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रोज़मर्रा

'प्रोनिंग' के बारे में जान लें ये महत्वपूर्ण बातें

स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन्स के अनुसार अगर कोरोना मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, संक्रमण का कोई लक्षण दिखता है तो पेट के बल लेटकर प्रोनिंग प्रक्रिया अपना सकते हैं.

By - Mohammad Salman | 23 April 2021 4:55 PM GMT

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने घर पर कोविड-19 (Covid-19) मरीज़ों के लिए स्व-देखभाल के लिए 'प्रोनिंग' (Proning) अपनाने के बारे में एक दिशानिर्देश जारी किया है. मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना (Coronavirus) से संक्रमित लोग जो घर पर इलाज करवा रहे हैं और जिन्हे सांस लेने में तकलीफ़ महसूस हो रही है तो उन्हें 'प्रोनिंग' प्रक्रिया अपनानी चाहिए..

एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करके बताया गया है कि प्रोनिंग क्या है और यह ऑक्सीजिनेशन (Oxygenation) में सुधार लाने में कैसे मदद करता है.

डॉक्टरों ने ऑक्सीजन स्तर की स्व-निगरानी की सलाह दी है ताकि यह समझा जा सके कि अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है या नहीं. गाइडलाइन्स के अनुसार, अगर कोरोना मरीज़ को सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, संक्रमण का कोई लक्षण दिखता है तो वह मुंह नीचे करके पेट के बल लेट कर प्रोनिंग की प्रक्रिया अपना सकते हैं.

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प्रोनिंग क्या है?

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मुंह को नीचे करके पेट के बल लेटना, प्रोनिंग के रूप में जाना जाता है, जो आराम और ऑक्सीजन में सुधार के लिए एक चिकित्सकीय रूप से स्वीकृत तरीक़ा है. यदि ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे चला जाता है तो होम आइसोलेसन के दौरान यह प्रक्रिया काफ़ी कारगर है. मरीज़ अपने पेट के बल लेटकर वेंटिलेशन में सुधार कर सकता है. यह प्रक्रिया वायुकोशीय इकाइयों को खुला रखती है. प्रोनिंग अपनाकर मरीज़ अपना ऑक्सीजन लेवल ख़ुद मेनटेन कर सकता है.

कब करें प्रोनिंग

अगर आप के अंदर किसी प्रकार कोरोना लक्षण दिखते हैं और होम आईसोलेशन में हैं, ऐसी स्थित में समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें. इसके लिए ऑक्सीमीटर का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा बुख़ार और ब्लडप्रेशर भी चेक करते रहें. इस बीच अगर आपको सांस लेने में तकलीफ़ हो रही हो और ऑक्सीजन लेवल 94 के नीचे चला जाये तो बेहतर है कि प्रोनिंग प्रक्रिया अपनाएं.

कैसे करें प्रोनिंग

प्रोनिंग के लिए मरीज़ को पेट के बल लिटा दें. गर्दन के नीचे एक तकिया रखें, एक या दो तकिये छाती के नीचे यानी पेट के बराबर रखें और दो तकिये पैर के पंजे के नीचे रखें. इस पोजीशन में आधे घंटे से 2 घंटे तक लेटे रहने से मरीज़ को आराम मिलता है. हर आधे घंटे से 2 घंटे में लेटने की पोजीशन बदलते रहें. इस बीच बारी-बारी से मरीज़ को दायीं और बायीं तरफ़ करवट बदलवाते रहें.

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इन हालात में न करें प्रोनिंग

  • भोजन करने के तुरंत बाद प्रोनिंग न करें
  • कम से कम आधे घंटे के बाद यह प्रक्रिया शुरू करें
  • गर्भवती महिलाओं को इस प्रक्रिया से दूर रखें
  • अगर कार्डिएक कंडीशन या शरीर में किसी प्रकार की चोट या फ्रैक्चर है तो प्रोनिंग न करें

ऑक्सीजन सिलेंडर और वेंटीलेटर की भारी कमी

चूंकि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, इसलिए अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर और आईसीयू बेड्स की भारी किल्लत है. कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों को सूखी खांसी, तेज़ बुख़ार के साथ सांस लेने में तकलीफ़ जैसी समस्या होती है. सांस लेने में तकलीफ़ बढ़ने पर उसे ऑक्सीजन सिलेंडर, वेंटीलेटर और आईसीयू जैसी ज़रूरतें होती हैं.

कोरोनोवायरस के बढ़ते मामलों के बीच और ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी की ख़बरों ने लोगों को अंदर से हिला कर रख दिया है. केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए कई कड़े क़दम ज़रूर उठा रही हैं, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में जिस तेज़ी से लोग संक्रमित हो रहे हैं, ऐसे में सरकार को कोरोना मरीज़ों को आईसीयू बेड्स और ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

ऐसे वक़्त में जितना हो सके सावधानी बरतें. अगर आप कोरोना पॉजिटिव है और आपके लक्षण माइल्ड (mild) हैं तो घर पर आइसोलेट (isolate) हो कर अपना ध्यान रखें. प्रोनिंग ऐसे वक़्त में कारगर उपाय है. हालांकि डॉक्टर से सलाह लेते रहें.

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