मजदूर की तस्वीर नहीं मिली.

आगे हमने न्यूज रिपोर्ट्स देखे, न्यूज पोर्टल बीबीसी और दैनिक भास्कर के अनुसार, उत्तरकाशी के सिल्क्यारा टनल में फंसे सभी 41 मजदूरों को घटना के 17 दिनों बाद यानी 28 नवंबर को सकुशल निकाल लिया गया. हमें किसी भी रिपोर्ट में ऐसे किसी मजदूर की फोटो नहीं मिली जो वायरल फोटो से मैच करती हो. 




आगे हमने रिवर्स इमेज के जरिए सर्च किया तो हमें 2019 और 2020 के कई पोस्ट मिले. इन पोस्ट में अलग-अलग कैप्शन के साथ इस वायरल तस्वीर को पोस्ट किया गया था. सबसे पहले हमें 2 मई 2019 की एक पोस्ट मिली. फेसबुक यूजर कासिम सुल्तानी ने इसे पोस्ट करते हुए लिखा था, "सबसे दर्दनाक तस्वीर, चालीस साल के महाभियोग युद्ध की कहानी!" (फ़ारसी से अनुवाद). इसके बाद हमें 'ओल्ड एज केयर ट्रस्ट' नाम के फेसबुक हैंडल से 25 दिसंबर 2020 की एक पोस्ट मिली, जिसमें इस फोटो के साथ डोनेशन की अपील की गई थी. आगे हमें 28 सितंबर 2020 की भी एक फेसबुक पोस्ट मिली, जिसमें यूजर ने 'मेहनती पिता के सम्मान में' कैप्शन के साथ इस फोटो को शेयर किया था. 




बूम ने पड़ताल के दौरान इन फेसबुक पोस्ट और कमेंट सेक्शन को पढ़ा तो पाया कि कुछ यूजर्स ने इस फोटो का संबंध पकिस्तान से बताया है. हमने इससे जुड़े कीवर्ड्स आदि भी सर्च किए पर हमें वायरल फोटो से संबधित कोई ऐसी रिपोर्ट या तस्वीर नहीं मिली जो इस बात की पुष्टि करती हो कि यह तस्वीर कब और कहां की है.



इससे यह  साफ है कि वायरल फोटो का उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल से कोई संबंध नहीं है क्योंकि यह पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है. हालांकि बूम इसकी पुष्टि नहीं कर पाया कि यह तस्वीर कहां और कब की है.


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