सोशल मीडिया पर पाकिस्तान का बताकर एक वीडियो काफी वायरल है जिसमें कुछ लोग हथोड़ों से मस्जिद को तोड़ते दिख रहे हैं. वीडियो के साथ व्यंग करते हुए दावा किया जा रहा है कि भुखमरी के चलते पाकिस्तान के लोग मस्जिद को तोड़कर उसकी ईंट और लोहा बेचकर पेट भर रहे हैं. दावे में आगे कहा गया है कि कराची मे एक महीने के अंदर तीसरी मस्जिद तोड़ी गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं. जरुरी सामानों की कीमत आम आदमी की पहुँच से दूर हो गए है जिसके चलते हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. वायरल वीडियो इसी सन्दर्भ में शेयर किया जा रहा है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि मस्जिद को तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं ने तोड़ा क्योंकि यह अहमदिया समुदाय की मस्जिद थी और टीएलपी अहमदिया समुदाय को मुस्लिम नहीं मानते हैं और मस्जिद के भीतर नमाज पढ़ने का सख्त विरोध करते हैं.
माउंट फ़ूजी में आतिशबाजी के दावे से वायरल यह वीडियो सॉफ्टवेयर से बनाया गया है
बूम को इस वीडियो के साथ किये जा रहे दावे की पुष्टि करने के लिए व्हाट्सएप टिपलाइन पर यह वीडियो प्राप्त हुआ.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा,'पाकिस्तान मे ऐसी भुखमरी सवार की अब वहाँ के लोग मस्जिद तोड़ ईटा, लोहा बेच पेट भर रहे 😂 विनाश काल विपरीत बुद्धि,, कराची मे एक महीने के अंदर तीसरी मस्जिद तोड़ी, आटा नहीं दे सकता तो उसका यहाँ क्या'.
अन्य यूज़र्स ने भी इसी दावे के साथ वीडियो को शेयर किया है जिसे यहाँ, यहाँ और यहाँ देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम को सबसे पहले वायरल वीडियो के सम्बन्ध में सोशल मीडिया पर पड़ताल करते हुए एक ट्वीट मिला जिसके मुताबिक, टीएलपी कार्यकर्ताओं ने कराची में अहमदी मस्जिद पर हमला किया. पिछले तीन महीनों में यह पांचवां अहमदी मस्जिद हमला है.
इसकी मदद से सर्च करने पर 03 फरवरी 2023 की अमर उजाला की एक रिपोर्ट मिली जिसके अनुसार कराची की अहमदी मस्जिद तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) समर्थकों की भीड़ ने हमला कर तोड़फोड़ की.
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अहमदिया मुस्लिम समुदाय, पाकिस्तान का एक अल्पसंख्यक समाज है और पाकिस्तान में उन्हें दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है. पाकिस्तान का धार्मिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान खास तौर पर अहमदिया मुसलमानों को बराबरी के अधिकार के खिलाफ रहता है.
इस घटना को कवर करते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने 04 फरवरी 2023 बताया कि क्यों पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं. अहमदियों की धार्मिक मान्यताएं कुछ अपवाद के साथ इस्लाम के समान ही हैं जिसको वहां के कट्टरपंथी मौलवी पसंद नहीं करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार 1974 में, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने अहमदिया को गैर-मुस्लिम घोषित करते हुए संविधान में संशोधन किया. इसके बाद अहमदिया समुदाय के लोगों के मस्जिदों में जाने पर रोक लगा दी गई. इस कानून के चलते अहमदियों की धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाए गए और उल्लंघन करने पर जुर्माना और जेल की सजा हो सकती है.
अहमदिया मस्जिदों से मीनारों को हटाने के मामले स्थान की पवित्रता से जुड़े होते हैं. किसी धार्मिक स्थान पर मीनार की उपस्थिति को एक मस्जिद के समान माना जाता है. मस्जिद इस्लाम का महत्वपूर्ण हिस्सा इसलिए कानून के मुताबिक जो भी अहमदी खुद को इस्लाम धर्म और उसकी पहचान से जोड़ेगा तो उसे विधर्मी मानते हुए दंडित किया जाएगा. इसके चलते वहां के इस्लामिक कट्टरपंथी समूह लगातार अहमदी समूह को निशाना बनाते हुए मस्जिदों पर हमले करते हैं.
उपरोक्त दोनों रिपोर्ट्स में कहीं भी भूखमरी के चलते मस्जिद पर हमले का जिक्र नहीं था.
नहीं, यह वीडियो उदयपुर का नहीं बल्कि नेपाल में 2020 में हुई ओलावृष्टि का है