सोशल मीडिया पर बैंगलोर का एक परेशान करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में एक पति अपने छोटे बच्चे के सामने अपनी पत्नी के साथ मारपीट करता दिख रहा है. इस वीडियो शेयर करते हुए यह सांप्रदायिक दावा किया जा रहा है कि मारपीट करता व्यक्ति मुस्लिम है और अपनी हिंदू पत्नी को इसलिए पीट रहा है क्योंकि उसने अपने बच्चे के जन्मदिन पर हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक दीपक जलाया.
बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वीडियो में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. इसमें दिख रहे पति-पत्नी दोनों मुसलमान हैं.
लगभग 2 मिनट के इस वायरल वीडियो में एक महिला अपने बच्चे का जन्मदिन मना रही है, तभी उसका पति कमरे में घुसता है और उसे पीटने लगता है. बाद में छोटा बच्चा भी अपने पिता के इशारे पर महिला को पीटना शुरू कर देता है.
वीडियो में मारपीट करते व्यक्ति की पहचान मोहम्मद मुश्ताक बताकर फेसबुक पर एक यूजर ने वीडियो को शेयर किया और लिखा, 'बंगलुरु में एक हिंदू लड़की ने आईटी प्रोफेशनल मोहम्मद मुश्ताक से शादी कर ली. अपने बच्चे के जन्मदिन पर उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज के मुताबिक दीपक जलाया. देखिए उसने उसके साथ कैसा व्यवहार किया. इसे हर हिंदू लड़की को और पूरे देश को जरूर देखना चाहिए. इसे इतना शेयर करें कि इस हरामी को किताबों में लाना पड़े...'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
दावे की पड़ताल के लिए हमने वीडियो से संबंधित कीवर्ड्स सर्च किए. इसके जरिए हमें 4 अक्टूबर 2022 के इंडिया टुडे में प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति मालीवाल ने वीडियो पर अपनी चिंता व्यक्त की थी और इस बारे में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पत्र भी लिखा था.
मालीवाल ने 3 अक्टूबर 2022 को अपने एक्स अकाउंट पर भी यह वीडियो शेयर किया था.
इंडिया टुडे इस की रिपोर्ट में आयशा नाम की महिला का एक वीडियो बयान भी शामिल है, जिसमें उसने दावा किया है कि उसे उसके पति मोहम्मद मुश्ताक से तलाक नहीं मिला और घटना के बाद उसने दूसरी शादी कर ली. साथ ही उसने यह भी आरोप लगाया कि मुश्ताक ने उसके खिलाफ 50 लाख रुपये का मानहानि का मुकदमा भी दायर किया.
इसके अलावा, हमने यह भी पाया कि पति मोहम्मद मुश्ताक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में बच्चे की कस्टडी के लिए याचिका दायर की थी. हालांकि, 21 दिसंबर 2021 के आदेश में उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी और उसे आयशा को मुआवजे के रूप में 50,000 रुपये देने के भी निर्देश दिए गए थे.
इस कोर्ट के आदेश में साफ तौर पर कहा गया था कि मोहम्मद मुश्ताक और आयशा बानू दोनों ही सुन्नी मुसलमान हैं. इसमें कहीं भी धर्म के आधार पर घरेलू विवाद का कोई जिक्र नहीं था.
इसके अतिरिक्त हमें ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के इंस्टाग्राम हैंडल पर आयशा बानो द्वारा दिया गया एक वीडियो बयान भी मिला. 1 नवंबर 2022 के इस पोस्ट में बताया गया था कि वायरल वीडियो वाली घटना साल 2015 की है, जब आयशा बानो अपने बेटे के दूसरा जन्मदिन मना रही थीं.