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फ़ैक्ट चेक

स्विट्ज़रलैंड का पुराना वीडियो बंगाल में मुस्लिम हिंसा के रूप में वायरल

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फ़र्ज़ी है. वीडियो असल में करीब 4 साल पुराना है और स्विट्ज़रलैंड का है.

By - Mohammad Salman | 25 March 2022 11:13 AM GMT

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में सामूहिक हत्या के बाद से सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. रात में सड़क पर वाहनों में तोड़फोड़ करने वाली भीड़ का एक वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि यह कोलकाता में मुसलमानों को वाहनों पर हमला करते हुए दिखाता है.

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फ़र्ज़ी है. वीडियो असल में करीब 4 साल पुराना है और स्विट्ज़रलैंड का है.

MP के पुराने वीडियो को UP के कौशांबी की घटना से जोड़कर शेयर किया गया

रात में शूट किए गए वीडियो में भीड़ को वाहन को रोकते हुए देखा जा सकता है जबकि चालक हिंसक भीड़ से बचने की कोशिश करते हैं.

प्रशांत कुमार दुबे नाम के ट्विटर यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन दिया, "ये विडीयो कलकत्ता का है, और ये जो गाड़ियों के शीशे तोड़ रहे हैं वो मुल्ले हैं, क्यूं कि इनको सड़क पर बैठ कर रोजे खोलने हैं,एसा पूरे देश में होने में देर नहीं है .70वर्षो में हिन्दू 8 राज्यों में अल्पसंख्यक होगये किसी को पता भी नहीं चला,,अब सोचना पड़ेगा नहीं तो.........?????????"


ट्वीट यहां देखें और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. अन्य ट्वीट यहां, यहां और यहां देखें.

फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने इसी वीडियो को शेयर किया और कैप्शन दिया कि यह वीडियो कोलकाता का है, बंगाल में पाकिस्तान जैसे हालात बने हुए हैं.


पोस्ट यहां देखें.

इसी दावे के साथ वायरल अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखें.

'द ताशकंद फ़ाइल्स' मूवी का ट्रेलर विवेक अग्निहोत्री की नई फ़िल्म बताकर वायरल

फ़ैक्ट चेक 

बूम ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ किया गया दावा फ़र्ज़ी है. वीडियो असल में करीब 4 साल पुराना है और स्विट्ज़रलैंड का है.

बूम ने वायरल वीडियो को अलग-अलग फ़्रेम्स में तोड़कर उसे संबंधित कीवर्ड्स के साथ सर्च किया. परिणामस्वरूप, 20 Min नाम की वेबसाइट पर 22 मई 2018 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में हूबहू वही वीडियो मिला, जो कोलकाता के रूप में वायरल है.


जर्मन भाषा में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार की देर शाम, सेंट जैकब स्टेडियम से कुछ ही दूरी पर एक सामूहिक विवाद हुआ, जिसमें लगभग 90 गुंडे शामिल थे. बासेल के लगभग 30 लोग, जो सफेद सुरक्षात्मक सूट पहने हुए थे और बिरस्ट्रैस पर ऑटोबान पर पुल के खंभे पेंट कर रहे थे. उनपर रात के 11 बजे क़रीब 60 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया.

स्टेडियम के उत्तर में, काली जीप में असामाजिक तत्वों ने चालक को कार से बाहर निकालने की भी कोशिश की, लेकिन वह पलट कर भागने में सफल रहा. सामूहिक पिटाई का यह वीडियो ऑनलाइन वायरल हो गया.

जांच के दौरान हमने पाया कि कई जर्मन स्थानीय समाचार वेबसाइटों ने इस घटना को कवर किया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, 19 मई, 2018 को स्विट्जरलैंड के बासेल के बिर्सस्ट्रैस में एक स्टेडियम के पास बेसल और ल्यूसर्न फुटबॉल क्लबों के बीच एक चैंपियनशिप मैच के बाद हिंसक झड़पें हुईं.

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस ने झड़प के सिलसिले में 14 लोगों को गिरफ़्तार किया था. लगभग 90 लोग इस घटना में शामिल हो सकते हैं. पुलिस उन चश्मदीद गवाहों की भी तलाश कर रही है, जिन्होंने अपने फ़ोन पर घटना को शूट किया था.

इससे हिंट लेते हुए हमने यूट्यूब पर सर्च किया तो हमें कई वीडियो मिले जो बिल्कुल वही दृश्य दिखाते हैं जो वायरल वीडियो में है. हूलिगंस टीवी पर 21 मई को अपलोड किये गए वीडियो का टाइटल है- स्विट्जरलैंड में लड़ाई: बेसल बनाम ज्यूरिख और कार्लज़ूए. 19.05.2018


मई 2018 की इस घटना को दिखाते अन्य यूट्यूब वीडियो यहां और यहां देखें. 

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बूम पहले भी इस वीडियो का फ़ैक्ट चेक कर चुका है, जब इसे बर्मिंघम, यूके में मुस्लिमों द्वारा हिंसा के रूप में शेयर किया गया था. 

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