उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) नज़दीक आते आते प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है. आज कांग्रेस पार्टी (Congress) के वरिष्ठ नेता और पूर्व में केन्द्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद (Jitin Prasada) ने कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली. इसी के साथ ही देश भर में सोशल मीडिया से लेकर तमाम लोगों के बीच कांग्रेस पार्टी और उसके राजनीतिक भविष्य पर चर्चायें फिर गर्म हो गईं हैं.
आइये आपको बताते हैं कि जितिन प्रसाद कौन हैं और क्या है उनका राजनैतिक क़द जिसकी वजह से सत्ता के गलियारों में चर्चा का बाज़ार गर्म है.
प्रसाद का जन्म 29 नवंबर 1973 को जीतेन्द्र और कांता प्रसाद के यहां शाहजहांपुर में हुआ था. जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के दिग्गज नेता थे. वो दो पूर्व प्रधानमंत्रियों - राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव - के सलाहकार रह चुके हैं. इसके साथ ही जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं.
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जितिन प्रसाद 2001 में भारतीय युवा कांग्रेस में सचिव बने. 2004 में अपने गृह लोकसभा सीट, शाहजहांपुर से 14वीं लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमायी और जीते. पहली बार जितिन प्रसाद को 2008 में केन्द्रीय राज्य इस्पात मंत्री नियुक्त किया गया.
प्रसाद ने 2009 से जनवरी 2011 तक सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, 19 जनवरी 2011 से 28 अक्टूबर 2012 तक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और 28 अक्टूबर 2012 से मई 2014 तक मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का काम सँभाला.
वो उत्तर प्रदेश की धौरहरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ते थे जिसमें साल 2014 में 1.7 लाख और साल 2019 में 1.6 लाख वोट मिले थे और उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा.
ब्राह्मण चेतना परिषद
भाजपा से जुड़ने से पहले पिछले साल जितिन प्रसाद ने ब्राह्मण चेतना परिषद नाम से संगठन बनाया था. जितिन ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिये ज़िलेवार ब्राह्मण समाज के लोगों से संवाद किया और ब्राह्मण परिवारों से मुलाकात भी की थी. भाजपा में जितिन को एक ब्राम्हण चेहरे के रूप में देखा जा रहा है.
ऐसा कहा जा रहा है कि प्रसाद को उत्तर प्रदेश में प्रियंका गाँधी के आने के बाद साइडलाइन किया जा रहा था.
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