पूर्व CJI रंजन गोगोई के नाम पर चल रहे फ़र्ज़ी ट्विटर हैंडल्स से फैलाई जा रही हैं फ़र्ज़ी ख़बरें
बूम ने जस्टिस गोगोई के नाम पर बनाये गए कई ट्विटर हैंडल का फ़ैक्ट चेक किया है. जस्टिस गोगोई ने बूम से पुष्टि की है कि वह ट्विटर पर मौजूद नहीं हैं.
भारत में राजनीति, खेल और बॉलीवुड के जाने-माने के लोगों के नाम से फ़र्ज़ी कोट्स या बयान फैलाना कोई नई बात नहीं है. लेकिन भारत की न्यायपालिका अब तक इस प्रवृत्ति से अछूती थी. नवंबर 2019 में राम मंदिर निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद न्यायपालिका भी फ़र्ज़ी कोट्स की ज़द में आग गई, और मुख्य रूप से इसका मोहरा बने पूर्व चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई.
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई (Former CJI Ranjan Gogoi) ट्विटर पर नहीं हैं, फिर भी उनके नाम पर कई फ़र्ज़ी ट्विटर हैंडल (Imposter Twitter Handle) बनाए गए हैं, जो अल्पसंख्यक विरोधी, भेदभाव, सामाजिक द्वेष और नफ़रत को बढ़ावा दे रहे हैं.
बूम ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई से संपर्क किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि वो ट्विटर पर नहीं हैं.
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बूम ने रंजन गोगोई के नाम पर बनाये गए कई ट्विटर हैंडल्स का खंडन किया है. हालांकि इनमें से कई हैंडल्स सस्पेंड हो चुके हैं. इसके बाद भी 'GOGAI' और 'GOGOII' जैसे ग़लत वर्तनी वाले उनके नाम का उपयोग करने वाले फ़र्ज़ी ट्विटर हैंडल सामने आते रहते हैं.
इन 'पैरोडी हैंडल' और फ़र्ज़ी अकाउंट के ट्वीट के स्क्रीनशॉट अक्सर दक्षिणपंथी फ़ेसबुक पेजों और ग्रुप पर शेयर किये जाते हैं. इन ट्वीट्स का कंटेंट सांप्रदायिक और सामाजिक द्वेषपूर्ण से भरा होता है.
पूर्व चीफ़ जस्टिस के विचार के रूप में शेयर किये गए फ़र्ज़ी बयानों का एक राउंड-अप है. इनमें अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुस्लिमों पर निशाना साधा गया है.
मुस्लिम, बौद्ध और ईसाई पर निशाना
ट्विटर हैंडल @RanjanGogoii के ट्वीट के इस स्क्रीनशॉट में लिखा है कि "मुस्लिम", "बौद्ध" और "ईसाई" अपने अपने "त्योहार" कैसे मनाएंगे? यह उनके "समाज" के लोग तय करेंगे, लेकिन #हिन्दू अपने "त्योहार" कैसे मनाएंगे? यह भारत का कोर्ट तय करेगा ! भारतीय संविधान के "भेदभाव" मूलक अनुच्छेद 25, 26, 27, 28, 29, 30 और 31 में अब "संशोधन" किया जाना चाहिए."
हमने इस दावे का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.
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गौरतलब है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 किसी व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित करता है, जबकि अनुच्छेद 30 'अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और प्रशासन का अधिकार' प्रदान करता है और अनुच्छेद 31 ए 'सम्पदा के अधिग्रहण के लिए प्रदान करने वाले कानूनों की बचत'. अनुच्छेद के बारे में यहां पढ़ें.
शिक्षा जिहाद का दावा
वायरल ट्वीट में लिखा है, जामिया के प्रोफ़ेसर "अबरार अहमद" ने ट्विटर पर लिखा कि मैंने क्लास के 15 नॉन-मुस्लिम छात्रों को फ़ेल कर दिया है क्योंकि वो CAA को सपोर्ट कर रहे थे. देशभर की यूनिवर्सिटी-कॉलेज में ये अलग टाइप का #जिहाद कई साल से चल रहा है. इसे "शिक्षा जिहाद" कहना हास्यास्पद नहीं होगा.
बूम ने वायरल ट्वीट का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.
