सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा जिसमें आगजनी के साथ एक भीड़ इमारत को तोड़ती दिख रही है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान में भीड़ ने हिंदू मंदिर को तोड़ कर उसे आग के हवाले कर दिया.
दरअसल पाकिस्तान में पिछले कुछ समय में इस तरह की कई घटनाओं को अंजाम दिया गया है जिसके सन्दर्भ में यह वीडियो वायरल है.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो दिसंबर 2020 का है. हाल में हुई किसी घटना से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है.
आटे के बोरे को लेकर लड़ते लोगों का पुराना वीडियो पाकिस्तान के हालिया संकट से जोड़कर वायरल
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'देखिए पाकिस्तान में 100 साल पुराना भगवान शिव के मंदिर को कैसे तोड़ा गया। और यहां सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बनने वाला राम जन्मभूमि मंदिर ना सिर्फ "हरे कीड़ों" को बल्कि कुछ तथाकथित सेकुलर हिंदुओ को खटक रहा है।'
फ़ेसबुक पर हाल ही का बताकर यह वीडियो काफ़ीवायरल है जिसे यहाँ, यहाँ और यहाँ देखा जा सकता है.
ट्विटर पर भी इस वीडियो को कई ब्लूटिक हैंडल्स ने शेयर किया है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वायरल वीडियो से स्क्रीनग्रैब निकालकर सर्च किया तो आजतक के यूट्यूब चैनल पर 31 दिसंबर 2020 को अपलोडेड वायरल वीडियो के समान वीडियो मिला.
डिस्क्रिप्शन में वीडियो को पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख्वा प्रांत के करक ज़िले का बताया गया है. वीडियो में पाकिस्तान पुलिस के हवाले से कहा गया है कि मंदिर के विस्तार के तहत हो रहे नए निर्माण से नाराज़ भीड़ ने नए निर्माण के साथ-साथ पुराने ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया.
घटना को लेकर आजतक पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने मंदिर पर हमले को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार दिया. उन्होंने मामले पर पुलिस से रिपोर्ट मांगी है और घटना में शामिल लोगों की तत्काल गिरफ्तारी के आदेश दिए हैं.
30 दिसंबर 2020 की बीबीसी हिंदी की वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में गुस्साई भीड़ ने ख़ैबर पख़्तूनख्वा प्रांत के करक ज़िले के एक गाँव में हिंदू संत की समाधि पर हमला कर उसे तोड़ दिया. रिपोर्ट के अनुसार भीड़ ने हिंदू संत परमहंस महाराज की समाधि के साथ तोड़फोड़ की.
31 दिसंबर 2020 को इंडिया टीवी ने भी इस घटना को कवर किया था
दैनिक भास्कर की 2 साल पहले की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए मंदिर को सप्ताह के भीतर दोबारा बनवाने का आदेश दिया और इसकी भरपाई मंदिर तोड़ने वाली भीड़ से वसूलने को कहा था.
इस घटना के लगभग एक साल बाद 09 नवंबर 2021 की बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने ख़ैबर पख़्तूनख्वा प्रांत के उसी मंदिर में दिवाली मनाई जिसे उपद्रवियों ने पिछले साल दिसंबर में तोड़ दिया था. इस मामले पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो हफ़्ते के भीतर इस मंदिर को फिर से बनाने का काम शुरू करने का आदेश दिया था. मरम्मत का काम लागभग पूरा हो चुका है. इसी अवसर पर सभी ने वहां त्यौहार मनाया.
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