सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी ज्यादा वायरल हो रहा है. जिसमें कुछ लोग कफ़न जैसी वेशभूषा में मृतकों की तरह लेटे हुए दिखाई दे रहे हैं. वीडियो में एक व्यक्ति को आंखे खोलते और बंद करते हुए भी देखा जा सकता है. वीडियो को इसराइल-हमास संघर्ष से जोड़ते हुए इस दावे के साथ साझा किया जा रहा है कि फिलिस्तीनी लोग मरने का झूठा नाटक कर रहे हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो अगस्त 2023 या उससे पहले का है. इसका वर्तमान में जारी इसराइल-हमास संघर्ष से कोई लेना देना नहीं है.
ग़ौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को इसराइल-हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उग्रवादी समूह हमास के हमलों में लगभग 1,400 से ज्यादा इज़रायली लोगों की मौत हुई है. वहीं ग़ाज़ा पट्टी में अब तक 9,922 से अधिक फिलिस्तीनी लोगों की मौत हो गई है. संयुक्त राष्ट्र की 18 एजेंसियों और कई गैर-लाभकारी संगठनों के प्रमुखों ने इजरायल-हमास संघर्ष में तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है. इसी संदर्भ से जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल किया जा रहा है.
सोशल मीडिया यूज़र्स तंज कसते हुए वीडियो शेयर कर रहे हैं कि प्रभू चमत्कार कर रहे हैं, मरे हुए लोग जिंदा हो जा रहे हैं.
एक X यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए व्यंग की भाषा में लिखा, "एक और चमत्कार ! प्रभु की कृपा !"
कई फ़ेसबुक यूज़र्स ने भी ये वीडियो शेयर किया है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो अगस्त 2023 या उससे पहले का है. इसका वर्तमान में जारी इसराइल-हमास संघर्ष से कोई लेना देना नहीं है.
दावे की पड़ताल के लिए हमने वीडियो पोस्ट को ध्यान से देखा, पोस्ट के रिप्लाई में कुछ यूज़र्स ने बताया कि ये वीडियो मलेशिया का है.
एक अन्य यूज़र ने रिप्लाई में बताया कि यह वीडियो मलेशिया के एक स्थानीय मस्जिद में जनाज़ा प्रबंधन पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण के दौरान का है. यूज़र ने लिखा कि इस वीडियो को युद्ध (इसराइल-हमास) शुरू होने से पहले 19 अगस्त को टिकटॉक पर अपलोड किया गया था.
हमें इंस्टाग्राम पर एक यूज़र द्वारा 21 अगस्त को शेयर की गई एक वीडियो भी मिली.
वीडियो पोस्ट के कैप्शन में मलेशिया की मलय भाषा में कुछ लिखा हुआ है, जिसे हमने गूगल ट्रांसलेट की मदद से अनुवादित किया है, "Auto insaf जिन्हें एक मृतक के उदाहरण के रूप में चुना गया है. जिन लोगों ने 'अंतिम संस्कार प्रबंधन पाठ्यक्रम' में भाग लिया है उन्हें अनुभव अवश्य जानना चाहिए. उम्मीद है कि अल्लाह की ओर से हमारा अंत अच्छा होगा. आमीन.."
हमने इस वीडियो को ध्यान से देखा, तो पाया कि वीडियो में गलाबी शर्ट पहने व्यक्ति के कॉलर पर माइक लगा हुआ है. टैबल पर एक प्रोजेक्टर रखा हुआ दिख रहा है और एक स्क्रीन को भी देखा जा सकता है. जिससे यह वीडियो एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का ही लगता हुआ प्रतीत होता है.
मलेशियाई रेडियो चैनल zayan.my के वेरिफ़ाइड इंस्टाग्राम पेज ने भी 28 अक्टूबर को एक मज़ाकिया कैप्शन के साथ इस वीडियो को शेयर किया है.
बूम ने मलेशिया के एक स्थानीय व्यक्ति से भी संपर्क किया, जिसने पुष्टि की कि वीडियो में एक इस्लामी अंतिम संस्कार प्रबंधन पाठ्यक्रम दिखाया गया है, जिसे मलय में 'कुर्सस पेंगुरुसन जेनाज़ा' के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने बताया कि यह पाठ्यक्रम स्कूलों और मस्जिदों में स्वेच्छा से चलाया जाता है.
हमने यूट्यूब पर मलय भाषा में "Funeral Management Course Malaysia" की वर्ड्स के साथ सर्च किया, हमें कुछ ऐसे वीडियो मिले जो इस अंतिम संस्कार प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्रदर्शित कर रहे हैं.
अन्य वीडियो यहां से देखें.
इसके अतिरिक्त हमने गूगल पर मलेशिया में 'अंतिम संस्कार प्रबंधन पाठ्यक्रम' के बारे में सर्च किया. हमें मलेशिया की शिक्षण संस्थानों की कुछ वेबसाइट मिलीं, जिन पर ऐसे पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी दी गई है, जो फ़्यूनरल सर्विसेज में सर्टिफिकेट और मोर्चरी साइंस एंड फ़्यूनरल सर्विस में बैचलर डिग्री प्रदान कर रहे हैं. यहां और यहां देखें.
मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थापित MyHEALTH वेबसाइट के अनुसार 'फ़ार्दु किफ़याह' एक इस्लामी पंरपरा है जो जीवित लोगों द्वारा मृतकों के लिए किए जाने वाले चार मुख्य दायित्वों- स्नान, कफन, प्रार्थना और शरीर को दफनाने के बारे में बताता है.