बिहार के भोजपुर जिले से एक परेशान करने वाला वीडियो व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में भीड़ द्वारा एक महिला को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया जा रहा है। लेकिन इस वीडियो के साथ एक फर्जी जानकारी भी फैलाई जा रही है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि आरएसएस युवाओं ने दलित ईसाई महिला पर हमला किया था। वीडियो में, पूर्ण सार्वजनिक दृश्य में, एक महिला को बिना कपड़ों के सड़क पर चलते दिखाया जा रहा है। और साथ ही पुरुषों और युवा लड़कों द्वारा अपने मोबाइल फोन पर इस शर्मनाक कृत्य को रिकॉर्ड करते समय उस महिला का पीछा करते, मारते और पीटते दिखाया गया है। हालांकि, यह वीडियो एक सत्य घटना की है लेकिन इसके साथ फैलाया जाने वाला संदर्भ झूठा है। वीडियो को सांप्रदायिक रंग देते हुए बताया जा रहा है कि इस घटना में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य शामिल थे। बूम ने सामग्री की परेशान प्रकृति और महिला की गोपनीयता के सम्मान करते हुए कहानी में वीडियो को न लगाने का निर्णय लिया है। वीडियो में दिखाई गई घटना 20 अगस्त, 2018 की है और यह घटना 19 वर्षीय लड़के बिमेलेश साओ की मौत के बाद चर्चा का विषय बना था। साओ का शव बिहिया शहर में एक रेलवे ट्रैक पर पाया गया था, जो भोजपुर के जिला मुख्यालय, आरा से 25 किलोमीटर दूर है, जैसा कि
द हिंदू की रिपोर्ट में बताया गया है। कुछ
समाचार रिपोर्टों ने लड़के को विमलेश साह के नाम से बताया गया है। मृतक के गांव,दामोदरपुर से भीड़ ने उसकी मौत के बाद स्थानीय दुकानों में तोड़-फोड़ की और जलाने लगे। उन्होंने आरोप लगाया कि लड़के का गला दबा कर मारा गया और बाद में रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया गया था। भीड़ ने यह भी आरोप लगाया कि रेलवे पटरियों के पास कुछ घर वेश्यावृत्ति में शामिल थे और आरोप लगाया था कि वहां रहने वाले स्थानीय लोग लड़के की मौत में शामिल थे क्योंकि लड़के ने पुलिस को वहां चल रहे सेक्स रैकेट की जानकारी दी थी। कानून को अपने हाथों में लेते हुए, गुस्साई भीड़ ने रेलवे पटरियों के पास घरों में तोड़-फोड़ की और आग लगा दी। फिर उन्होंने वहां एक महिला को सड़क पर बाहर खींच लिया, हमला किया, दुर्व्यवहार किया और उसे नर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाया। वीडियो में महिला की पहचान ज्ञात नहीं है। उनकी वर्तमान स्थिति ज्ञात नहीं है, हालांकि उस समय समाचार रिपोर्टों में कहा गया था कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया था और वे पुलिस सुरक्षा में थी। समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि वीडियो फुटेज से पहचानने के बाद पुलिस ने भीड़ का हिस्सा रहे 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। बाईया पुलिस स्टेशन प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मियों को कर्तव्य की उपेक्षा के लिए निलंबित कर दिया गया था, जैसा कि इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी
रिपोर्ट में बताया है। बूम ने भोजपुर पुलिस अधीक्षक अवकाश कुमार से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन अब तक संपर्क नहीं हो पाया है। उनसे प्रतिक्रिया मिलने पर हम कहानी अपडेट करेंगे। करेन एक इन्वेस्टिगटिव रिपोर्टर, फैक्ट चेकर, कॉपी एडिटर हैं और बूम के साथ जुड़ी हैं। उनकी विशेषज्ञता में फर्जी छवियों और वायरल नकली वीडियो का पता लगाना और असली रुप दिखाना शामिल है। करेन पूर्व रॉयटर्स पत्रकार है और यूके और भारतीय शेयर बाजार और निजी इक्विटी क्षेत्र में संसाधन क्षेत्र को कवर किया है। करेन बिजनेस न्यूज शो के प्राइम टाइम की टेलीविजन प्रोड्यूसर भी रही हैं।