फर्स्टपोस्ट, क्विंट जैसे मीडिया आउटलेट ने एक भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित करते हुए दावा किया है कि अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा को 'बेटी बचाओ बेटी पढाओ 'अभियान के ब्रांड एंबेसडर भूमिका से हटा दिया गया है, क्योंकि अभिनेत्री ने नागरिक संशोधन अधिनियम विरोधी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ हिंसा की निंदा करते हुए ट्वीट किया था। बूम यह पुष्टि करने में सक्षम था कि चोपड़ा का कार्यकाल 2017 में समाप्त हो गया था, यानी नागरिकता कानून पारित होने से बहुत पहले।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। यह अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से उन गैर इस्लामी प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करता है, जो 2015 से पहले भारत आए थे। इस अधिनियम के ख़िलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिसके कारण देश के कुछ हिस्सों जैसे दिल्ली, यूपी, कर्नाटक और असम में हिंसा हुई।
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17 दिसंबर को, चोपड़ा ने सीएए के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा की निंदा करते हुए ट्वीट किया, "अगर ऐसा हरेक बार नागरिकों के विचार व्यक्त करने पर ऐसा होता है, तो #CAB को भूल जाइए, हमें एक बिल पास करना चाहिए और अपने देश को अब लोकतंत्र नहीं कहना चाहिए! मासूम इंसानों को अपनी बात कहने के लिए पीटा जा रहा है? BARBARIC।"
If this is what's gonna happen everytime a citizen expresses their view, forget #CAB, we should pass a bill and not call our country a democracy anymore! Beating up innocent human beings for speaking their mind? BARBARIC.
— Parineeti Chopra (@ParineetiChopra) December 17, 2019
ट्वीट के तुरंत बाद, द क्विंट, फ़र्स्टपोस्ट और प्रिंट प्रकाशित स्टोरी सहित कई मीडिया आउटलेट ने दावा किया कि चोपड़ा को 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' अभियान के ब्रांड ऐम्बैसडर की भूमिका से हटा दिया गया है। प्रकाशित स्टोरी ने अभिनेत्री के ट्वीट का जिक्र करते हुए दावा किया कि 'अभिनेत्री द्वारा कथित तौर पर जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पुलिस की बर्बरता के खिलाफ ट्वीट किए जाने के बाद परिणीति को हटा दिया गया।'
जागरण और टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह भी बताया कि चोपड़ा को उनके ट्वीट के कारण ब्रांड एंबेसडर की भूमिका से हटा दिया गया। स्टोरी का अर्काइव यहां और यहां पढ़ें।
फ़ैक्ट चेक
वायर न्यूज एजेंसी एएनआई ने शुक्रवार को एक ट्वीट किया था जिसमें महिला और बाल विकास मंत्रालय ने इस खबर का खंडन किया था। प्रवक्ता ने कहा "परिणीति चोपड़ा को सीएए के खिलाफ ट्वीट करने पर ब्रांड एंबेसडर के भूमिका से हटाए जाने की खबर झूठी, निराधार और दुर्भावनापूर्ण थी। उनका एमओयू अप्रैल 2017 तक 1 साल के लिए था। जिसे आगे नवीनीकृत नहीं किया गया।"
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Spokesperson of Women&Child Development Dept of Haryana Govt: News of Parineeti Chopra being dropped(for tweeting against #CAA) as brand ambassador of 'Beti Bachao, Beti Padhao' is false, baseless and malicious.MOU was for 1 year,till April, 2017.Thereafter MOU was never renewed pic.twitter.com/jcRBsvrNXM
— ANI (@ANI) December 21, 2019
चोपड़ा का जन्म अंबाला में हुआ था और उन्हें 2015 में 'बेटी बचाओ बेटी पढाओ' योजना के लिए ब्रैंड ऐम्बैसडर चुना गया था।
कुश्ती के लिए कांस्य ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक 2016 से योजना के ब्रांड एंबेसडर हैं।
बूम ने चोपड़ा से संपर्क किया और उनके द्वारा आधिकारिक जबाव प्राप्त करने पर कहानी को अपडेट करेंगे।
बिहार, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर प्रचलित लिंग-आधारित गर्भपात को कम करके बाल लिंगानुपात में सुधार के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना 22 जनवरी 2015 को शुरू की गई थी।