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फ़ैक्ट चेक

ISIS के झंडे के सामने इराक़ी लड़ाकों की तस्वीर में से एक को जेएनयू का लापता छात्र नजीब बताया

जेएनयू छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 को लापता हो गया था, यानी इस तस्वीर के प्रकाशित होने के करीब एक वर्ष के बाद

By - Anmol Alphonso | 31 May 2019 10:33 AM GMT

आतंकवादी संगठन के एक कस्बे को वापस नियंत्रित करने के बाद आईएसआईएस के झंडे के सामने समूह में दिख रहे इराकी लड़ाकों में से एक को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ( जेएनयू ) के लापता छात्र नजीब अहमद बता कर फैलाया जा रहा है । वास्तविक तस्वीर 2015 में ली गयी है जो नजीब के लापता होने से करीब एक वर्ष पहले का समय है |

वायरल तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, "पहचाना इसे?? अरे अपना नजीब जेएनयू वाला नजीब… आजादी गैंग वाला नजीब!! वामी कामी गिरोह का दुलारा नजीब… JNU से डॉक्टरेट, प्लेसमेंट हुआ है आईएसआईएस में, सीरिया से राहुल जी और केजरी सर जी को सलाम भेजा है!"



आप इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्शन यहाँ देखें | तस्वीर की सच्चाई का पता लगाने की मांग करते हुए बूम को अपने व्हाट्सएप हेल्पलाइन (7700960111) मेसेज पर यह वायरल तस्वीर प्राप्त हुई है ।

(व्हाट्सएप संदेश )

फ़ैक्ट चेक

बूम ने रूसी सर्च इंजन यैंडेक्स के माध्यम से एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया, जिससे हमें पता चला कि तस्वीर मूल रूप से इराक की है, जिसे 7 मार्च 2015 को वायर एजेंसी रॉयटर्स के लिए थायर अल-सुदानी द्वारा लिया गया था ।

(वायरल फोटो पर रॉयटर्स का आर्टिकल )

फोटो के कैप्शन में लिखा है, "7 मार्च, 2015, इराक के अल-आलम शहर के पास, ताल कसबा शहर में,आमतौर पर इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले काले झंडे के साथ पेंट किए हुए दवार के पास खड़े शिया लड़के ।"

लेख के अनुसार, इराकी सुरक्षा बलों और शिया मिलिशिया ने इस्लामिक स्टेट (ISIS) का मुकाबला किया और इराक में सद्दाम हुसैन के गृह शहर तिकरित के दक्षिणी बाहरी इलाके में एक शहर के केंद्र का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था । (यहां और पढ़ें)

नजीब का गायब होना

नजीब अहमद जेएनयू में पहले साल के एमएससी बायोटेक्नोलॉजी के छात्र थे, जो इस तस्वीर के प्रकाशित होने के एक साल से अधिक समय बाद 15 अक्टूबर, 2016 को लापता हो गए थे ।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) ने नजीब के आईएसआईएस के प्रति आत्मीयता के बारे में 21 मार्च, 2017 को फ्रंट पेज की एक कहानी में गलत जानकारी दी थी । यह जानकारी उन वेबसाइटों के माध्यम से दी गई थी जो उसने लापता होने से एक दिन पहले एक्सेस की थीं । यह दिल्ली पुलिस के उन स्रोतों पर आधारित था, जिन्होंने कथित तौर पर इस तरह के ब्राउज़िंग डेटा को एक्सेस किया था ।

जब अन्य मीडिया संस्थानों के पत्रकारों ने टीओआई की कहानी को क्रॉस चेक करने की कोशिश और पाया की दिल्ली पुलिस अखबारों को जानकारी देने से हिचकिचा रही थी | टाइम ऑफ़ इंडिया ने बाद में स्टोरी हटा दी थी (और पढ़ें यहां) और बाद में एक स्पष्टीकरण जारी किया ।

नजीब की मां फातिमा नफ़ीस ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें नजीब को ISIS से जोड़ने के लिए टीओआई सहित विभिन्न मीडिया आउटलेट्स के खिलाफ़ दिल्ली उच्च न्यायालय में 2.2 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगा गया था। (यहां और पढ़ें)

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने एक क्लोज़र रिपोर्ट दायर की और अक्टूबर 2016 में छात्र का पता लगाने में विफल रहने के बाद उनकी खोज समाप्त कर दी । (यहां पढ़ें)

11 अक्टूबर, 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुछ मीडिया संस्थानों से कुछ समाचार लेखों और वीडियो को वापस लेने के लिए कहा था जो कथित रूप से नजीब को आईएसआईएस से जोड़ते थे । (यहां और पढ़ें)

( सीबीआई की क्लोसिंग रिपोर्ट पर एनडीटीवी का लेख )

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