"सिर्फ एक खुराक के बाद मेरा ब्लड शुगर स्तर सामान्य हो गया. मैं खुश हूं. पिछले 20 वर्षों से मुझे मधुमेह था, इस दवा ने मुझे तीन दिन में ठीक कर दिया. मेरा शुगर स्तर सामान्य हो गया है. मैं खुश हूं कि मैं पूर्ण जीवन जी सकता हूं."
फेसबुक पर डायबिटीज की दवा को प्रमोट करने वाला उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मथुरा से बीजेपी सांसद हेमा मालिनी का यह वीडियो शायद आपने भी देखा होगा. दोनों ही नेताओं के वीडियो AI वॉइस क्लोन का इस्तेमाल करके बनाए गए हैं.
मेटा प्लेटफॉर्म्स खासकर फेसबुक पर इस तरह के फर्जी विज्ञापनों की भरमार है, जहां नेताओं से लेकर बॉलीवुड सिलेब्रिटी और न्यूज एंकर्स के AI वॉइस क्लोनिंग इस्तेमाल किए जा रहे हैं.
विडंबना यह है कि अधिकतर विज्ञापन प्रायोजित हैं जो यूजर्स की प्रोफाइल पर नहीं दिखते हैं. साथ ही इन वीडियो को स्पॉन्सर करने वाले अधिकतर अकाउंट फेक मालूम होते हैं.
वीडियो में क्या है?
फेसबुक पर एक स्पॉन्सर्ड वीडियो में योगी आदित्यनाथ, हेमा मालिनी, अक्षय कुमार और जर्नलिस्ट सुधीर चौधरी डायबिटीज की दवा का प्रचार करते नजर आते हैं. इसी के साथ दवा की कीमत जानने के लिए एक लिंक दिया गया है.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि योगी, हेमा, अक्षय कुमार और सुधीर चौधरी के ओरिजनल वीडियो को क्रॉप करके उसमें फर्जी आवाज जोड़कर एडिट किया गया है. योगी और हेमा मालिनी का वीडियो टीवी न्यूज चैनल एबीपी को दिए गए उनके इंटरव्यू से लिया गया है. जबकि अक्षय कुमार का वीडियो 'हिंदुस्तान टाइम्स' मीडिया ग्रुप्स के चार साल पुराने एक इवेंट के दौरान का है. इसके अलावा सुधीर चौधरी का ओरिजनल वीडियो उनके 'ब्लैक एंड वॉइट' बुलेटिन से जुड़ा है.
इसी के साथ बूम ने आईआईटी जोधपुर द्वारा निर्मित एआई डिटेक्शन टूल 'इतिसार' के जरिए वीडियो की पड़ताल की. जांच में सामने आया कि विज्ञापन में डीपफेक ऑडियो का इस्तेमाल हुआ है.
यह कंपाइल वीडियो अलग-अलग अकाउंट और पेज जैसे Good lops, Lenin Grib, Croissant Hot, Diamond Doctor, Forestry Service, Pumpkin Plany, Lenina Paket, Dr G.R. Badlani और Laut Products से स्पॉन्सर किए गए हैं.
बूम हिंदी ने इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और टीवी जनर्लिस्ट अर्नब गोस्वामी, रवीश कुमार और अंजना ओम कश्यप के इसी तरह के फर्जी वीडियो का फैक्ट चेक किया है.
कितने खतरनाक हैं इस तरह के विज्ञापन?
इन विज्ञापनों के जरिए जानी-मानी हस्तियों की फर्जी आवाजें इस्तेमाल करके यूजर्स को गुमराह किया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर एक विज्ञापन में दिए गए लिंक को क्लिक करने पर गुजरात के मशहूर डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. जी. आर. बदलानी की प्रोफाइल (आर्काइव लिंक) खुलती है.
