सोशल मीडिया पर फिनलैंड की संसद की तस्वीर के साथ एक पोस्ट वायरल है. इसमें दावा किया गया है कि फिनलैंड ने एक ऐसा कानून पास किया है जो सिरिया, ईरान, अफ्रीका और सोमालिया से आने वाले मुस्लिम घुसपैठियों को उनके देश में नहीं घुसने देगा.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि सांप्रदायिक दावा गलत है. फिनलैंड ने रूस की सीमा से आने वाले शरणार्थियों के लिए संसद में एक विधेयक पास किया है. लेकिन इस विधेयक में मुस्लिम घुसपैठियों को रोकने जैसी कोई बात नहीं है. यह विधेयक रूस की सीमा से फिनलैंड में शरण लेने के लिए अवैध रूप से प्रवेश कर रहे सभी लोगों को रोकने के लिए है.
आरएसएस के मुखपत्र पांचजन्य ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, 'मुस्लिम घुसपैठियों के खिलाफ फिनलैंड ने बनाया कानून. अपने देश में एक भी मुस्लिम घुसपैठिया को घुसने नहीं देगा. सिरिया, ईरान, अफ्रीका, सोमालिया से आने वाले घुसपैठियों के खिलाफ संसद में पास किया कानून. फिनलैंड में अब बॉर्डर गार्ड को होगा अधिकार, बॉर्डर पर ही घुसपैठियों को रोक सकेंगे. छिपकर फिनलैंड में घुसने वालों ढूंढकर देश से बाहर निकालने की तैयारी में फिनलैंड सरकार.'
फेसबुक (आर्काइव लिंक) पर भी यह दावा वायरल है.
फैक्ट चेक
बूम को दावे से संबंधित कीवर्ड से गूगल सर्च करने पर कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं. इनमें बताया गया कि फिनलैंड ने रूस से आने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए यह विधेयक पास किया है. लेकिन किसी भी रिपोर्ट में ऐसा कोई जिक्र नहीं है कि यह मुस्लिम घुसपैठियों को रोकने के लिए है.
रॉयटर्स की 12 जुलाई 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिनलैंड की संसद ने शुक्रवार को रूस से आने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए एक विधेयक पास किया गया. संसद में यह विघेयक 31 मतों के मुकाबले 167 मतों से पास हुआ है.
अलजजीरा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा, "फिनलैंड ने एक ऐसा विवादास्पद विधेयक पारित कर दिया है, जिसके तहत फिनलैंड के सीमा रक्षकों को रूस से आने वाले शरणार्थियों को रोकने का अधिकार दिया गया है. फिनलैंड में रूस की सीमा से पिछले साल के मध्य से मार्च 2023 तक 1300 से अधिक शरणार्थी पहुंचे थे, जिनमें से अधिकांश लोग अफगानिस्तान, मिस्र, इराक, सोमालिया, सीरिया और यमन से हैं. फिनलैंड ने रूस पर सीमा के जरिये बड़ी संख्या में प्रवासियों को भेजने का आरोप लगाया है."
रिपोर्ट में फिनलैंड के प्रधानमंत्री पेटेरी ओर्पो के हवाले से लिखा गया, "यह रूस के लिए एक स्पष्ट संदेश है. हमारे सहयोगियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है कि फिनलैंड अपनी सुरक्षा का ध्यान रखता है और हम यूरोपीय संघ की सीमा की सुरक्षा का भी ध्यान रखते हैं".
जर्मन ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले की रिपोर्ट के अनुसार, "रूस की सीमा के माध्यम से फिनलैंड में आने वाले शरणार्थियों की संख्या में अचानक बढ़ोत्तरी होने के बाद इस कानून को लाया गया है. फिनलैंड का दावा है कि यह वृद्धि मास्को द्वारा करवाई गई थी, जो फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के जवाब में "हाइब्रिड अटैक्स" की स्ट्रेटजी के रूप में माइग्रेशन को हथियार बनाता है."
रिपोर्ट में लिखा गया, "कानूनी विशेषज्ञ इस विधेयक को फिनलैंड के संविधान में निहित मानवाधिकार के दायित्वों और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन मान रहे हैं." रिपोर्ट में लेफ्ट अलायन्स के नेता ली एंडरसन के हवाले से लिखा गया, "यह फिनलैंड के कानून के शासन और मानवाधिकारों के लिए एक दुखद दिन है."