बिहार में एक परीक्षा केंद्र की दीवारों पर चढ़कर परीक्षार्थियों को नक़ल कराते लोगों की एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ वायरल है. इस वायरल तस्वीर को गुजरात की बदतर शिक्षा व्यवस्था दिखाने के उद्देश्य से शेयर किया जा रहा है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर असल में बिहार के हाजीपुर के एक परीक्षाकेंद्र की है जहां 2015 में मैट्रिक की परीक्षा के दौरान ख़ुलेआम नक़ल करते पकडे गए 500 से अधिक परीक्षाथियों को निष्कासित कर दिया गया था.
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तस्वीर ट्वीट करते हुए एक ट्विटर यूज़र डॉ भारत कनबर ने गुजराती भाषा में कैप्शन दिया जिसका हिंदी अनुवाद है '200 महाविद्यालयों और 40000 कालेजों वाले इस देश में शिक्षा एक व्यापार जैसा बन गया है... बेचने वाले और खरीददार दोनों बेशरम हैं'.
ट्वीट में कहीं भी ये नहीं कहा गया है कि तस्वीर गुजरात से है. हालांकि बाद में डॉ भारत कनबर ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया. डॉ कनबर के ट्वीट को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कोट ट्वीट करते हुए गुजरात के शिक्षा विभाग से जुड़ा एक कैप्शन दिया.
केजरीवाल ने अपने ट्वीट में लिखा "भाजपा के लोग भी गुजरात की चरमराती शिक्षा पर प्रश्न उठा रहे। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर गुजरात में अच्छी शिक्षा के लिए आवाज़ उठने लगी है। 27 साल में भाजपा अच्छी शिक्षा नहीं दे पायी। गुजरात के लोगों और सभी पार्टियों को साथ लेकर "आप" सरकार गुजरात में भी दिल्ली की तरह अच्छी शिक्षा देगी."
ट्वीट यहां देखें और ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.
तस्वीर अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी वायरल हो गई. आम आदमी पार्टी समर्थक कई फ़ेसबुक पेजों द्वारा केजरीवाल के ट्वीट का स्क्रीनशॉट शेयर किया जाने लगा.
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर असल में बिहार के हाजीपुर के एक परीक्षाकेंद्र की है जहां 2015 में मैट्रिक की परीक्षा के दौरान ख़ुलेआम नक़ल करते पकडे गए 500 से अधिक परीक्षाथियों को निष्कासित कर दिया गया था.
हमें अपनी जांच के दौरान यह तस्वीर कई हिंदी और अंग्रेज़ी मीडिया रिपोर्ट्स में मिली.
जनसत्ता वेबसाइट पर 20 मार्च 2015 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बिहार में मैट्रिक की परीक्षा में नकल करते पकडे गए 500 से अधिक परीक्षाथियों को निष्कासित किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार, परीक्षा केन्द्रों से सामूहिक नक़ल की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद बिहार के शिक्षामंत्री पीके शाही ने पत्रकारों से बात करते हुए दलील दी कि परीक्षा में 14 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हैं. 1200 से अधिक परीक्षा केंद्र हैं. एक परीक्षार्थी को नक़ल कराने में 3 से 4 रिश्तेदार के शामिल होने पर यह संख्या 60 से 70 लाख हो जाती है. ऐसे में इतनी बडी संख्या को नियंत्रित करना और 100 फीसदी नकल मुक्त परीक्षा का अयोजन कराना मात्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि सामाजिक सहयोग की भी आवश्यकता है.
जांच के दौरान बूम को यह तस्वीर कैनेडियन ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन (CBC) की 20 मार्च 2015 की एक रिपोर्ट में भी मिली.
रिपोर्ट के साथ प्रकाशित तस्वीर के डिस्क्रिप्शन में बताया गया है कि यह तस्वीर बुधवार, 18 मार्च, 2015 की है. पूर्वी भारतीय राज्य बिहार के हाजीपुर में एक परीक्षा में बैठने वाले छात्रों की मदद करने के लिए लोग एक इमारत की दीवार पर चढ़ते हैं. शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि हाई स्कूल के 600 छात्रों को 10वीं कक्षा की परीक्षाओं में नकल करते पाए जाने के बाद निष्कासित कर दिया गया है.
इस तस्वीर का क्रेडिट एपी फ़ोटो/प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया को दिया गया है.
बिहार के हाजीपुर में सामूहिक रूप से नक़ल कराये जाने की यह तस्वीर द ट्रिब्यून, मिंट और फर्स्टपोस्ट में भी देखी जा सकती है. फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह तस्वीर स्थानीय फोटो जर्नलिस्ट राजेश कुमार ने क्लिक की थी. हालांकि, तस्वीर वायरल होने के बाद उन्हें इसका श्रेय नहीं मिला.
द हिंदू के एक आर्टिकल के अनुसार, बिहार के वैशाली ज़िले में एक स्थानीय हिंदी दैनिक के लिए काम करने वाले कुमार ने इस फ़ोटो को हाजीपुर में अपने ब्यूरो को भेजा था. उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी तस्वीर 'वायरल' हो जाएगी और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा ली जाएगी.
"मेरी तस्वीर वायरल हो गई है, लेकिन मुझे गुमनामी में धकेल दिया गया है," द हिंदू ने कुमार के हवाले से लिखा.
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