सोशल मीडिया पर ज़ी न्यूज़ के बुलेटिन का स्क्रीन ग्रैब वायरल है । इसमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयु) के छात्र को कुछ मीडिया हाउस के ख़िलाफ नारेबाजी करते हुए दिखाया गया है । इमेज के दिखाई देने वाली महिला को दिखाते हुए दावा किया जा रहा है कि उनकी छात्र होने की आयु निकल गई है और वह विश्वविद्यालय में अपनी बेटी के साथ पढ़ रही है ।
23 वर्षीय मास्टर की छात्रा से बूम ने संपर्क किया, जिसे विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले एक अधेड़ उम्र के छात्रा के रूप में ग़लत तौर पर पहचाना गया है ।
स्क्रीन ग्रैब में महिला को एनिमेटेड तरीके से एंकर के साथ बातचीत करते हुए दिखाया गया है ।
कैप्शन में लिखा गया है,“मोहतरमा JNU की 43 साल की छात्रा है, और कमाल की; बात उनकी बेटी मोना भी JNU की ही छात्रा है।”
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स्क्रीन ग्रैब कई फ़ेसबुक पेजों पर वायरल है ।
यह पोस्ट विश्वविद्यालय में हॉस्टल शुल्क वृद्धि के ख़िलाफ विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर वायरल हो रहा है । हालिया ख़बर के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) ने घोषणा की है कि उसने जेएनयू के छात्रों के साथ चर्चा करने और सभी मुद्दों को शांति से हल करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है ।
कैंपस की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है । विश्वविद्यालय ने शुरू में छात्रावास के शुल्क में वृद्धि कर, नए शुल्क में 50 प्रतिशत तक कम कर दिया था । हालांकि, छात्रों ने छात्रावास के शुल्क और प्रस्तावित अन्य उपायों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग की है ।
फ़ैक्ट चेक
बूम को वायरल स्क्रीन ग्रैब का वीडियो मिला, जो ज़ी न्यूज़ के शो डीएनए एनालिसिस का हिस्सा है । यह शो 15 नवंबर को प्रसारित किया गया था । शो में विरोध प्रदर्शन के बारे में रिपोर्टिंग कर फील्ड पर मौजूद ज़ी न्यूज़ के पत्रकारों के साथ जेएनयू छात्रों द्वारा किए गए दुर्व्यवहार के बारे में बताया गया है । स्क्रीन ग्रैब के 2.57 निशान पर इसी महिला को देखा जा सकता है ।
बूम ने फ्रांसीसी विभाग में पढ़ रही मास्टर की छात्रा शांभवी सिद्धि से संपर्क किया, जिसकी पहचान वायरल स्क्रीन ग्रैब में दिखाई देने वाली महिला के रूप में की गई है । सिद्धि ने पुष्टि की कि यह इमेज उसकी ही है और कहा, “हां, यह तस्वीर में मैं ही हूं । मैं प्रचार मीडिया चैनलों के ख़िलाफ नारे लगा रही थी । ”
सिद्धि ने आगे कहा कि वह 23 साल की हैं और 43 नहीं, जैसा कि वायरल पोस्ट में कहा गया है ।
विरोध के मद्देनजर कई पूर्व और वर्तमान छात्रों के बारे में ग़लत जानकारी दी गई है और सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी खबरें फैलाई जा रही हैं ।