फैक्ट चेक

मुस्लिमों पर अखिलेश यादव के हवाले से वायरल यह बयान फर्जी है

बूम ने पाया कि अखिलेश यादव के हवाले से मुसलमानों के कम पढ़े लिखे होने के कारण अपराध करने वाला वायरल ग्राफिक फेक है.

By - Rohit Kumar | 2 Sept 2024 5:56 PM IST

akhilesh yadav statement on muslims fact check

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की तस्वीर के साथ एक कोट कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल है. कार्ड में उनके हवाले से एक बयान लिखा है कि "ज्यादातर मुसलमान कम पढ़े लिखे होते हैं, इसलिए नासमझी के कारण वे बलात्कार जैसी गलती कर देते हैं." यूजर्स इसे सही मानते हुए अपनी प्रतिक्रिया के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.

बूम ने अपनी जांच में पाया कि अखिलेश यादव के हवाले से वायरल यह बयान फर्जी है. अखिलेश यादव ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. 

वायरल तस्वीर में लिखा है, "आज का सबसे बड़ा मजाक ! ज्यादातर मुसलमान कम पढ़े लिखे होते हैं. नासमझी के कारण वे बलात्कार जैसी गलती कर देते हैं. वह कोई अपराध नहीं है. समस्त हिंदू भाई बहनों तक इस संदेश को पहुंचाइये."

एक फेसबुक यूजर ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'नासमझी है फिर भी बलात्कार करने की समझ है. बेशर्म है वो वोटर जो ऐसे नेता को चुनते हैं.'


(आर्काइव पोस्ट)


एक्स (आर्काइव पोस्ट) पर एक यूजर ने लिखा, 'आज का सबसे बड़ा मजाक. ज्यादातर मुसलमान कम पढ़े लिखे होते हैं. नासमझी के कारण वे बलात्कार जैसी गलती कर देते हैं. वह कोई अपराध नहीं है.'


फैक्ट चेक: अखिलेश यादव ने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया

अखिलेश यादव के हवाले से वायरल बयान "मुसलमान कम पढ़े-लिखे और नासमझी के कारण बलात्कार जैसी गलती कर देते हैं" फर्जी है. 

बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए संबंधित कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया लेकिन हमें कोई भी ऐसी विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली जो इस वायरल दावे की पुष्टि करती हो.

हमने बीते कुछ दिनों की घटनाओं को लेकर भी अखिलेश यादव के बयान देखे तो पाया कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया. 

गौरतलब है कि 1 नवंबर 2023 को वाराणसी के आईआईटी बीएचयू परिसर में एक छात्रा के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी. गैंगरेप के तीन आरोपियों में से दो कुणाल पांडे को 2 जुलाई 2024 को और अभिषेक चौहान को 4 जुलाई 2024 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत दे दी. अगस्त 2024 में इन दो आरोपियों के जेल से छूटने के बाद इस मामले पर सियासत गर्मा गई.

इस पर उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने राज्य की बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "बीजेपी की आईटी सेल के पदाधिकारियों के रूप में काम करने वाले बीएचयू गैंग रेप के तीन आरोपियों में से दो को जमानत मिलने की खबर निंदनीय भी और चिंतनीय भी है. सवाल ये है कि दुष्कर्म करने वालों की कोर्ट में लचर पैरवी करने के लिए दबाव किसका था."

वहीं अगस्त 2024 में अयोध्या में 12 साल की एक बच्ची के साथ कथित रूप से रेप किए जाने का मामला सामने आया था. रेप का आरोप बेकरी चलाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता मोईद खान और उसके एक कर्मचारी राजू खान पर लगा था. इसके बाद मामले में राजनीति शुरू हो गई. बीजेपी ने सपा पर धर्म के आधार पर आरोपी को बचाने का आरोप लगाया. वहीं अखिलेश ने आरोपी के डीएनए टेस्ट की मांग की थी.

अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा था, "कुकृत्य के मामले में जिन पर भी आरोप लगा है उनका डीएनए  टेस्ट कराकर इंसाफ का रास्ता निकाला जाए न कि केवल आरोप लगाकर सियासत की जाए. जो भी दोषी हो उसे कानून के हिसाब से पूरी सजा दी जाए, लेकिन अगर डीएनए टेस्ट के बाद आरोप झूठे साबित हों तो सरकार के संलिप्त अधिकारियों को भी न बख्शा जाए. यही न्याय की मांग है."

वायरल बयान को लेकर और अधिक स्पष्टिकरण के लिए हमने सपा के प्रवक्ता घनश्याम तिवारी से संपर्क किया. उन्होंने कोट कार्ड को फेक बताते हुए बीजेपी पर निशाना साधा, "यह बीजेपी और उनकी आईटी सेल द्वारा किए जाने वाले खतरनाक प्रचार और फर्जी खबरें फैलाने का एक सामान्य उदाहरण है."

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