'बैक टू वैदिक पंजाब' नामक फ़ेसबुक पेज पर एक फ़ोटो शेयर की गयी है | इस फ़ोटो के साथ कैप्शन में दावा किया जा रहा है की बाली (इंडोनेशिया ) स्थित यह मंदिर भगवान शिव का है | आपको बता दें की यह दावा झूठा है |
इस फ़ोटो के साथ कैप्शन में लिखा है 'शिव मंदिर इंडोनेशिया बाली' जिसे करीब 740 बार शेयर किया गया है | यह तस्वीर बैंगकॉक (थाईलैंड) की है न की बाली, इंडोनेशिया की | हालांकि थाईलैंड में कई हिन्दू मंदिर हैं और वहां की संस्कृति में भी हम हिन्दू विचारधाराओं को देख सकते है पर यह फ़ोटो एक बौद्ध मंदिर की है जिसका नाम 'वट अरुण' है | यह मंदिर उन करीब 31,000 बौद्ध मंदिरों में से एक है जो थाईलैंड में फ़ैले हुए हैं |
आप इस पोस्ट को नीचे और इसके आर्काइव्ड वर्शन को यहाँ देख सकते हैं |
फ़ैक्ट चेक
बूम ने रिवर्स इमेज सर्च किया तो यह फ़ोटो वट अरुण नामक मंदिर की निकली | बूम ने इससे जुड़े कुछ यूट्यूब वीडियो भी पाए जिससे यह दावा ग़लत साबित होता है | यह भी पाया की इस मंदिर का नाम अरुणा नामक भारतीय देवता के नाम पर है जो भारत में भोर के देवता माने जाते हैं | इसे माउन्ट मेरु की तर्ज़ पर बनाया गया है जो बौद्ध समाज में बुद्ध ब्रम्हांड विज्ञान की आरम्भ बिंदु माना जाता रहा है |
माउन्ट मेरु तंज़ानिया में स्थित है परन्तु हिन्दू, बुद्ध एवं जैन मान्यताओं में यह पर्वत एक कल्पना है जिसे भौतिक और आध्यात्मिक ब्रह्माण्डों का केंद्र समझा जाता है | यह दावा भ्रामक है क्योंकि जो
फ़ोटो शेयर की जा रही है वो बौद्ध मंदिर है न की शिव मंदिर | आप यूट्यूब वीडिओज़ नीचे देख सकते हैं जो इस माना मंदिर के हैं |
क्या है वट अरुण ?
जब अयूथया साम्राज्य (एक स्यामिस साम्राज्य जो थाईलैंड में पनपा था) का पतन हुआ तो राजा तकसीन ने एक स्थानीय मंदिर में बुद्धा की मूर्ति की स्थापना की जो एक बहुमूल्य पत्थर से बनी थी | यह मंदिर आज थाईलैंड (बैंगकॉक) में प्रतिष्ठित संरचना है | जो आज वट अरुण है उसे उन्नीसवीं सदी में बनाया गया था | इस मंदिर के बारे में और जानने के लिए यहाँ पढ़ें |