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फैक्ट चेक

दारुल उलूम देवबंद ने हिन्दू इलाकों में केमिकल युक्त फल-सब्ज़ी बेचने का फ़तवा जारी नहीं किया

दारुल उलूम देवबंद के ऑनलाइन फ़तवा हेड ने बूम को बताया कि ऐसा कोई फ़तवा जारी नहीं किया गया है. यह पूरी तरह से फ़ेक है.

By - Mohammad Salman | 21 Jun 2023 12:40 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया किया गया है कि दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिमों से हिंदू बस्तियों में केमिकल मिलाकर खाद्य सामग्री बेचने का फ़तवा जारी किया है. ट्वीट के इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए मुस्लिम दुकानदारों से कोई भी सामान नहीं ख़रीदने की अपील की जा रही है.

हालांकि, बूम की जांच में सामने आया कि वायरल स्क्रीनशॉट में किया गया दावा फ़र्ज़ी है. दारुल उलूम देवबंद ने ऐसा कोई फ़तवा जारी नहीं किया है.

वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट में यूजरनेम ‘मौलाना गयूर शेख’ है और ट्वीट में लिखा है, “फतवा - तमाम मुसलमान भाइयों से इल्तिजा है हिंदू कोफिर बस्ती व गांवों, इलाको में कैमिकल्स मिलाकर घटिया क्वालिटी के फल, सब्जी, दुध, पनीर, आइसक्रीम आदि चीजे बेंचे ताकि कोफिर जमात व इनके बच्चे भारी तादाद में बिमारी की गिरफ्त में आऐ. फरमान – मदरसा दारुल उलम देवबंद”

वायरल स्क्रीनशॉट को फ़ेसबुक यूज़र्स असल मानकर बड़े पैमाने पर शेयर कर रहे हैं.


पोस्ट यहां देखें.

वायरल स्क्रीनशॉट में किये गए दावे की सत्यता जांचने के लिए हमें यह हमारे टिपलाइन नंबर पर भी प्राप्त हुआ.


वाराणसी में दलित युवती द्वारा मुस्लिम युवकों की हत्या करने का दावा फ़र्ज़ी है

फ़ैक्ट चेक

बूम ने वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट में किये गए दावे की सत्यता जांचने के लिए दारुल उलूम देवबंद के ऑनलाइन फ़तवा हेड मुफ़्ती मोहम्मादुल्लाह खलीली क़ासमी से संपर्क किया.

उन्होंने हमें बताया कि यह पूरी तरह से फ़ेक है. हमारे सामने यह साल 2020 में भी आया था. तब भी हमने इसको ख़ारिज किया था. हमने ऐसा कोई फ़तवा जारी नहीं किया.

मुफ़्ती ने आगे बताया, “आमतौर पर हमारा जो फ़तवा जारी होता है, वह सवाल का जवाब होता है. उसमें बाकायदा रेफरेंस नंबर होता है और भी कई चीज़ें होती हैं. सवाल होते हैं और फिर उसके जवाब होते हैं."

इसके बाद, हमने जिस हैंडल से ट्वीट किया गया था उस हैंडल @gayur_sheikh को सर्च किया. इस दौरान जो अकाउंट हमारे सामने आया उसका यूजरनेम तो समान था लेकिन नाम बदला हुआ था.

वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट में ‘मौलाना गयूर शेख’ है, जबकि वर्तमान में उसी यूजरनेम वाले हैंडल का नाम ‘गयूर शेख’ है. हमने पाया कि पुराने हैंडल को डिलीट करके उसी यूजरनेम से दूसरा अकाउंट बनाया गया है. क्योंकि वर्तमान में मौजूद हैंडल में ज्वाइन करने की तारीख़ फ़रवरी 2023 है, जबकि वायरल ट्वीट में 28 फ़रवरी, 2020 है.

हमने @gayur_sheikh के पुराने ट्वीट के रिप्लाई में जाकर देखा तो पाया कि है यूज़र्स ने रिप्लाई पर को टैग कर रखा है. यूज़र नेम बदल देने के बावजूद अगर किसी के पुराने ट्वीट पर किये रिप्लाई देखते हैं तो हैंडल का पुराना यूज़र नेम दिखता है.


इसके बाद, हमने ट्विटर हैंडल @gayur_sheikh को आर्काइव में सर्च किया तो 28 फ़रवरी, 2020 का वही ट्वीट हमारे सामने आया.

इस हैंडल के बायो और ट्वीट में कई भाषाई विसंगतियां नज़र आती हैं जो इस बात की तरफ़ इशारा करता है कि यह अकाउंट फ़र्ज़ी तौर पर बनाया गया था. ट्वीट में लिखा है- ‘मदरसा दारुल उलम देवबंद’, जबकि यूपी के सहारनपुर से सटे देवबंद में स्थित यूनिवर्सिटी का सही नाम है – दारुल उलूम देवबंद. 



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