सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा सुनाते दो जवानों का वीडियो इस गलत दावे के साथ वायरल है कि चीन सीमा पर तैनात सेना के बहादुरों को खाने के लाले पड़े हैं. बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वीडियो उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है जहां सेना से बर्खास्त किए गए दोनों जवान केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचे थे.
वीडियो में एक कटोरा लिए सेना की वर्दी पहने शख्स से जब खाने को लेकर पूछा जाता है तो वह कहते हैं, "खाने-पीने का ऐसा है..." इसके बाद वह भावुक हो जाते हैं और दूसरे जवान से बोलने का आग्रह करते हैं.
इसके बाद दूसरा शख्स माइक पर कहता है, "ये बोल नहीं पा रहे हैं, क्योंकि हम सुबह से लेकर शाम तक भूखे रहते हैं. फिर रात को कभी गांववाले जो इधर बंदे आते हैं कभी-कभार वह खाना लेकर आ जाते हैं हमारे लिए. वो बोलते हैं कि हम जवानों के लिए कितना प्यार है उनको. 5-5 मिनट में हमारी देखभाल करने के लिए आते हैं और पूछते हैं कि सर आपको कुछ चाहिए. हम बोलते हैं नहीं. जब हम तिरंगा और हाथ में कटोरा लेकर आते हैं तो उनको अच्छा नहीं लगता है. बुरा लगता है."
वीडियो शेयर करते हुए एक्स पर एक वेरिफाइड यूजर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को टैग करते हुए लिखा, 'मोदी जी ये क्या हो रहा है हमारे जवान भूखे रह रहे हैं ! आज आपको देश का प्रधान सेवक कहते हुए शर्म आ रही है ! China के बॉर्डर पे जवान आंख से छलका आंसू !'
इसी तरह फेसबुक पर वीडियो शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'भावुक हुआ जवान आंख से छलका आंसू, चीन के बॉर्डर पर जवानों को खाना तक नहीं मिल रहा, बड़े ही शर्म की बात है जिनकी वजह से हम रात में चैन की नींद सोते हैं, रात भर वे हमारी रक्षा करते हैं, वही भूखे सो रहे हैं शर्म आती है ऐसी सरकार पर और ऐसे सिस्टम पर.'
फैक्ट चेक
चीन सीमा नहीं, लखनऊ का है वायरल वीडियो
भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों को खाना न मिलने के दावे से वायरल वीडियो बूम की जांच में भ्रामक पाया गया. बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि दोनों जवानों को अनुशासनहीनता के आरोप के चलते इसी साल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है.
साथ ही वीडियो भारत-चीन बॉर्डर नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मंदिर के पास का है. दोनों जवान अपनी मांगें लेकर केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के लिए वहां पहुंचे थे.
बूम ने वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. इस दौरान हमें चंदू चव्हाण नाम के यूट्यूब चैनल पर 13 सितंबर 2024 को अपलोड किया गया वायरल शॉर्ट्स वीडियो मिला.
हमने पाया कि चैनल के अधिकतर वीडियो में दिख रहा शख्स वायरल वीडियो में भी मौजूद है जिसका नाम चंदू चव्हाण है. एक वीडियो में फौजियों के लिए न्याय की गुहार लगाते हुए चंदू चव्हाण एक तख्ती लिए नजर आते हैं जिसमें उनका फोन नंबर भी मौजूद है.
बूम ने चंदू चव्हाण से संपर्क किया जिन्होंने बातचीत में बताया, "वायरल वीडियो लखनऊ का है. हम वहां एक मंदिर के पास रुके थे. केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के सिलसिले में हम वहां गए थे. इस दौरान एक स्थानीय पत्रकार ने हमारा इंटरव्यू किया." चंदू चव्हाण ने स्पष्ट किया कि वह सिपाही के पद पर तैनात थे लेकिन अब सेना का हिस्सा नहीं है. सेना ने आर्मी एक्ट 1950 के तहत उन्हें दो महीने पहले निष्कासित कर दिया है.
हमने चंदू चव्हाण के साथ वीडियो में मौजूद हरेंद्र कुमार यादव से बातचीत की. हरेंद्र उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले हैं और सेना में बतौर सिग्नलमैन तैनात थे. उन्होंने बताया कि इसी साल जनवरी में सेना ने उन्हें कोर्ट मार्शल किया लेकिन कोई लिखित में कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया.
हरेंद्र यादव ने बताया कि लखनऊ में एक मंदिर के पास एक पत्रकार आदर्श मोहन ने अपने चैनल Global Khabar के लिए उनकी व्यथा सामने रखी थी.
