पिछले कुछ वर्षो में ऐसा हुआ है कि दिवाली के आस पास एक नाम हमें अक्सर सुनने को मिलता है - ग्रीन क्रैकर्स या हरे पटाखे | अब चूँकि दिवाली आ चुकी है तो क्यों ना ग्रीन क्रैकर्स पर बात कर ही ली जाए? तो आखिर हैं क्या ये ग्रीन क्रैकर्स या हरे पटाखे और क्यों हर साल दिवाली के आस पास ये चर्चा-ए-आम हो जाते हैं?
बात वर्ष 2018 की है जब सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में पटाखों की बिक्री पर संपूर्ण बैन लगाने से इंकार कर दिया था | कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ पटाखों के बिक्री की इजाज़त दी थी और इनमे से एक महत्वपूर्ण शर्त थी केवल 'लो एमिशन' और कम आवाज़ वाले पटाखे जलाने की जिससे प्रदुषण पर नियंत्रण पाया जा सके |
सुप्रीम कोर्ट का ये फ़ैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान आया था जिसमे देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गयी थी | ये कहानी वर्ष 2015 तक जाती है | अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें |
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यही कम ध्वनि वाले 'लो एमिशन' पटाखे ग्रीन क्रैकर्स या हरे पटाखे कहलाते हैं |
अब चूँकि इस साल दिवाली एक महामारी के दौरान आयी है, तो वायु प्रदुषण को लेकर राज्य सरकारें बहुत चौकस हैं | कई राज्य सरकारें - जैसे राजस्थान और ओडिशा - कोवीड 19 और वायु प्रदुषण को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष पटाखों की बिक्री पर बैन लगा चुकी हैं |
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने नेशनल कैपिटल रीजन (NCR) में पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल पर नवंबर 30 तक बैन लगा दिया है | वहीँ आंध्रप्रदेश, कर्नाटक में 'ग्रीन' क्रैकर्स जलाने की अनुमति है |
ऐसे समय पर ग्रीन क्रैकर्स की पहचान कर पाना आवश्यक हो जाता है |
क्या फ़र्क है ग्रीन क्रैकर्स और नार्मल पटाखों में ?
इन दोनों किस्म के पटाखों में कई बेसिक अंतर हैं - मसलन इनमे इस्तेमाल होने वाली सामग्री से लेकर इन्हे बनाने की विधि तक | कोर्ट के निर्देश पर वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR-NEERI) रिसर्च के उपरान्त इन पटाखों को डेवेलप किया है |
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इन पटाखों में कई प्रतिबंधित रसायन (chemicals) जैसा बेरियम, लिथियम, आर्सेनिक और लेड (सीसा) इस्तेमाल नहीं किये जाते हैं | इससे प्रदुषण नियंत्रित करने में मदद मिलती है | इन पटाखों के नाम भी बड़े रोचक हैं - स्वास (SWAS - Safe Water Releaser ), स्टार (STAR - Safe Thermite Cracker और सफल (SAFAL - Safe Minimal Aluminium (SAFAL) |
NEERI के वेबसाइट पर दिए जानकारी के मुताबिक ग्रीन क्रैकर्स में पटाखों का शैल साइज़ बाजार में उपलब्ध अन्य पटाखों से छोटा होता है | चूँकि इन पटाखों से जलवाष्प (water vapour) भी रिलीज़ होता है इसीलिए इससे धुंए को कम करने में मदद मिलती है | CSIR-NEERI का दावा है कि ग्रीन क्रैकर्स पार्टिकुलेट मैटर (PM) एमिशन को लगभग 30 प्रतिशत तक कम करते हैं |
नीचे दिए ग्राफ़िक के मदद से ग्रीन क्रैकर्स के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते समझाने की कोशिश की गयी है |
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हालाँकि ग्रीन क्रैकर्स ध्वनि और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद ज़रूर करते हैं मगर ऐसा नहीं है कि ये पूरी तरह से 'इको-फ़्रेंडली हो | इन पटाखों से भी शोर और धुएं को पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं किया जा सकता है |