सोशल मीडिया पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मुस्लिम समर्थकों को संबोधित करते हुए एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में कमलनाथ मुस्लिमों से वोट की अपील करते हुए मस्जिद की जगह वापस दिलवाने और आर्टिकल 370 जैसे मुद्दों पर बोलते देखे जा सकते हैं.
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो डीपफेक है. वीडियो में कमलनाथ की असली आवाज नहीं है बल्कि एआई की मदद से बनाया गया एक वॉयस क्लोन है.
लगभग 30 सेकेंड के इस वायरल वीडियो में कमलनाथ को मुस्लिम समाज के लोगों के साथ बातचीत के क्रम में बोलते हुए सुना जा सकता है, 'मैं बहुत समय से सोच रहा था कि आप लोगों से बात करूं. इतना पहले समझ लो कि ये बात यहां से बाहर नहीं जानी चाहिए. हमें आपकी सबसे ज्यादा चिंता और फिक्र है. इसलिए कांग्रेस चाहती है कि आप मुस्लिम भाई हमारा साथ दें, ताकि आगे चलकर हम आपके पक्ष में फैसले लें. मैं आपको आश्वासन देता हूं कि साथ बनाकर रखिए. आपको अपनी मस्जिद वाली जगह भी दिलवा देंगे और 370 भी देखा जाएगा. देखो मैं हर बात खुलकर नहीं बोल सकता….बस इतना समझ लो…'
इस एडिटेड वीडियो को हालिया लोकसभा चुनाव के मद्देनजर शेयर किया जा रहा है. हमने पाया कि यह वीडियो राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के समय भी वायरल था और बूम ने तब भी इसका फैक्ट चेक किया था.
कमलनाथ की इस फर्जी आवाज वाले वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'इस वीडियो को BJP के हाथो मत लगने देना कांग्रेसियों.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
इससे पहले अक्टूबर 2023 में इसका मूल वीडियो भ्रामक संप्रदायिक दावों से वायरल था और बूम ने तब भी इसका फैक्ट चेक किया था.
उस दौरान हमने पाया था कि मूल वीडियो 14 नवंबर 2018 का है. तब कमलनाथ मुस्लिम समाज के मतदाताओं से मिले थे और उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की रणनीति से सचेत रहने के लिए आगाह कर रहे थे. इस वीडियो में कहीं भी कमलनाथ मस्जिद की जमीन वापस दिलाने या आर्टिकल 370 के संदर्भ में कोई बात नहीं बोल रहे हैं, जैसा कि वायरल वीडियो में कहा जा रहा है.
हमें लोकमत के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर भी 14 नवंबर 2018 का अपलोड किया हुआ यह वीडियो मिला.
इस मूल वीडियो में कमलनाथ आरएसएस की रणनीति से सचेत रहने का सुझाव देते हुए कहते हैं, 'उनका एक ही नारा है, अगर हिंदू को वोट देना है तो हिंदू शेर मोदी को वोट दो अगर मुसलमान को वोट देना है कांग्रेस को वोट दो. केवल दो लाइन, और कोई पाठ पढ़ाने नहीं जाते. ये इनकी रणनीति है और इसमें आप सबको बड़ा सतर्क रहना पड़ेगा.'
हमने पाया कि इस वीडियो के बाद कमलनाथ विवादों में आ गए थे. उस समय भाजपा के तमाम नेताओं ने उनके इस बातचीत के अंश को भ्रामक और सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया था. इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इसके तीन महीने बाद कमलनाथ ने एक प्रेस कांफ्रेस के जरिए वीडियो पर सफाई देते हुए कहा था कि मैं वहां मौजूद लोगों को आगाह कर रहा था कि गुमराह न हों.
इसके अलावा हमने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जोधपुर द्वारा बनाए गए डीपफेक विश्लेषण टूल इतिसार के माध्यम से भी वीडियो को चेक किया. टूल ने इसकी पुष्टि की कि वीडियो की आवाज एक एआई जनरेटेड ऑडियो है.