सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में कुछ मुस्लिम के ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट पर जुलूस निकालते नजर आ रहे हैं.
वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि 'यह ईरान नहीं, लंदन का ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट है.' बूम ने पाया कि यह दावा भ्रमित करने वाला है और अधूरा है, जिसे बिना किसी संदर्भ के इज़रायल-हमास संघर्ष से जोड़ा जा रहा है.
ग़ौरतलब है कि 7 अक्टूबर 2023 को उग्रवादी संगठन हमास ने इज़रायल पर हमला कर दिया था. तब से यह युद्ध जारी है, जिसमें न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार अबतक लगभग 1200 इज़रायली और 15 हजार से ज्यादा फ़िलस्तीनी मारे गए हैं.
इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर आए दिन इस युद्ध से जोड़ते हुए तरह-तरह के भ्रामक वीडियोज और तस्वीरें वायरल हो रही हैं. इसी कड़ी में यह वीडियो भी हमारे सामने है.
सबसे पहले एक समाचार पत्रिका 'ज्यूइज क्रॉनिकल' के एडिटर जेक वालिस सिमंस ने इसे शेयर करते हुए लिखा कि 'यह ईरान नहीं, ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट, लंदन है.' हालांकि उन्होंने इसका खंडन तो नहीं किया लेकिन अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट हटा दिया. हमें सोशल मीडिया पर उस पोस्ट का स्क्रीनशॉट मिला है.
हिंदी में भी ऐसे ही मिलते-जुलते दावों के साथ इस वीडियो को कुछ भारतीय यूजर्स ने X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया है. दक्षिणपंथी संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के मुखपत्र 'पाञ्चजन्य' के हैंडल से इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया था, "ये किसी इस्लामिक मुल्क की नहीं लंदन की सड़के हैं!"
और भी X यूजर्स ने लगभग ऐसे ही मिलते-जुलते दावों के साथ इसे शेयर किया है. यहां, यहां देखें.
फैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वीडियो देखा, वीडियो में लोकेशन बोर्ड पर लिखा साफ नजर आ रहा है कि वीडियो ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट का ही है.
इस वीडियो को पूरा देखने पर पता चलता है कि यह कोई पोलिटिकल प्रोग्राम नहीं है, जुलूस में शामिल एक महिला के हाथ में एक पोस्टर है जिसपर लिखा है, 'द लिगेसी ऑफ हुसैन लिव्स ऑन'. इससे साफ है कि यह कोई धार्मिक आयोजन है. लेकिन यह क्लियर नहीं था कि यह कब का है और इसका संदर्भ क्या है.
इसके बाद हमने और जानकारी के लिए इससे जुड़े कीवर्ड्स सर्च किए, तो हमें हाल में ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट में हुए ऐसे किसी आयोजन की कोई न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
उसकी जगह हमें 2021 की एक रिपोर्ट मिली. 'इंटरनेशनल क़ुरान न्यूज एजेंसी' की 21अगस्त 2021 के इस रिपोर्ट के अनुसार यह आयोजन बृहस्पतिवार का यानी, 19 अगस्त 2021 का है, जब शिया मुसलमान आशूरा दिवस के मौके पर लंदन के ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट पर जुलूस निकाल रहे थे.
हमें इससे मिलता-जुलता 19 अगस्त, 2021 का यूट्यूब वीडियो भी मिला, जिसके विजुअल्स वायरल वीडियो से मैच करते हैं.
आगे पड़ताल करते हुए हमें X पर जेक वालिस सिमंस के पोस्ट के स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए एक पोस्ट मिली, जिसमें इस दावे को खंडित किया गया है.
कई अन्य X यूजर्स ने भी इसे खंडित करते हुए रिप्लाई किया था. एक यूजर मेहंदी हसन ने इसपर रिप्लाई करते हुए लिखा, 'यह 2021 में आशूरा दिवस पर इमाम हुसैन के लिए शियाओं का धार्मिक जुलूस है. यह 2023 का नहीं है, कोई राजनीतिक विरोध नहीं है, और इसका इज़राइल या गाज़ा से कोई लेना-देना नहीं है. पता नहीं यूके के 'ज्यूइज क्रॉनिकल' का संपादक मुसलमानों के बारे में डर फैलाने के प्रति इतना जुनूनी क्यों दिखता है."
आगे बूम को पड़ताल के दौरान लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस के भी X हैंडल पर एक पोस्ट मिली, जिसमें वायरल वीडियो के दावे का खंडन किया गया है.
उन्होंने एक यूजर को रिप्लाई करते हुए लिखा, "इस वीडियो को इस वीकेंड खूब शेयर किया गया है. हमने ऐसे कई लोगों की टिप्पणियां देखी हैं जो इस धारणा के तहत हैं कि इसे हाल ही में फिल्माया गया था या यह इज़राइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष से संबंधित है. हमारा मानना है कि यह वास्तव में 2021 में आशूरा दिवस कार्यक्रम में फिल्माया गया था. इसका वर्तमान घटनाओं से कोई संबंध नहीं है.
इससे साफ है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. यह ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट पर अगस्त 2021 में शियाओं द्वारा निकाले गए आशूरा दिवस के जुलूस का वीडियो है. यह एक धार्मिक आयोजन था. इसका आज की परिस्थिति से, खासकर इज़राइल-हमास संघर्ष से कोई संबंध नहीं है.