सोशल मीडिया पर एक वीडियो भ्रामक दावे के साथ काफ़ी ज़्यादा वायरल है. वीडियो क्लिप के साथ दावा किया जा रहा है यह दृश्य मानसून (Monsoon) के आगमन पर नर्मदा नदी (Narmada River) को साड़ी (Saree) पहनाये जाने का है. इस दावे के साथ वायरल यह वीडियो फ़ेसबुक पर खूब शेयर किया जा रहा है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल वीडियो क्लिप के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है और वीडियो में दिखाया गया दृश्य एक गुजराती फ़िल्म 'रेवा' का है.
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बता दें कि हिन्दू धर्म में नर्मदा नदी की मान्यता काफ़ी अधिक है. यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक से निकलती है. यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर अरब सागर में जा मिलती है. नर्मदा नदी मध्यप्रदेश और गुजरात की प्रमुख नदी है. इसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि नर्मदा नदी ही एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है.
फ़ेसबुक पर शेयर किये गए वीडियो के कैप्शन में कहा गया है, "मानसून आने पर मां नर्मदा को सारी पहनाई जाती है। बड़ा ही मनोरम दृश्य यह केवल भारत में ही संभव है."
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें
पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो क्लिप के साथ किये जा रहे दावे की वास्तविकता जानने के लिए सबसे पहले क्लिप को अलग-अलग कीफ़्रेम में तोड़ा, फिर उन्हें रिवर्स इमेज पर सर्च किया.
हमने पाया कि वीडियो किसी असल घटना से न होकर साल 2018 में रिलीज़ हुई गुजराती फ़िल्म 'रेवा' के एक दृश्य को दिखाती है. यूट्यूब पर जुलाई, 2019 को अपलोड किये गए वीडियो के शीर्षक में स्पष्ट तौर पर बताया गया है, "रेवा गुजराती फ़िल्म का बेहतरीन सीन. नर्मदा नदी को साड़ी अर्पित करते हुए."
यह फ़िल्म लेखक ध्रुव भट्ट के उपन्यास 'तत्वमसि' पर आधारित है. 'रेवा' फ़िल्म नर्मदा नदी के इर्दगिर्द घूमने वाले कई सांस्कृतिक मूल्यों को दिखाती है. फ़िल्म की कहानी एक 25 वर्षीय भारतीय व्यक्ति, जो अमेरिका में पला-बढ़ा है, के इर्दगिर्द घूमती है. वो गुजरात में नर्मदा नदी के पास एक आश्रम में अपनी वसीयत लेने जाता है. अपने प्रवास के दौरान वह स्थानीय लोगों से मिलता है और लोगों की संस्कृति और विश्वासों को समझने की कोशिश करता है, जो उस जगह से बिल्कुल अलग हैं जहां उनका पालन-पोषण हुआ था. लगभग 20 दिन तक आश्रम के पास रहने के बाद उसे उसकी वसीयत मिल जाती है लेकिन भाग्य के एक मोड़ में उसे अपने अस्तित्व का कड़वा सच पता चल जाता है और वह वसीयत का त्याग कर नर्मदा की परिक्रमा शुरू कर देता है.
इसके अलावा यूट्यूब पर हमें वायरल वीडियो क्लिप यहां और यहां मिली, जिसमें साफ़तौर पर इस क्लिप को 'रेवा' फ़िल्म के एक दृश्य के रूप विस्तृत किया गया है.
नर्मदा नदी की मान्यताओं को देखते हुए बूम ने यह भी जानने की कोशिश की कि क्या सच में मानसून आने पर 'माँ नर्मदा' को साड़ी पहनाई जाती है. जानिए क्या पता चला.
दरअसल, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ के महीने (मई-जून) के शुरुआती दस दिनों तक नर्मदा नदी की पूजा की जाती है. लोग नांव में बैठकर साड़ी का एक सिरा पकड़कर नदी के दूसरे हिस्से तक जाते हैं और 'माँ नर्मदा' को श्रद्धापूर्वक साड़ी पहनाते हैं. हालांकि, इसका मानसून से प्रत्यक्ष तौर पर कोई संबंध नहीं है.
इसके अलावा हमें ट्विटर पर 18 अप्रैल 2017 को अपलोड किया गया वीडियो मिला, जिसमें देखा जा सकता है कि कलेक्टर संदीप सगळे के सौजन्य से तीन हजार मीटर से ज़्यादा लंबी साड़ी को नर्मदा नदी में डुबोई गई है, जोकि सबसे लंबी साड़ी का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड है.
वीडियो के विवरण के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भरूच में भारत के सबसे लंबे केबल ब्रिज के उद्घाटन से एक दिन पहले, 6 मार्च 2017 को, भरूच शहर में नर्मदा नदी में 3,055 मीटर लंबी साड़ी को डुबोने का गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया गया. समारोह की शुरुआत शुभ डुबकी से पहले गायत्री मंदिर में पूजा करके हुई. इसके बाद साड़ी को काट कर बेसहारा महिलाओं में बांट दिया गया.
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