ट्वीट को @RanjanGogoii हैंडल से शेयर किया गया है, लेकिन जब बूम ने ट्विटर पर अकाउंट खोजा, तो हमें नहीं मिला. जबकि कई अन्य ट्वीट्स में हैंडल को टैग किया गया है. हालांकि, ट्विटर पर अब यह हैंडल मौजूद नहीं है.
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हिंदू-मुस्लिम सद्भाव पर निशाना
ट्विटर हैंडल @SGBJP के एक ट्वीट के स्क्रीनशॉट में लिखा है, "आजकल एक फैशन चल रहा है भाईचारे के नाम पर मंदिरों में नमाज़ कराई जाती है, इफ्तारी दी जाती है, ईद के लिए कपड़े और सेवईयां भिजवाई जाती है, हमारे सत्संगी मौला मौला जप रहे हैं. पर क्या कभी किसी मस्जिद में हवन, मस्जिद के लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा सुना है नहीं न फिर कैसा भाईचारा है ये..?"
बूम ने इस वायरल दावे का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.
फ़ेसबुक पोस्ट पर कमेंट सेक्शन में लोगों की टिप्पणियों को देखने पर पता चलता है कि लोग इसे पूर्व सीजेआई द्वारा दिया गया बयान मानते हैं.
बूम ने जब वायरल ट्वीट की वास्तविकता जांचने के लिए ट्विटर हैंडल @SGBJP – को सर्च किया तो हमें यह हैंडल सस्पेंड हुआ मिला.
हमने ट्वीट में लिखे गए बयान को कीवर्ड के साथ खोजा तो पाया कि हूबहू यही पोस्ट पहले से ही कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा चुका है.
सस्पेंडेड हैंडल @SGBJP से अन्य सांप्रदायिक ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट पहले भी वायरल हो चुके हैं. बूम ने इन बयानों को कई फ़ेसबुक पेजों पर ट्रैक किया है.
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बच्चा पैदा करने पर धर्म विशेष पर निशाना
वायरल ट्वीट में कहा गया है, "अगर बच्चा पैदा करना व्यक्तिगत अधिकार है, जिसपर अगर रोक नहीं लगाईं जा सकती, तो फिर उनके भूखे रहने पर सरकार जिम्मेदार कैसे है?"
बूम को हूबहू यही वायरल बयान कई फ़ेसबुक पेजों और ट्विटर हैंडल्स पर सांप्रदायिक दावे के साथ मिला.
बूम ने इस वायरल दावे का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.
अल्पसंख्यकों पर हमले का संदेश
ट्विटर हैंडल @THEGOGAI के इस वायरल ट्वीट में लिखा है, "अभी जो लोग "राष्ट्रपति शासन लगा दो, राष्ट्रपति शासन लगा दो" चिल्ला रहे हैं उन्हें मैं बता दूं कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे तो वो दिन दूर नहीं जब राष्ट्रपति भी उनका ही होगा. फिर क्या करोगे? इसलिए बेहतर है कि स्वयं संगठित होकर पलटवार करो और अपने धर्म एवं राष्ट्र की रक्षा करो."
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बूम ने इस ट्विटर हैंडल को खोजा तो पाया कि यह एक पैरोडी फैन पेज है.
ट्विटर हैंडल के डिस्क्रिप्शन में उल्लेख किया गया है कि यह अकाउंट पैरोडी पेज है. इसके बाद भी ट्वीट के स्क्रीनशॉट फ़ेसबुक पर शेयर किए गए हैं और यूज़र्स ट्वीट को असल मानते हुए इस पर विश्वास भी कर रहे हैं.
बूम ने वायरल ट्वीट का फ़ैक्ट चेक किया है. यहां पढ़ें.
इस बीच बूम ने जस्टिस रंजन गोगोई के नाम से चल रहे अन्य फ़र्ज़ी हैंडल की जाँच की और पाया कि उनमें से कुछ को सस्पेंड कर दिया गया है, जबकि अन्य अभी भी पैरोडी अकाउंट के विवरण के तहत काम कर रहे हैं. सस्पेंड किए गए पूर्व CJI के नाम पर फ़र्ज़ी अकाउंट देखने के लिए यहां और यहां क्लिक करें.
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के नाम पर बने इन तमाम फ़र्ज़ी ट्विटर हैंडल में के तरह की समानता है- मनगढ़ंत बयानों, टिप्पणियों को पूर्व सीजेआई के नाम से शेयर करना ताकि लोग ट्वीट को सच मानकर इनपर विश्वास करें.
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