सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक कोलाज काफ़ी वायरल हो रहा है. एक तस्वीर में दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के साथ हुए यौन शोषण के ख़िलाफ़ धरने पर बैठी साक्षी मालिक और विनेश फोगाट मौजूद हैं. वहीं दूसरी तस्वीर में महिला पहलवान एवं बीजेपी नेता बबीता फोगाट द्वारा 31 जनवरी 2020 को शाहीन बाग़ में नागरिकता कानून के विरोध में धरना दे रहे प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ किया गया ट्वीट का स्क्रीनशॉट मौजूद है.
इन दोनों के कोलाज को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि शाहीन बाग़ में धरने पर बैठी मुस्लिम मां बहनों के ख़िलाफ़ ऊंगली उठाने वाली फ़ोगाट बहनें आज खुद धरना दे रही हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ ट्वीट करने वाली बबीता फ़ोगाट जंतर मंतर पर हो रहे प्रदर्शनों में शामिल नहीं हैं. प्रदर्शन में शामिल महिला पहलवानों संगीता फ़ोगाट, विनेश फ़ोगाट और साक्षी मलिक ने शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ कोई ट्वीट नहीं किया था.
बीते 18 जनवरी को पहलवान विनेश फ़ोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने दिल्ली के जंतर मंतर पर रेसलिंग फ़ेडरेशन और इंडिया के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ऊपर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. तब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने खिलाड़ियों के साथ मुलाकात कर एक जांच समिति बनाई गई थी. केंद्रीय मंत्री के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने अपना धरना वापस ले लिया था.
जांच समिति को चार हफ़्तों में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है. बीते दिनों 21 अप्रैल को पहलवानों ने बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं दर्ज की. जिसके बाद पहलवानों ने जंतर मंतर पर फ़िर से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो जैसे गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया.
फ़ेसबुक पर वायरल कोलाज को एक लंबे कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें लिखा हुआ है “शाहीनबाग में धरने पर बैठी मुस्लिम मां बहनों पर सबसे जायदा उंगलिया फोगाट बहनों ने उठाई थी आज देखो कहां आकर बैठी है! 500रुपए का सलाद बिरयानी के साथ हम वैसे भी खा जाते है उसके लिए कही बैठना नही पड़ता याद रखना किसी का वक्त कभी एक जैसा नहीं होता है वक्त सबका आएगा इसी लिए हक के लिए आवाज उठाओ उसके लिए जो आवाज उठाता है तब कोई कल को आपका साथ भी देगा दब गया बटन अब अच्छे से”.
वायरल कोलाज से जुड़े अन्य फ़ेसबुक पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल सबसे पहले बबीता फ़ोगाट के उस ट्वीट को ख़ोजा, जो वायरल कोलाज में मौजूद है. इस दौरान हमें 31 जनवरी 2020 को उनके ट्विटर अकाउंट से किया गया वह ट्वीट मिला. आप नीचे उस ट्वीट को देख सकते हैं.
इसके बाद हमने यह पता करने की कोशिश की, कि क्या बबीता फ़ोगाट भी जंतर मंतर पर चल रहे प्रदर्शनों में शामिल हैं.
इस दौरान हमें जंतर मंतर पर चल रहे प्रदर्शन से जुड़ी कई रिपोर्ट मिली. लेकिन किसी भी रिपोर्ट में बबीता फ़ोगाट के प्रदर्शन में शामिल होने का जिक्र नहीं था. कई रिपोर्ट में यह बताया गया था कि बबीता फ़ोगाट ने जंतर मंतर पर चल रहे धरने में राजनीतिक दलों को जगह देने का ट्विटर पर विरोध किया था, जिसके बाद विनेश फ़ोगाट ने ट्वीट कर बबीता से धरने को कमजोर नहीं करने की अपील की थी. बता दें कि विनेश फ़ोगाट बबीता फ़ोगाट की चचेरी बहन है.
कुछ न्यूज़ रिपोर्टों में यह भी जिक्र किया था कि जनवरी में हुए प्रदर्शन के दौरान बबीता फ़ोगाट ने ही सरकार और पहलवानों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी. इतना ही नहीं पहलवानों के जोर देने पर बबीता को जांच समिति में भी शामिल किया गया था.
हमारी अभी तक की जांच में यह साफ़ हो गया था कि शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ ट्वीट करने वाली बबीता फ़ोगाट जंतर मंतर पर चल रहे धरना प्रदर्शन में शामिल नहीं है.
इसके बाद हमने वायरल कोलाज में शामिल दूसरी तस्वीर, जिसमें विनेश फ़ोगाट और साक्षी मलिक मौजूद हैं. उसकी पड़ताल की, तो पाया कि यह तस्वीर हाल की ही है. आप आउटलुक की वेबसाइट पर 24 अप्रैल को प्रकाशित रिपोर्ट में इससे जुड़ी अन्य तस्वीर भी देख सकते हैं.
जांच में हमने धरने में शामिल पहलवानों साक्षी मलिक, विनेश फ़ोगाट, संगीता फ़ोगाट और बजरंग पूनिया के ट्विटर अकाउंट को भी खंगाला. लेकिन हमें इन सभी प्रदर्शनकारी पहलवानों के ट्विटर अकाउंट पर दिसंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 तक दिल्ली के शाहीन बाग़ में चले प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ कोई ट्वीट नहीं मिला.
हमने इस दौरान साक्षी मलिक से भी संपर्क किया तो उन्होंने बूम को स्पष्ट किया कि "मैंने शाहीन बाग़ में हुए प्रदर्शन के ख़िलाफ़ कोई ट्वीट नहीं किया था".