हमें Global Khabar नाम के यूट्यूब चैनल पर 11 सितंबर 2024 को अपलोड किया गया पूरा वीडियो मिला जिसका एक हिस्सा वायरल किया जा रहा है. वीडियो का टाइटल है- संकट में Army के जवान, बचा लो इनकी जान. वीडियो में आदर्श मोहन दोनों फौजियों की समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात की असफल कोशिश का जिक्र कर रहे हैं.
वीडियो में गले में तख्ती टांगे हरेंद्र यादव कहते हैं, "हमारे देश के जवानों को बेचा जा रहा है, जवानों की हत्याएं कराई जा रही है, जवानों का शोषण हो रहा है. देश की सुरक्षा खिलवाड़ हो रहा है. उसको बचा लीजिए. इतना ही तो हम मांग रहे हैं."
वीडियो में 3.56 मिनट से हरेंद्र कहते हैं, "6 सितंबर से लखनऊ में भटक रहे हैं न ही खाना का ठिकाना है और न ही रहने का. यह मंदिर है यहीं पर हम सोते हैं, तैयार होने के लिए सामने पानी मिल जाता है." इसके बाद जब यूट्यूबर उनके खाने के बारे में पूछता है तो वह भावुक हो जाते हैं.
इसके बाद चव्हाण आगे कहते हैं कि वह सुबह से लेकर शाम तक भूखे रहते हैं और गांववाले कभी-कभी उनके लिए खाना लेकर आते हैं. यही हिस्सा वायरल किया जा रहा है.
बूम ने आदर्श मोहन से भी इसे लेकर बात की. उन्होंने बताया कि वीडियो 11 सितंबर को लखनऊ में जियामऊ स्थित एक मंदिर के पास का है जहां ये दोनों कुछ दिनों से रह रहे थे. उन्होंने बताया कि दोनों जवानों को अब सेना से बर्खास्त कर दिया गया है और अब वह अपनी मांगों को लेकर अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं.
हमने दोनों जवानों से संबंधित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स सर्च कीं. हरेंद्र यादव के बारे में सर्च करने पर हमें नवभारतटाइम्स.कॉम की 30 जनवरी 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, सिग्नलमैन हरेंद्र कुमार यादव का सेना ने कोर्ट मार्शल किया है. उन पर सेना की ट्रेनिंग एक्टिविटी को रिकॉर्ड करने और सोशल मीडिया पर गलत सूचना के साथ शेयर करने का आरोप है. सेना ने जबलपुर आर्मी सिगनल ट्रेनिंग सेंटर से अनधिकृति रूप से गैरमौजूद रहने पर उन्हें पिछले साल भगोड़ा घोषित कर दिया था.
वहीं चंदू चव्हाण को लेकर 3 अप्रैल 2018 को प्रकाशित हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2016 में वह सीमा पार कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पहुंच गए थे और तकरीबन चार महीने के बाद उनकी वतन वापसी हुई थी.
25 अगस्त 2024 को प्रकाशित एबीपी माझा की रिपोर्ट के मुताबिक, सेना से बर्खास्त किए जाने के एक्शन को चंदू चव्हाण ने अन्यायपूर्ण और गलत बताया. साथ ही सरकार को अनशन पर बैठने की चेतावनी दी.
इसके अलावा 17 सितंबर 2024 को भारतीय सेना के एडीजी पीआई की ओर से एक्स पर पोस्ट करते हुए वायरल वीडियो को फेक बताया.
सेना ने अपने पोस्ट में लिखा, "भारतीय सेना के बारे में सोशल मीडिया पर एक #Fake वीडियो प्रसारित किया जा रहा है. यह भी ध्यान में लाया गया है कि चंदू चव्हाण और एचके यादव नामक दो व्यक्ति हैं जिन्हें खराब अनुशासन और अनुचित आचरण के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. वे सोशल मीडिया पर #Fake और #दुर्भावनापूर्ण संदेश और वीडियो फैला रहे हैं. उनके प्रचार में न आएं और गलत सूचना से बचें."
Buddy सिस्टम और आर्मी एक्ट 1950 हटाने की मांग
बूम से बातचीत में सेना से बर्खास्त जवानों ने कहा कि वह सैनिकों के लगातार हो रहे शोषण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. दोनों अब तक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राहुल गांधी, अखिलेश यादव और दीपेंदर हुड्डा से मुलाकात कर चुके हैं.
चंदू चव्हाण का कहना है कि वह आर्मी एक्ट 1950 को हटाने की मांग कर रहे हैं. वह कहते हैं, "यह ब्रिटिश कानून है जिसके तहत जवानों को सजा दी जाती है. उनका शोषण हो रहा है. इसलिए जवानों की हत्याएं और सुसाइड हो रहे हैं." वहीं हरेंद्र यादव का कहना है कि वह बडी सिस्टम (सेवादारी प्रथा) और अग्निवीर हटाने की मांग कर रहे हैं.