सोशल मीडिया पर एक मैसेज बड़े पैमाने पर वायरल हो रहा है, जिसमें कहा गया है कि राजस्थान में यदि कोई व्यक्ति मदरसा या मस्जिद की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है, मदरसा-मस्जिद के स्टाफ़ के काम में बाधा डालता है या उन्हें डराता व धमकाता है तो उनके ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता 427 एवं लोक संपत्ति अधिनियम 1985 के तहत तीन साल क़ैद की सज़ा हो सकती है. दावा है कि अशोक गहलोत सरकार ने क़ानून में संशोधन करते हुए इसे ग़ैर-ज़मानती अपराध करार दिया है.
बूम ने पाया कि वायरल मैसेज फ़र्ज़ी है. राजस्थान पुलिस ने स्वयं इसका खंडन किया है.
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हाल ही में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट करके मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मुस्लिम रेहड़ी-पटरी और ठेला लगाने वालों के साथ मारपीट की घटना पर चिंता जताई थी, साथ ही कहा था राजस्थान में सांप्रदायिकता बढ़ाती किसी भी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. उसी पृष्ठभूमि में वायरल पोस्ट शेयर किया गया है.
फ़ेसबुक पर वायरल पोस्ट शेयर करते हुए एक यूज़र ने लिखा कि "राजस्थान सरकार के द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण IPc की धारा में मदरसा मस्जिद के संदर्भ में निर्णय लेकर तमाम आलम ए इस्लाम के लोगों को राहत पहुंचाने का एक शानदार गिफ्ट हिंदुओ को जन्माष्टमी पर दिया है अब अगर जिहादी आपके घर के आगे मजार या मस्जिद बनाते है और आप उनको रोकते है तो 3 साल के लिए आपको सीधे जेल होगी।कोई जमानत नही। आप आगे भी कांग्रेस को वोट देकर अपने घर में ही मजार बनवा सकते हो वो भी फ्री में।........."
वायरल पोस्ट फ़ेसबुक सहित ट्विटर पर बड़ी संख्या में शेयर किया गया है.
ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न देखने के लिए यहां क्लिक करें
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बूम ने वायरल मैसेज की सत्यता जांचने के लिए सबसे पहले मीडिया रिपोर्ट खंगाली. इस दौरान हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जो वायरल पोस्ट के दावे की पुष्टि करती हो. हालांकि, हमें कई मीडिया रिपोर्ट ज़रूर मिलीं जिसमें वायरल दावे का खंडन किया गया है.
हमें अपनी जांच के दौरान राजस्थान पुलिस का एक ट्वीट मिला, जिसमें वायरल मैसेज को फ़र्ज़ी करार दिया गया है. राजस्थान पुलिस ने ट्वीट में कहा कि "कुछ समय से शरारती तत्वों द्वारा आमजन को गुमराह करने के उद्देश्य से एक मैसेज #SocialMedia पर वायरल हो रहा है जो की मिथ्या एवं भ्रामक है. हमारा आपसे निवेदन है ऐसे किसी भी मैसेज को आगे फॉरवर्ड न करे. इस तरह के दुष्प्रचार करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है."
इसके अलावा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा ने ट्वीट करते हुए वायरल मैसेज को फ़र्ज़ी और भ्रामक बताया. उन्होंने कहा कि राजस्थान के संदर्भ में ऐसे झूठे और भ्रामक तथ्य वायरल करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी. सभी से आग्रह है कि इस प्रकार के दुष्प्रचार में शामिल होने से बचें और इसे प्रचारित-प्रसारित होने से रोकने में सहायक बनें."
राजस्थान पुलिस व मुख्यमंत्री के ओएसडी के ट्वीट से स्पष्ट हो जाता है कि वायरल मैसेज फ़र्ज़ी है.
बूम ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए यह जानने की कोशिश की, यदि वायरल मैसेज फ़र्ज़ी है तो मस्जिद और मदरसा की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने या स्टाफ़ के साथ दुर्व्यवहार होने की स्थिति में क़ानूनी तौर पर सज़ा का क्या प्रावधान है? बूम ने इस संदर्भ में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए अधिवक्ता सारिम नावेद से संपर्क किया.
उन्होंने बताया कि "मुझे वायरल मैसेज के बारे जानकारी नहीं है कि राजस्थान सरकार ने क्या संशोधन किये हैं लेकिन मस्जिद और मदरसा की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर आईपीसी में कोई विशिष्ट क़ानून नहीं है."
वायरल मैसेज में भारतीय दंड संहिता की दो धाराओं का ज़िक्र किया गया है.
आईपीसी धारा 427
यदि कोई व्यक्ति 50 रुपये या उससे ज़्यादा का नुक़सान करता है तो उसे दो साल का कारावास या आर्थिक दंड या फिर दोनों हो सकती है. यह एक ज़मानती, गैर-संज्ञेय अपराध है.
लोक संपत्ति अधिनियम 1985
हमने पाया कि आईपीसी में लोक संपत्ति के नुक़सान के निवारण का और उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिए 'लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984' है जबकि वायरल मैसेज में 1985 लिखा है, जोकि ग़लत है. इस अधिनियम के तहत लोक संपत्ति का अभिप्राय उस संपत्ति से है जिसका प्रयोग जल, प्रकाश, शक्ति या उर्जा के उत्पादन और वितरण के लिए किया जाता है, और तेल संबंधी प्रतिष्ठान, कारखाना, सीवेज संबंधी कार्यस्थल, लोक परिवहन या दूर-संचार का कोई साधन या इस संबंध में उपयोग किया जाने वाला कोई भवन, प्रतिष्ठान और संपत्ति.
इस अधिनियम के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति ऐसी किसी भी भी लोक संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण नुक़सान पहुंचाता है तो उसे 5 साल का कारावास या आर्थिक दंड या दोनों सज़ा से दंडित किया जा सकता है.