जब बूम ने डॉ. बदलानी से इस पर प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा, "यह गलत है. मेरा डायबिटीज सेंटर है लेकिन मैं ऐसी दवाइयां नहीं बेचता हूं. पिछले कुछ दिनों से मुझे लोगों की कॉल आ रही हैं जो मुझसे डायबिटीज खत्म करने वाली दवाई के बारे में पूछ रहे हैं."
डॉ. बदलानी ने बताया, "मैंने भी फेसबुक पर सर्च किया था लेकिन मुझे ऐसा कोई विज्ञापन नहीं दिखा, जिस वजह से मैंने पुलिस में शिकायत नहीं कर पाया."
इसी तरह मार्च 2024 में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के डायबिटीज की दवा के प्रचार वाले एक अन्य फेक वीडियो को लेकर Grace Garsia नाम के अकाउंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतकर्ता ने कहा, "वीडियो में सीएम योगी कह रहे हैं कि इस दवा को भारतीय वैज्ञानिकों ने विकसित किया है और जो कोई वेबसाइट पर जाकर दवा खरीदेगा उसे भगवान द्वारा सम्मानित किया जाएगा."
बूम ने शिकायत दर्ज कराने वाले इंस्पेक्टर मोहम्मद मुस्लिम खान से बात की. उन्होंने बताया, "मार्च में हमारी नोटिस में ऐसे दो मामले आए थे जिनपर केस दर्ज हुआ था. हमने अपनी शिकायत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन को बढ़ाई थी, जहां केस हुआ था." इंस्पेक्टर ने बताया, "क्योंकि यह शासन से जुड़ा मामला था, इसलिए इस तरह के केस की हम लगातार निगरानी करते रहते हैं." इंस्पेक्टर मोहम्मद मुस्लिम खान डीजीपी ऑफिस पर साइबर क्राइम में तैनात हैं.
क्यों बढ़ रहा है यह ट्रेंड?
मेटा प्लेटफॉर्म पर इन स्पॉन्सर्ड ऐड के बढ़ रहे ट्रेंड के पीछे एक बड़ी वजह है. दरअसल इन विज्ञापनों को जिस अकाउंट या पेज ने स्पॉन्सर्ड किया है ये उनकी प्रोफाइल पर दिखाई नहीं देते हैं. इससे न ही पीड़ित इसकी शिकायत कर पाते हैं और न ही पुलिस एक्शन ले पाती है. उदाहरण के तौर पर मेटा ऐड लाइब्रेरी पर हमें 'मधुमेह' कीवर्ड्स से सर्च करने पर कई विज्ञापन मिलें जिनमें योगी आदित्यनाथ और हेमा मालिनी का वॉइस क्लोन इस्तेमाल हुआ है. इनमें से एक प्रोफाइल का नाम है- Lenin Grib. इस पेज पर 7 मई को यह विज्ञापन पांच बार चलाया गया.
इसे क्लिक करने पर फेसबुक पर पेज खुलता है जिसमें अभिनेता अक्षय कुमार की प्रोफाइल इमेज लगी है. पेज की डिटेल में एक्टर लिखा हुआ है. इसके अलावा इसमें एक दो तस्वीरों के अलावा कोई पोस्ट नजर नहीं आता है.
इस तरह के स्कैम का भंडाफोड़ करने में आने वाली चुनौतियों पर साइबर क्राइम इंस्पेक्टर मुस्लिम खान ने बताया, "कई बार पता नहीं चलता है कि अकाउंट कहां से ऑपरेट किया जा रहा है. दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपराधी इस तरह के फेक मेसेज फैलाते हैं. कई ऐसे मामले आए जिनमें भारत में ही बैठा अपराधी वीपीएन लोकेशन बदलकर अकाउंट चला रहा था. इस तरह के अकाउंट को ट्रेस करने में चुनौतियां सामने आती हैं."
इसके अलावा बूम ने मेटा के कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट से संपर्क किया, जहां बताया गया कि वह मामले की जांच कर जानकारी देंगे.